Uttar Ramayan 24th April: सीता  अयोध्यापति राजा राम से कहती हैं कि वह जब वन की ओर प्रस्थान करें तो श्री राम की आंखों में आसूं न आएं। श्रीराम कहते हैं कि प्रिये इतना बड़ा बलिदान क्यों? सीता कहती हैं कि राज सिंघासन की पवित्रता हेतु इसकी पवित्रता पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए, ये संसार के लिए भी ये जरूरी है।

श्रीराम कहते हैं राज्य के सम्मान पर कोई आंच न आए इसके लिए क्या उपाय है? तो सीतानकहती हैं मेरा त्याग। सीता के मुंह से ये बात सुन राम आश्चर्य हो जाते हैं। राम कहते हैं कि मैं निर्दोष पत्नी पर ये अत्याचार नहीं कर सकता। वह सीता से कहते हैं-धर्म क्या है? वही धर्म है जिसे अपनी अंतर्यात्मा स्वीकार करे। गुरुदेव ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। मैं सबकुछ त्याग दूंगा पर सीता का त्याग नहीं करूंगा। अगर राजा की बात है तो मैं राज ही त्याग दूंगा पर सीता का त्याग नहीं करूंगा। सीता पूछती हैं यही आपका निर्णय है। राम कहते हैं हां। सीता फिर राम को पुरखों के आगे लिए उनके शपथ की याद दिलाती हैं।

सीता रात को अयोध्या छोड़ वन में निकल जाने की इच्छा राम के आगे रखती हैं। वह कहती हैं रात को निकल जाना ही उचित होगा।  कहती हैं लोग क्या कहेंगे कि बलिदाना का समय आया तो राज का भोग विलास त्याग नहीं कर पाए। जब अकेले होंगे एक दूसरे के मन की बात कर लेंगे। एक दूसरे का गीत सुन लेंगे। राम कहते हैं,सीते इतने बड़े बलिदान को कितना सहज बना कर कह दिया है। लेकिन सोचे इतने बड़े वन में निःसहाय कैसे रहोगी। मैं यही प्रमाणित करना चाहती हूं कि स्त्री अबला का रूप नहीं।

सीता आगे कहती हैं प्रजा बच्चे के समान होती है। अगर बच्चे के मन में शंका हो तो उसे दूर करना चाहिए। इस बलिदान से हम प्रजा मेंपश्चयाताप की ऐसी ज्वाला भड़का देंगे कि एक दिन आपके कदमों में आकर माफी मांगेगे। सीता कहती हैं मेरे जाने के पश्चात अपनी आंखों में आंसू मत आने दीजिएगा नहीं तो लोग आपको निर्बल कहेंगे। सीता रात में ही वन को निकल जाती हैं। राम सुबह होने तक सीता के ख्यालों में डूबे रहते हैं..

 

 

Live Blog

Highlights

    10:01 (IST)24 Apr 2020
    नारी अबला नहीं...

    मैं प्रमाणित करनपा चाहती हूं कि नारी अबला नहीं। श्रीराम कहते हैं कि इसके लिए नारी को विद्रोह करना चाहिए। सीता कहती हैं कि कौनसा अस्त्र शस्त्र इस्तेमाल करे? स्त्री का सबसे बड़ा शस्त्र है त्याग। प्रजा हमारी बच्चे जैसी है। उन्होंने ऐसा आरोप लगाया है, बलिदान देकर हम उन्हें पश्चाताप करवाएंगे।

    09:53 (IST)24 Apr 2020
    सीता के दृढ़संकल्प के आगे, रघुकुल का राजा हारा

    सीता कहती हैं कि प्रभु मुझे आज्ञा दीजिए मेरी परीक्षा न लीजिए। श्रीराम स्तब्ध खड़े रह जाते हैं। वह समझ नहीं पाते कि सीते को क्या जवाब दें। कैसे उन्हें जाने की आज्ञा दे दें। श्रीराम अब लक्ष्मण को बुलवाते हैं। 'कोई भी हो कितना प्यारा, बलिदान चढ़ाना होगा, राजा को राजा का कर्तव्य निभाना होगा।' जब लक्ष्मण को इस बारे में पता चलता है तो वह नाराज होते हैं वह श्रीराम से पूछते हैं कि ऐसा क्यो भैया? श्रीराम बोलते हैं कि राजा की आज्ञा का पालन करो, जाओ रथ ले आओ।

    09:38 (IST)24 Apr 2020
    सीता ने जगाई श्रीराम की आत्मा, धर्म औऱ कुल की कीर्ति-यश की रक्षा के लिए बोलीं सीता..

    श्रीराम कहते हैं यदि ये राजा का धर्म है तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा। सीता कहती हैं कि महाराज ये कुल की प्रतिष्ठा के लिए अच्छा नहीं है। श्रीराम कहते हैं क्या मेरा तुम्हारे प्रति कोई कर्तव्य नहीं? सीता कहती हैं जिसदिन आपका राजतिलक हुआ उसी दिन आप सन्यासी हो गए। सीता कहती हैं कि आप राजा होकर धर्म का मार्ग छोड़ना चाहते हैं? श्रीराम कहते हैं मेरी अंतरआत्मा जो सही मानती है मैं वही करूंगा। मैं सब कुछ त्याग दूंगा लेकिन सीता का त्याग नहीं करूंगा। सीता पूछती हैं क्या यही आपका निर्णय है? तो आइए मेरे साथ। सीता श्रीराम को लेकर पूर्वजों के  समक्ष पहुंचती हैं। वह कहती हैं -आपने पूर्वजों के सामने शपथ ली थी वह याद है आपको? श्रीराम को अपनी शपथ याद आती है जिसमें वह कहते हैं कि उनकी वजह से कभी भी कुल की इज्जत पर कभी बात नहीं आएगी। सीता कहती हैं अब बताइए प्रभु। आपको अपनी पत्नी से प्रेम है तो क्या राजा हरीश चंद्र को नहीं था? धर्म की रक्षा उन्होंने भी की।

    09:31 (IST)24 Apr 2020
    सीता की बात सुन चकित रह गए श्रीराम- बोले 'सीता त्याग'?

    सीता कहती हैं महाराज एक स्त्री के लिए आप चिंतित रहें कि राज पाठ में विघ्न पड़े ये आपको शोभा नहीं देता। सीता कहती हैं अयोध्या की महारानी सीता आपती पत्नी -मुझे इसे बात का विस्मय हैकि आप जैसा महा पुरुष मुझसे इतनी बड़ी बात छुपा रहे हैं। कि सीता पर जनता को शक है, सीता की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं। श्रीराम कहते है क्योंकि ये झूठ है। सीता कहती हैं यहां बात सिंघासन की पवित्रता की है। श्रीराम पूछते हैं कि इसका रास्ता क्या है, तो सीता कहती हैं-मेरा त्याग।

    09:27 (IST)24 Apr 2020
    ऐसे जीना कठिन है- बोले श्रीराम..

    सीता अब अपने कक्ष में पहुंचती हैं, श्रीराम की चुप्पी से चारों तरफ सन्नाटा पसर जाता है। सीता कहती हैं कि महाराजड बहुत परेशान लगते हैं। सीता कहती हैं कि प्रभु आप मुझे बता सकते हैं। श्रीराम कहते हैं कि क्या राजा को कभी दुख नहीं हो सकता? श्रीराम कहते हैं किये बहुत कठिन है। भगवान शंकर ने तो गट गट विष पी लिया था। लेकिन मनुष्य के जीवन में तो पग पग विष पीना पड़ता है। ये कठिन है। भावना केवल पीड़ा है। सीता कहती हैं पीड़ा तो है लेकिन इसी में ही तो सुख दुख सम्मिलित हैं।

    09:20 (IST)24 Apr 2020
    सीता को मिला आशीर्वाद, युगों युगों तक याद रखेगी दुनिया ये बलिदान

    आधी रात में सीता के मन में तरह तरह के सवाल उठने लगते हैं। सीता श्रीराम की तरफ उठती उंगलियों को सह नहीं कर पातीं। सीता पुराने दिनों को याद करने लगती हैं कि कैसे श्रीराम को उन्होंने सखियों संग छिपकर देखा था। श्रीराम फूल बीनने के लिए बाग में आए थे। वहीं सीता को उन्होंने देख लिया था। दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे। फिर कैसे श्रीराम ने उनकेलिए भरी सभा में धनुष तोड़ा था। सीता मां शेरोंवाली के मंदिर जाकर उनके आगे हाथ जोड़ती हैं औऱ कहती हैं कि उस दिन श्रीराम को मांगने आई थीं। आज 'त्याग' के लिए आई हूं। मेरा निर्णय सही है ना मां? वह पूछती हैं। ऐसे में मां कहती हैं कि महालक्ष्मी महारानी सीते मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।

    09:10 (IST)24 Apr 2020
    बोल पड़े रामानुज- 'लक्ष्मण अपने प्राण त्याग देगा..'

    श्री राम लक्ष्मण से कहते हैं- तुम लोग तो सचमुच पगले हो, इतनी बात से सोचने लगे कि मैं तुम्हें दंड दे रहा हूं। तुमसे तोकोई भूल ही नहीं हो सकती। लक्ष्मण इस बात को सुन भावुक हो जाते हैं। लक्ष्मण कहते हैं कि भैया उपहास में भी अगर आपने फिर ऐसी बात कही तो आपका ये लक्ष्मण अपने प्राण त्याग देगा।

    09:08 (IST)24 Apr 2020
    सीता के पास आए लक्ष्मण

    सीता के पास आए लक्ष्मण: लक्ष्मण कहते हैं कि भाभी भैया क्या कह रहे हैं? राज पाठ तुम संभाल लो। मैं थक गया हूं भाभी, हमने ऐसा क्या कर दिया? ये दंड क्यों? तभी श्रीराम वहां आ जाते हैं। श्रीराम पूछते हैं कि क्या बातें हो रही हैं। तभी सीता बताती हैं कि लक्ष्मण पूछ रहे हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि राजपाठ भरत लक्ष्मण औऱ शत्रुघ्न संभाले। 

    09:05 (IST)24 Apr 2020
    प्रभु श्रीराम के लिए लोगों ने बोले कड़वे बोल, सीता पर उठे सवाल


    दासी सीता को आकर बताती हैं कि दरबार में क्या हुआ। वह बताती हैं कि श्रीराम के लिए लोगों ने कहा- 'सीता के मोह ने उन्हें निर्बल कर दिया है। सीता को रख कर राजा अपने पूर्वजों की कीर्ति को नष्ट कर रहे हैं। अगर ऐसा होता रहा दूसरी स्त्रियां भी ऐसा ही करेंगी। सीता ये सब सुन कर रोने लगती हैं।

    22:24 (IST)23 Apr 2020
    रामराज को त्याग कर वन में निकलीं सीता

    सीता कहती हैं प्रजा बच्चे के समान होती है। अगर बच्चे के मन में शंका हो तो उसे दूर करना चाहिए। इस बलिदान से हम प्रजा मेंपश्चयाताप की ऐसी ज्वाला भड़का देंगे कि एक दिन आपके कदमों में आकर माफी मांगेगे। सीता कहती हैं मेरे जाने के पश्चात अपनी आंखों में आंसू मत आने दीजिएगा नहीं तो लोग आपको निर्बल कहेंगे। सीता रात में ही वन को निकल जाती हैं। राम सुबह होने तक सीता के ख्यालों में डूबे रहते हैं..

    22:10 (IST)23 Apr 2020
    राजधर्म के लिए बलिदान का आया समय

    सीता रात को अयोध्या छोड़ वन में निकल जाने की इच्छा राम के आगे रखती हैं। वह कहती हैं रात को निकल जाना ही उचित होगा। सीता कहती हैं लोग क्या कहेंगे कि बलिदाना का समय आया तो राज का भोग विलास त्याग नहीं कर पाए।
    जब अकेले होंगे एक दूसरे के मन की बात कर लेंगे। एक दूसरे का गीत सुन लेंगे। राम कहते हैं,सीते इतने बड़े बलिदान को कितना सहज बना कर कह दिया है। लेकिन सोचे इतने बड़े वन में निःसहाय कैसे रहोगी। मैं यही प्रमाणित करना चाहती हूं कि स्त्री अबला का रूप नहीं।

    22:02 (IST)23 Apr 2020
    सीता त्यागः राम के फैसले से विचलित हुए लक्ष्मण

    लक्ष्मण को लगता है कि सीता ऐसे ही कुछ दिनों के लिए महल से दूर आश्रमों में रहना चाहती है। लेकिन जब उनको पता चलता है कि राजा राम सीता का त्याग करने जा रहे हैं वह बहुत ही विचलति हो जाते हैं। राम से रोते हुए गुस्से में पूछते हैं ऐसा क्यों? राम कहते हैं हम धर्म और अनुशासन से बंधा हुआ हूं। ये ही राजा का आज्ञा है। जाओ रथ तैयार करो..

    21:46 (IST)23 Apr 2020
    राम से सीता ने खुद को त्याग करने की जताई इच्छा

    सीता राम से कहती हैं,राज सिंघासन पवित्र रहना भी चाहिए और पवित्र दिखना भी चाहिए। सीता के सामने राम पूछते हैं फिर उसका रास्ता क्या है। सीता कहती हैं मेरा त्याग। सीता के मुंह से ये बात सुन राम आश्चर्य होते हैं। राम कहते हैं निर्दोष पत्नी पर ये अत्याचार नहीं कर सकता। वह सीता से कहते हैं-धर्म क्या है वही धर्म है जिसे अपनी अंतर्यात्मा स्वीकार करे। गुरुदेव ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। मैं सबकुछ त्याग दूंगा पर सीता का त्याग नहीं करूंगा।सीता पूछती हैं। यही आपका निर्णय है। राम कहते हैं हां।

    21:37 (IST)23 Apr 2020
    सीता ने राम से पूछा, इतनी सी बात कहने में इतना वक्त लग गया..

    सीता को प्रजा द्वारा उनके चरित्र के बारे में कही सब बातें पता है लेकिन वह राम के आगे जाहिर नहीं होने देती हैं। वहीं राम को लगता है कि सीता को कुछ नहीं पता। सीता श्रीराम से कहती हैं कि एक स्त्री के लिए इतने विचलित रहें ये राज काज के लिए उचित नहीं हो सकता है। राम उस स्त्री की बात करने लग जाते हैं जो उनसे न्याया मांगने आई थी। वह बात को दूसरी तरफ मोड़ना चाहते हैं लेकिन सीता कहती है ये छोटी सी बात कहने में इतना समय लग गया। राम पूछते हैं कैसी बात? जानकी कहती हैं कि यही कि प्रजा सीता को अपवित्र समझती है। राम कहते हैं वो बात झूठी थी। सीता कहती हैं लेकिन वो प्रजा का मत है। इसपर राम कहते हैं कि प्रजा यदि झूठ के आधार पर मत बना ले तो...

    21:31 (IST)23 Apr 2020
    राम को सीता ने धर्म की दिलाई याद

    उधर सीता महागौरी के सामने अपने त्याग के लिए शक्ति मांगती हैं दूसरी तरफ श्रीराम भी कम व्याकुल नहीं होते हैं। सीता राम को धर्म की याद दिलाती हैं। राम कहते हैं कि मनुष्य को कितनी बार विष पीना पड़ता है। शिव को तो सिर्फ एकबार विष पीना पड़ा था लेकिन मनुष्य को पग पग पर विष पीना पड़ता है। ये आदर्श निभाना मुश्किल है। सीता कहती हैं कि वीर वही है जो भावना को छोड़ धर्म पर चले।

    21:23 (IST)23 Apr 2020
    व्याकुल सीते ने महागौरी से त्याग के लिए मांगी शक्ति

    महागौरी के सामने सीता व्याकुल मन लिए जाती हैं। वह राम से विवाह के पूर्व की सभी घटनाएं याद करती हैं। वह सोचती हैं कि किस तरह से बगीचे में पहली बार श्रीराम का दर्शन हुआ था और शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा उन्हें अपना बनाया था। सीता ये सब सोच काफी व्याकुल होती हैं। वह गौरी की प्रतिमा के आगे खड़े हो कहती हैं- उस दिन मांगने के लिए सहायता मांगने के लिए आई थी। आज त्याग की शक्ति मांगने आई हूं। मेरा यदि निर्णय ठीक है तो मुझे आशीर्वाद दो..। 

    21:13 (IST)23 Apr 2020
    'तुम्हारे लिए धरती से किसी दूसरे लोक के लिए भी सेतु बांधनी पड़े तो मैं वह भी कर लूंगा'

    लक्ष्मण के सामने राम आते हैं। सीता राम को देखते हुए कहती हैं कि लक्ष्मण मुझे आपके परेशान होने की वजह जानना चाहते हैं। ये सब मेरे कारण हो रहा है। सीता कहती हैं आपने मेरे लिए प्राणी की बाजी लगा दी वह भी मुझ जैसे एक साधारण स्त्री के लिए। सीता के मुंह से साधारण स्त्री सुन राम क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं सीते तुम साधारण स्त्री नहीं। सीता कहती हैं मैं तो यूं ही उपहास कर रही थी। जवाब देते हुए राम कहते हैं- सीता और राम का संबंध कोई उपहास का विषय नहीं है। तुम्हारे लिए धरती से किसी दूसरे लोक के लिए भी सेतु बांधनी पड़े तो मैं वह भी कर लूंगा। तुम मेरे प्रेम को नहीं जानती सीते। 

    21:09 (IST)23 Apr 2020
    लक्ष्मण ने सीता से राम के विचलित होने की वजह पूछी?

    लक्ष्मण  सीता से श्रारीम के विचलित होने की वजह जानना चाहते हैं। वे काफी परेशान होते है। भाभी सीता से जानना चाहते हैं कि भैया इतने परेशान क्यों हैं?

    20:50 (IST)23 Apr 2020
    पिता के सिखाए राजधर्म पर चलेंगे श्रीराम

    लंका विजय के बाद अयोध्या वापस आए श्रीराम का राजतिलक होता है। वे राजा बनते हैं और प्रजा की खुशहाली का प्रण लेते हैं। लेकिन अयोध्या में कुछ दिनों बाद श्रीराम के गुप्तचरों ने उनसे कहा कि प्रजा में माता सीता की पवित्रता पर संदेह किया जा रहा है। इसी संदेह के कारण माता सीता को अग्नि परीक्षा भी देनी पड़ी। माता सीता की पवित्रता पर सवाल उठाए जा रहे थे। तब प्रभु श्रीराम को पिता दशरथ के द्वारा सिखाया गया राजधर्म याद आता है...

    20:39 (IST)23 Apr 2020
    राम के आगे राजधर्म का संकट

    प्रभु राम को लगातार इस बात की चिंता सता रही है कि पूरे नगर में सीता को लेकर लोग किस तरह की अपमानजनक बातें कर रहे हैं। ऐसे में उनके आगे राजधर्म का संकट आ खड़ा हुआ है।सीता माता की पवित्रता का विश्वास दिलाने के लिए उनको अयोध्या वासियों के सामने अग्नि परिक्षा से गुजरना होगा। इससे पहले रामायण में आपने देखा कि श्रीराम से मिलने गुप्तचर पहुंचते हैं। राम गुप्तचरों से नगर का हाल-चाल पूछते हैं। वे नगर के कुशल मंगल होने की बात कहते हैं। प्रभु राम को गुप्तचर की बातें सुनकर संतोष नही मिलता जिसके चलते वो गुप्तचर से कहते हैं कि उन्होंने फैसला किया है कि वो खुद गांव में जाएंगे।