भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ऐलान किया है। इसमें कई नए सदस्य शामिल किए गए हैं तो कईयों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जिन नेताओं को जगह नहीं मिली, उनमें मेनका गांधी, उनके बेटे वरुण गांधी और सुब्रमण्यम स्वामी भी शामिल हैं।
सोशल मीडिया पर यूजर्स मेनका, वरुण और स्वामी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकालने के बाद तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक वर्ग का कहना है कि वरुण गांधी को किसानों के मुद्दे पर मुखरता से आवाज उठाने और सुब्रमण्यम स्वामी को मोदी सरकार की कई नीतियों की आलोचना करने की सजा मिली।
एक यूजर ने बीजेपी पर तंज कसते हुए लिखा, ‘वरुण को सजा, मंत्री का बेटा कर रहा मजा…यही तो लोकतंत्र है।’ पत्रकार सबा नकवी लिखती हैं, ‘वरुण गांधी को सही चीजें उठाने के बाद भी सजा दी गई है। जबकि किसानों की जानबूझकर हत्या करने और प्रत्यक्षदर्शी मौजूद होने के बाद भी पिता और बेटे की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पत्रकार निखिल वाघले लिखते हैं, ‘बीजेपी सांसद वरुण गांधी पहले दिन से ही अपनी सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। मोदी-शाह ने उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं की।’ कांग्रेस नेता सलमान अनीस सोज लिखते हैं, ‘बीजेपी में अगर आप भीषण हत्याओं के लिए जवाबदेही चाहते हैं, तो आपको उत्तरदायी ठहरा दिया जाएगा। वरुण गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया।’
बीजेपी पर कसा तंज: एक यूजर लिखते हैं, ‘मंत्री अजय मिश्रा को हटाने और गिरफ्तार करने की जगह मेनका और वरुण गांधी को बीजेपी की शीर्ष सदस्यों की सूची से बाहर कर दिया गया है। वरुण और मेनका शुरुआत से किसानों की हत्या की निंदा और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। दोनों को बाहर करने के साथ ही बीजेपी ने साफ कर दिया कि वह किसान विरोधी पार्टी है।’
पत्रकार शाहिद सिद्दीकी लिखते हैं, ‘मोदी ने साफ कर दिया है कि वह लखीमपुरी-खीरी के गुंडे अजय मिश्रा टेनी के साथ हैं। जबकि वरुण गांधी को किसानों के साथ खड़ा होने की सजा दी गई है। जो भी सत्य और न्याय के साथ खड़ा होगा वो बीजेपी का दुश्मन बनेगा।’ एक अन्य यूजर लिखते हैं, ‘किसानों के प्रति हुई हिंसा का विरोध करने की सजा वरुण गांधी को मिल चुकी है। मोदी जी, आपकी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र और हत्यारों का समर्थन देखकर हम हैरान हैं।’
पत्रकार साक्षी जोशी लिखती हैं, ‘ये तो होना ही था। वरुण गांधी आपका सम्मान बढ़ गया है। कम से कम आपने सही के साथ और गलत के खिलाफ बोलने की हिम्मत तो दिखाई। ऐसा करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है।’ एक यूजर लिखते हैं, ‘सच बोलने पर वरुण गांधी के खिलाफ कार्रवाई की गई। जबकि किसानों की हत्या में इस्तेमाल की गई गाड़ी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया।’