Arun Govil Says On Ramayana: टीवी की ‘रामायण’ से घर-घर में फेमस होने वाले एक्टर अरुण गोविल (Arun Govil) राम के किरदार के लिए देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फेमस हैं। उन्हें लोग रियल में भगवान राम समझकर पूजते हैं। फैंस तो उनके लिए इतने क्रेजी हैं कि कहीं भी देखते हैं तो उनके पैरों में गिर जाते हैं। एक्टर को अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी काफी एक्टिव देखा गया था। ऐसे में इन दिनों वो लगातार रामायण को लेकर दिए गए बयानों की वजह से चर्चा में बने हुए हैं। इसी बीच उन्होंने रामायण स्कूल में पढ़ाए जाने को लेकर खुलकर बात की है। चलिए बताते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा है।

अरुण गोविल हाल ही में उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया एजेंसी एएनआई से बातचीत की और कहा, ‘रामायण हमारे करिकुलम में जरूर होनी चाहिए। क्योंकि रामायण के एकदम से धार्मिक कह देना इसका कोई औचित्य नहीं है। इससे जस्टिफाई नहीं होगा। रामायण हमारा जीवन दर्शन है। हमें ये बताती है कि सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि सबको बताती है कि कैसे जीना चाहिए। रिश्ते कैसे होने चाहिए। धैर्य कितना होना चाहिए। शांति किस तरह से इंसान पा सकता है। ये सभी के लिए है। सिर्फ सनातनी लोगों के लिए नहीं है। ये सबके लिए है रामायण इसलिए ये हमारे करिकुलम में जरूर होनी चाहिए।’ इसके बाद सोशल मीडिया पर जय श्रीराम के नारे लगने शुरू हो गए।

लोगों ने दिए ऐसे रिएक्शन

अब अगर लोगों के रिएक्शन की बात की जाए तो एक ने लिखा, ‘बिल्कुल। सभी सनातनी हैं और रामायण को स्कूल की किताबों में शामिल किया जाना चाहिए। सभी को असली इतिहास के बारे में जानना चाहिए।’ वहीं, एक ने इस पर आपत्ति जताते हुए लिखा, ‘ये बहुत गलत है। धर्म किताबों में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए। यह लंबे समय में कई अप्रत्याशित समस्याओं का मार्ग प्रशस्त करेगा। पुस्तकों का उद्देश्य युवाओं को विशिष्ट धर्म पर ध्यान दिए बिना सार्वभौमिक रूप से जीवन को समझना सिखाना है। जैसा कि वह प्रस्तावित करता है यह सही नहीं है। कृपया इस पर विचार करें।’ इसी तरह से लोग इस पर खूब प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

वातारण पूरी तरह से राममय हो गया- अरुण गोविल

इससे पहले टीवी एक्टर अरुण गोविल प्रयागराज पहुंचे थे। इस दौरान एक्टर ने रामायण को लेकर कहा कि आज देश में रामराज की परिकल्पना साकार हो रही है। सालों से लोगों ने जिसका इंतजार किया था, वो चारों ओर प्रभु श्रीराम नाम की गूंज में चारों ओर दिखाई दे रहा है। अरुण गोविल का कहना है कि वातारण पूरी तरह से राममय हो गया है। उनका मानना है कि रामराज के समय में जो नैतिकता थी, वो संस्कृति थी वो धीरे-धीरे फिर से वापस लौट रही है।