फिल्म- वेदा
डायरेक्टर- निखिल आडवाणी
स्टारकास्ट- जॉन अब्राहम, शरवरी वाघ, अभिषेक बनर्जी और आशीष विद्यार्थी
अवधि- 2 घंटे 30 मिनट
रेटिंग- 3/5

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌ ॥
‘महाभारत’ में इस श्लोक का जिक्र श्रीकृष्ण ने किया था। उन्होंने इसका मतलब बताया था कि ‘जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूं अर्थात् साकार रूप से लोगों के सामने प्रकट होता हूं।’ ‘महाभारत’ के इस श्लोक का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जॉन अब्राहम और शरवरी वाघ की फिल्म ‘वेदा’ पर ये एकदम सही बैठता है अब वो कैसे चलिए वो भी बताते हैं लेकिन, फिल्म के रिव्यू के साथ।

जॉन अब्राहम और शरवरी वाघ की फिल्म ‘वेदा’ को 15 अगस्त के मौके पर रिलीज कर दिया गया है। ये फुल ऑन एक्शन एंटरटेनर फिल्म है और ये सच्ची घटना से प्रेरित है, जो कि समाज के काले सच से रूबरू कराती है। जात-पात से तो हमारा समाज आज भी नहीं उबर पाया है। शहरी क्षेत्रों में ये मामला थोड़ा कम देखने के लिए मिलता है और ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आप इसकी जड़ को देख सकते हैं। ऐसे में ‘वेदा’ भी जात-पात के बीच एक उलझी हुई कहानी ही है। मगर इसकी कहानी एकदम नई है। ऊपर जैसा कि हमने ‘महाभारत’ के श्लोक का जिक्र किया उस श्लोक पर इसकी कहानी एकदम सटीक बैठती है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि फिल्म कैसी है।

नई कहानी के साथ दमदार एक्शन

जॉन अब्राहम और शरवरी वाघ की फिल्म ‘वेदा’ की कहानी की बात की जाए तो इसमें आपको नई कहानी देखने को मिलने वाली है, जो कि राजस्थान की सच्ची घटना से प्रेरित है। इसमें आपको बाड़मेर की वेदा और आर्मी से कोर्ट मार्शल किए हुए मेजर की कहानी देखने के लिए मिलेगी। वेदा (शरवरी वाघ) अपने सपनों को उड़ान देने के लिए हर संभव प्रयास करती है मगर उसके सपनों का रोड़ा जात-पात है। ऊंची जाति के लोग अपनी हूकुत चलाते हैं, जिनके पास पैसा और पावर सबकुछ होता है। वेदा बॉक्सर बनना चाहती है, जिसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके बीच वो कभी हौंसला नहीं हारती है। मार खाकर, अपमान सहकर भी वो सपने देखना नहीं छोड़ती है। जब अत्याचार बढ़ जाता है तो एंट्री होती है जॉन अब्राहम की जैसे ‘महाभारत’ में कृष्ण की होती है। ठीक वैसे ही। इस बीच भरपूर एक्शन देखने के लिए मिलता है। फिल्म की कहानी सोशल मैसेज देती है, इसलिए कहना गलत नहीं होगा कि ये काफी फ्रैश लगती है।

जॉन अब्राहम का दमदार एक्शन और शरवरी के बॉक्सिंग के 5 स्टेप

जहां ‘वेदा’ की कहानी दमदार है। समाज को आईना दिखाने का काम करती है। काले सच से दुनिया को रूबरू कराती है। वहीं, फिल्म में एक्टर्स की एक्टिंग भी दिल जीत लेती है। एक्टर्स का अभिनय फिल्म में जान डालने का काम करता है। जॉन अब्राहम आर्मी के ट्रेंड ऑफिसर होते हैं तो उसी तरीके से एक्शन भी दमदार करते दिखाई दे रहे हैं। तबीयत से पिटने और कइयों गोलियां खाने के बाद भी वो दुश्मन यानी कि जितेंद्र सिंह (अभिषेक बनर्जी) के सामने टिके रहते हैं। इसके साथ ही शरवरी वाघ भी फिल्म में बॉक्सिंग के 5 स्टेप सिखाती नजर आती हैं। वो भी थोड़ा बहुत एक्शन अवतार में नजर आती हैं। उनका एक्शन आपको शाब्बासी देने पर मजबूर कर देता है।

वहीं, विलेन के किरदार में अभिषेक बनर्जी का काम कमाल का है। वो फिल्म में बाड़मेर के छोटे से गांव के प्रधान होते हैं, जिनका नाम जितेंद्र है। गांव में उनके नियम कायदे होते हैं, जिसे तोड़ने का काम वेदा करती है। एक तरह से देखा जाए तो लड़ाई वेदा और प्रधान जी के बीच की है, जिसमें जॉन अब्राहम ने सारथी बनने का काम किया है। ठीक वैसे ही जैसे ‘महाभारत’ में कृष्ण पांच पांडवों के लिए थे। इसके साथ ही आशीष विद्यार्थी को लंबे समय के बाद अपने पुराने अंदाज में देखा गया है। तमन्ना भाटिया ने कैमियो किया है, जो कि जॉन की पत्नी के रोल में होती हैं।

कैसे था फिल्म का म्यूजिक और गाने

अब बात करते हैं फिल्म ‘वेदा’ के गाने और म्यूजिक की। इसमें मौनी रॉय का आइटम सॉन्ग है, जिसे फिल्म में ठीक वैसे ही फिल्माया गया, जब विलेन की फिल्म में पिटाई होने वाली होती है। अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि विलेन के पिटने से पहले फिल्म में एक आइटम सॉन्ग आता है फिर हीरो की एंट्री होती है और धमाका हो जाता है। ठीक इसी तरह से मौनी रॉय का गाना ‘बलम सो गया मेरा कल रात’ है। मगर, इसमें थोड़ा सा ट्विस्ट है। वो आप फिल्म में देख सकेंगे। वहीं, दूसरा गाना ‘होलिया में उड़े रे गुलाल’ है। इसे शरवरी वाघ पर फिल्माया गया है, जो कि कहानी में ट्विस्ट लेकर आता है। इस गाने को फिल्म में रीक्रिएट किया गया है मगर इसका इस्तेमाल सीन के हिसाब से थोड़ा समझ नहीं आता है। जहां इसे फिट किया गया है वहां ये फिट नहीं बैठता है और इसके बिना भी स्टोरी को आगे बढ़ाया जा सकता था।

वहीं, फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक की बात की जाए तो ये कमाल का है। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की हर कड़ी को स्ट्रॉन्ग बनाता है। ये आपको कुर्सी और फिल्म की कहानी से बांधे रखने में मदद करता है।

डायरेक्शन में दिखी कमी, कमजोर लगा फर्स्ट हाफ

‘वेदा’ की कहानी और एक्शन, गाने सब ठीक रहे लेकिन, डायरेक्शन में आपको थोड़ी कमी महसूस होती है। फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा कमजोर लगता है। पहला तो कहानी बहुत धीरे आगे बढ़ती है फिर ट्विस्ट भी लेट आता है। उस समय तक इसकी कहानी उबाऊ सी लगने लगती है। लगेगा कि कब वो कड़ी आएगी जब फिल्म में मजा आएगा। कुछ सीन्स तो लगते हैं कि क्यों ही डाल दिया है। लगता है कि इसकी कहानी को समय अवधि बढ़ाने के लिए थोड़ा खींचा गया है, जिसे दो घंटे में भी खत्म किया जा सकता था। लेकिन, इंटरवल के बाद ट्विस्ट भी आते हैं और खूब एक्शन भी देखने के लिए मिलते हैं।

फिल्म देखनी चाहिए या नहीं

अब अगर बात की जाए ‘वेदा’ को देखा जाए या नहीं तो कुल मिलाकर ये एक्शन एंटरटेनर मूवी है। आप इसे इन्जॉय करेंगे। फ्रैश कहानी और सच्ची घटना से प्रेरित है। सबसे बड़ी बात है कि ये सोशल मैसेज देती है, जिसे सभी को देखना चाहिए। वहीं, अगर आप जॉन अब्राहम के फैन हैं तो और भी मजा आने वाला है। इसे फैमिली के साथ देखा जा सकता है।