एक था टाइगर, टाइगर जिंदा है और अब ‘जब तक टाइगर मरा नहीं टाइगर हारा नहीं’…फुल ऑन स्वैग के साथ यशराज फिल्म्स अपनी मोस्ट फेमस फ्रेंचाइज की तीसरी किश्त लेकर हाजिर हो गए हैं। डायरेक्शन की कुर्सी ना कबीर खान के पास है, ना अली अब्बास जफर दिखाई पड़ रहे हैं, सबसे बड़ा एक्सपेरिमेंट करते हुए मनीष शर्मा के कंधों पर ये जिम्मेदारी सौंप दी गई है। टाइगर 3 का चलना यशराज के लिए तो जरूरी है ही, सबसे ज्यादा इसकी दरकार सलमान खान को है। फ्लॉप फिल्मों की झड़ी लगा चुके भाईजान इस फिल्म से ‘गदर’ वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अब स्क्रीन पर असल में कितना गदर मचा है, ये दहाड़ कितनी जोरदार है, ये बताने का काम हम करने जा रहे हैं।

कहानी

टाइगर 3 की कहानी सिर्फ तीन शब्दों के इर्द-गिर्द घूमती है- धोखा, वफादारी और देशभक्ति। धोखा देने का काम आतिश रहमान (इमरान हाशमी) कर रहा है, वफादारी पाकिस्तान की एक्स ISI एजेंट जोया (कटरीना) को साबित करनी है और देशभक्ति कहने की जरूरत नहीं टाइगर (सलमान खान) को दिखानी है। अब धोखा आतिश अपने मुल्क को दे रहा है, उसे हर कीमत पर उस मिसाइल का कोड चाहिए जो चीन ने पाकिस्तान को दी है। पाकिस्तान की मिसाइल है तो खतरा भारत पर आया है, ऐसे में जोया किसकी तरफ रहने वाली है, प्यार करने वाले टाइगर के भारत के साथ या अपने मुल्क पाकिस्तान,ये वफादारी फिल्म में वो साबित करने वाली है। वहीं इस सब के बीच कुछ ऐसा हो चुका है कि टाइगर को खुद को गद्दार कहलाने से बचाना है। अब इन पहलुओं को बांधते है पांच देश- भारत, पाकिस्तान, तुर्की, रूस और ऑस्ट्रिया, यानी कि ये एक फिल्म इन सभी लोकेशन को एक्सपलोर करने का काम करती है।

अब क्या आतिश रहमान को उस मिसाइल के कोड मिलते हैं, क्या जोया इस बार प्यार को छोड़ अपने मुल्क पाकिस्तान का साथ देती है, और सबसे बड़ा सवाल- टाइगर गद्दार है या देशभक्त, यशराज फिल्म्स की तीसरी किश्त इन्हीं सब के जवाब देने वाली है।

सब कुछ होते हुए भी कुछ अधूरा इस टाइगर में

टाइगर 3 एक फुल ऑन मसाला एंटरटेनर फिल्म है, जो उम्मीद सलमान के फैन्स ने फिल्म से लगाई है, वो सब तो उन्हें दे दिया गया है। सलमान का एक्शन अवतार चाहिए था, वो देखने को मिल जाएगा, कटरीना के साथ भाईजान की केमिस्ट्री चाहिए थी, वो डिमांड भी पूरी की गई है, अपने पठान की जोरदार एंट्री का मन था, वो सपना भी साकार हुआ है। यानी कि इन सभी फ्रंट्स पर टाइगर 3 खरी उतरती है। लेकिन कुछ ऐसी कमियां भी हैं जो कहानी से लेकर कई दूसरे फ्रंट पर असर डालती हैं।

शुरुआती एंट्री फीकी, पठान का स्वैग नहीं हुआ मैच

स्पाइ यूनिवर्स वाली फिल्म है, ऐसे में सबसे जरूरी थी टाइगर की जोरदार दस्तक, यानी कि उनका एंट्री सीन। अब पठान में शाहरुख का इतना तगड़ा स्वैग देख चुके हैं कि उम्मीदें सातवें आसमान से भी ज्यादा ही ऊपर चल रही हैं। उसे देखते हुए सलमान की टाइगर 3 वाली एंट्री वो एड्रीनलीन रश पैदा नहीं कर पाती है। मतलब आप सलमान को स्क्रीन पर देख रहे हैं, खुश भी हैं, लेकिन वो एक्साइटमेंट नहीं आ पाती है। ऐसा भी लगता है कि सलमान को लॉर्जर दैन लाइफ दिखाने के लिए शुरुआत में जबरदस्ती वाला एक्शन ठूंस दिया गया है।

कहानी में दम, लेकिन रफ्तार ने किया परेशान

इसी तरह इस बार टाइगर 3 की जो कहानी रही है, वो कहने को अच्छी है, ये भी कहा जा सकता है कि कई सारी लेयर्स रखी गई हैं। आप सिर्फ एक लोकेशन से दूसरी जगह नहीं जा रहे हैं, बल्कि वो कहानी भी उसी हिसाब से अपना रुख तय करती रहती है। लेकिन दिक्कत ये है कि उस रास्ते पर स्पीड ब्रेकर कई हैं। ऐसी फिल्मों में कहानी की रफ्तार या कहे स्क्रीन प्ले की स्पीड तेज रहनी चाहिए। आपको आंखें झपकाने का मौका ही ना मिले, ऐसा कुछ धमाकेदार दिखते रहना चाहिए। वो एलिमेंट टाइगर 3 में कहीं मिसिंग दिखा है, जो बहुत बड़े ट्विस्ट वाले सीन्स थे, उन्हें भी कम इंटेनसिटी के साथ ही फिल्मा दिया गया है। यानी कि ओवर सिंप्लिसिटी ने कुछ जगहों पर मजे को किरकिरा किया है।

क्लाइमेक्स होना चाहिए था जोरदार!

अच्छी चीज ये रही है कि टाइगर 3 की कहानी धीमी होने के बावजूद आपको बांधके रखती है। ये क्रेडिट राइटर्स को देना होगा, उन्होंने कम से कम दिखाने के लिए इतना कुछ तो रखा ही है कि आप इस फिल्म के लिए अपना समय इनवेस्ट करें। ये सिर्फ पाकिस्तान-इंडिया दुश्मनी टाइप वाली फिल्म नहीं है, ऐसे ट्विस्ट एंड टर्न्स रखे गए हैं कि कब दुश्मन दोस्त बन जाएं, पता भी नहीं चलेगा। अब इस रिव्यू को लिखते समय कई सारे ‘If and But’ आ रहे हैं, जो चीज अच्छी भी लग रही है, वहां कुछ चूक भी नजर आई हैं। टाइगर 3 की कहानी के साथ भी ऐसा ही सीन है, फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत ज्यादा तगड़ा होना चाहिए, ऐसा कि सीट पर खड़े होकर सीटियां बजाने को मजबूर हो जाएं। लेकिन कहना पड़ेगा फिल्म का क्लाइमेक्स स्लो है, बीच-बीच में बहुत खिचा हुआ सा भी लगता है। इतनी बड़ी फिल्म से ऐसी उम्मीद कोई नहीं करना चाहता।

कटरीना पड़ी सलमान पर भी भारी

वैसे फिल्म की कहानी ने थोड़ा बहुत अगर निराश किया भी है तो एक्टिंग ने कुछ हद तक उस कसर को दूर किया है। किसी का भी काम आउट ऑफ द वर्ल्ड जैसा नहीं है, कोई WOW फैक्टर भी नहीं है, लेकिन टाइगर जैसी फिल्म में जैसा काम दिखना चाहिए था, वो सब स्क्रीन पर हुआ है। टाइगर के रोल में एक बार फिर सलमान खान ने अपना रंग जमाया है। उम्र का बढ़ना चेहरे पर दिखाई पड़ता है, लेकिन जितनी एक्टिंग की उम्मीद उनसे थी, उतनी तो कर दी गई है। हां मेकर्स ने इस बार सलमान के टाइगर वाले स्वैग को कुछ कम कर दिया है। अब ये किसी खास कारण से किया गया है या इसे चूक माना जाए, इस पर डिबेट हो सकती है। कटरीना कैफ की बात करें तो फिल्म की हाइलाइट भी उन्हें कहा जा सकता है। उनकी स्क्रीन टाइम इस बार दोनों पिछली फिल्मों की तुलना में ज्यादा रही है। उनकी हिंदी तो आज भी आपको इंप्रेस नहीं करने वाली, लेकिन एक्शन सीन्स में कमाल किया गया है।

विलेन के रोल में छाए इमरान

ये कहना गलत नहीं होगा कि मेकर्स ने सलमान से ज्यादा कटरीना के एक्शन पर ध्यान दिया है। उनका स्वैग भाईजान से ज्यादा दिखाई पड़ता है। फिल्म के लिहाज से तो ये एक्सपेरिमेंट भी काम कर गया है। कहने को सलमान कम दिखे हैं, लेकिन कटरीना का उन्हें आउटशाइन करना इस पूरी फ्रेंचाइज को एक अलग मोड़ दे सकता है। पहली बार इस बड़ी फ्रेंचाइज से जुड़े इमरान हाशमी का काम बढ़िया कहा जाएगा। सोचा जा रहा था कि कहीं सलमान के सामने इमरान फीके ना पड़ जाएं, लेकिन मेकर्स ने क्योंकि सलमान का स्वैग ही इतना कम कर दिया, बाकी दूसरे सभी किरदार निखर गए। अच्छी बात ये भी रही है कि विलेन रहते हुए भी इमरान लाउड नहीं लगे हैं, बल्कि अपने अंदाज में उन्होंने आतिश रहमान के किरदार को निभाया है।

पठान लाया तगड़े वाले पटाखे!

शाहरुख खान का नाम तो एक्टिंग डिपार्टमेंट में भूल ही नहीं सकते हैं। टाइगर 3 में उनका कोई कैमियो नहीं है, बल्कि कहना चाहिए 20 मिनट का एक्शन है। पठान की एंट्री जोरदार रहती है, टाइगर के साथ केमिस्ट्री बेमिसाल लगती है। सबसे अच्छे एक्शन सीन्स भी उन 20 मिनट में ही फिल्माए गए हैं। वैसे कुमुद मिश्रा, गैवी चहल, अनंत विधात, रेवती, ऋद्धि डोगरा, विशाल जेठवा जैसे सहकलाकारों का काम भी ठीक रहा है। कुछ पुराने किरदार ही रखे गए हैं तो कुछ नए गढ़ दिए गए हैं।

बड़ी जिम्मेदारी निभाना डायरेक्टर को पड़ा भारी!

कुल मिलाकर एक्टिंग डिपार्टमेंट से आपको ज्यादा शिकायत नहीं रहने वाली। अब एक्टिंग अच्छी, कहानी औसत, लेकिन फिल्म का डायरेक्शन और बेहतर हो सकता था। मनीष शर्मा ने एक बड़ी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी, उन्होंने कागज पर तो इस कहानी को मजबूत रखा है, लेकिन इसका एग्जीक्यूशन कुछ फीका रह गया है। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि मनीष उस एक्साइटमेंट को मैंटेन नहीं रख पाए हैं, ऐसी फिल्मों के वक्त कुर्सी की पेटी बांधे रहना चाहिए, लेकिन आपका ऐसा मन नहीं करेगा। हां फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सॉलिड लगता है, इमरान की एंट्री हो या टाइगर का एक्शन, दोनों टाइम पर बजने वाला गाना बज बनाने का काम करता है।

अब टाइगर 3 कहानी के डिपार्टमेंट में इस फ्रेंचाइज की सबसे कमजोर फिल्म नहीं है, लेकिन सलमान खान के स्वैग का गायब हो जाना बड़ी बात है। जिसके नाम पर इस फिल्म को बेचा गया है, वो किरदार ही इस बार कुछ फीका दिखा है। अब टाइगर के अगले मिशन का वेट कीजिए, शायद तब वो स्वैग और एक्शन वापस आ जाए।