ThrowBack: सुरों की मल्लिका और भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेश्कर की आवाज का जादू एक लंबे अरसे तक सभी के सिर चढ़ कर बोलता रहा है। उनकी आवाज ने दशकों तक संगीत के चाहने वालों को अपने सॉन्ग्स के जरिए मंत्र मुग्ध किया है। आज हम आपको उनकी लाइफ के एक ऐसे किस्से के बारे में बताएंगे, जिसे आपने पहले शायद ही सुना होगा। एक वक्त पर लता मंगेशकर का अपने साथ के ही दिग्गज सिंगर मोहम्मद रफी से झगड़ा हो गया था। बात इस कदर बढ़ गई थी कि दोनों ने एक दूसरे के साथ काम ना करने का फैसला कर लिया। इस बात का खुलासा एक इंटरव्यू के दौरान खुद लता मंगेशकर ने किया था।
लता मंगेशकर ने बताया 60 के दशक की बात है जब मैंने अपनी फिल्मों में गाना गाने के लिए रॉयल्टी लेना शुरू कर दिया था। लेकिन मुझे लगता कि सभी गायकों को रॉयल्टी मिले तो अच्छा होगा। मैंने, मुकेश भैया ने और तलत महमूद ने एक एसोसिएशन बनाई और रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी और प्रोड्यूसर्स से मांग की कि गायकों को गानों के लिए रॉयल्टी मिलनी चाहिए, लेकिन हमारी मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई, तो हमने एचएमवी के लिए रिकॉर्ड करना ही बंद कर दिया। तब कुछ निर्माताओं और रिकॉर्डिंग कंपनी ने मोहम्मद रफ़ी को समझाया कि ये गायक क्यों झगड़े पर उतारू हैं। गाने के लिए जब पैसा मिलता है तो रॉयल्टी क्यों मांगी जा रही है।
लता जी ने आगे कहा कि, रफी भैया बड़े भोले थे। उन्होंने कहा, “मुझे रॉयल्टी नहीं चाहिए।” उनके इस कदम से हम सभी गायकों की मुहिम को धक्का पहुंचा। इसके बाद मुकेश ने उनसे कहा लता दीदी रफी साहब को बुलाकर आज ही सारा मामला सुलझा लेते हैं, उसके बाद ”हम सबने रफी जी से मुलाक़ात की, सबने रफ़ी साहब को समझाया, तो वो गुस्से में आ गए।” और मेरी तरफ देखकर बोले, “मुझे क्या समझा रहे हो, ये जो महारानी बैठी है इसी से बात करो।” तो मैंने भी गुस्से में कह दिया, “आपने मुझे सही समझा। मैं महारानी ही हूं।”
इसके बाद रफी साहब ने मुझसे कहा, “मैं तुम्हारे साथ गाने ही नहीं गाऊंगा।” मैंने भी पलट कर कह दिया, “आप ये तक़लीफ मत करिए, मैं ही नहीं गाऊंगी आपके साथ.” फिर मैंने कई संगीतकारों को फोन करके कह दिया कि मैं आइंदा रफ़ी साहब के साथ गाने नहीं गाऊंगी। इस तरह से हमारा तीन साढ़े तीन साल तक झगड़ा चला। लेकिन बाद में सब ठीक हो गया था।