सरकार छह दशक पुराने सिनेमेटोग्राफी कानून को बदलने की योजना बना रही है ताकि सेंसर बोर्ड के कामकाज को और बेहतर किया जा सके। सेंसर बोर्ड कई विवादों के केंद्र में रहा है। सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि वह न्यायमूर्ति मुदगल समिति और बेनेगल समिति की अनुशंसाओं पर गौर कर रहे हैं लेकिन फिलहाल वह संसद में इस पहल के लिए कोई समय सीमा नहीं दे सकते। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘न्यायमूर्ति (मुकुल) मुदगल और (श्याम) बेनेगल समिति ने कुछ महत्वपूर्ण अनुशंसाएं की हैं। मैं उन पर गौर कर रहा हूं। अंतत: आपको उन्हें लागू करना होगा। मैं भी कानून में कुछ बदलाव कर सकता हूं। मैं इस दिशा में आगे बढ़ रहा हूं।’’ उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘शीत सत्र के कारण मैं आपको कोई समय सीमा नहीं दे सकता। मुझे नहीं लगता कि मैं इसे पूरा कर सकूंगा। इसके बाद के सत्र में नये कानून को लाने का मेरा प्रयास होगा।’’
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर वैंकेया नायडू ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से कहा- “मुद्दे पर राजनीति न करें”
नायडू का कहना है कि दोनों समितियों की अनुशंसाओं पर उन्होंने बोर्ड सदस्यों का विचार भी जाना है क्योंकि उनका मानना है कि समस्याओं से वे अच्छी तरह वाकिफ होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हाल में मैंने सेंसर बोर्ड के सचिव को फोन किया था। मैंने उनसे कहा कि कुछ महत्वपूर्ण अनुशंसाएं की गई हैं। आप लोग आपस में चर्चा कर लें। और कुछ निष्कर्ष के साथ आगे आएं…।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे अनुशंसाओं का अध्ययन कर बताने को कहा। सरकार आवश्यक बदलाव करने पर विचार कर रही है। सिनेमेटोग्राफी कानून 1952 में बना और फिल्म प्रमाणन इसी कानून के तहत किया जाता है।’’
Read Also: सेंसर बोर्ड ने बिना कट के पास कर दिया 12 किसिंग सीन वाला बेफिक्रे का ट्रेलर, जानिए क्या थी वजह
बता दें कि सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ मामले में शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मामले में दखल देकर आज भारत के कानून को मजबूती दी है। साथ ही उन्होंने कहा, ‘सिनेमा बिरादरमी को अपनी जिम्मेदारी पता होनी चाहिए, उन्हें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे देश, सेना और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचे, क्योंकि फिल्में अहम माध्यम होती हैं। जब तक आतंकवाद खत्म ना हो जाए और भारत-पाक रिश्ते ना सुधरे, तब तक सरकार भी पाकिस्तानी कलाकरों को वीजा ना दे।’