फिल्म- द साबरमती रिपोर्ट
डायरेक्टर- धीरज सरना
निर्माता- एकता कपूर, शोभा कपूर
समय अवधि- 2 घंटे 7 मिनट
रेटिंग- 3.5/5

एकता कपूर अभी तक सास बहू और लव-सेक्स में ही उलझी रहती थीं। लेकिन, अब वो इससे ऊपर उठ चुकी हैं और एक बेहतरीन कहानी लेकर आई हैं। आपको साल 2002 का गुजरात के गोधरा में हुआ अग्निकांड तो याद होगा। इस घटना में साबरमती एक्सप्रेस में सैकड़ों लोगों को झुलसा दिया गया था। 27 फरवरी, 2002 की ये तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज है। साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को आग लगा दिया गया था। इस कोच में कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या से आ रहे थे। इस अग्निकांड में 59 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद इस घटना ने गुजरात में दंगों का रूप ले लिया था। करीब 3 महीनों तक अहमदाबाद के आस-पास के इलाके इस त्रासदी की चपेट में रहे थे। आजादी के बाद ये घटना देश के लिए सबसे बड़ी त्रासदी में से देखी गई थी। ऐसे में इसी घटना को रूबरू कराने के लिए एकता कपूर लेकर आई हैं, ‘द साबरमती रिपोर्ट’।

‘द साबरमती रिपोर्ट’ ना केवल फिल्म है बल्कि ये लोगों के दर्द को बयां करती है। इस घटना से रूबरू कराती है, जिसने देश को हिला कर रख दिया था। फिल्म में विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिधि डोगरा जैसे सितारों ने अहम रोल प्ले किया है। ऐसे में अगर आप इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं तो पहले इसके बारे में जान लीजिए कि फिल्म कैसी है और एक्टर्स की एक्टिंग। चलिए बताते हैं…

क्या है ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की कहानी?

‘द साबरमती रिपोर्ट’ की कहानी की बात की जाए तो इसमें गोधराकांड को दिखाया गया है। 27 फरवरी, 2002 को घटी इस घटना को पर्दे पर एकता कपूर ने उकेरा है और इस घटना को बहुत ही बारीकी से उन्होंने बताया है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे इस घटना को अंजाम दिया गया था और साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी को आग लगाकर 59 बेगुनाह लोगों को झुलसा दिया गया था। ‘द साबरमती रिपोर्ट’ में इस घटना का सच दिखाया गया है कि ये हादसा था या फिर साजिश। फिल्म एक रिपोर्ट के नजरिए से पड़ताल करती है।

कैसी है फिल्म?

इसके साथ ही ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के बारे में बात की जाए कि ये कितना लोगों और मेकर्स की उम्मीदों पर खरा उतरती है तो ये घटना से जुड़े हर पहलू को बहुत ही बारिकी से बताती है। फिल्म बड़ी ही हिम्मत के साथ साबरमती का सच दिखाती है। फिल्म में घटना के दौरान मीडिया के नजरिए को भी बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया गया है। साथ कुछ ऐसा भी दिखाया गया है, जो मीडिया की इमेज पर भी असर डालता है। घटना को लेकर कोर्ट में क्या कहा गया था, उस रिपोर्ट तक को फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म चटपटे अंदाज में नहीं पेश की गई है, ये केवल फैक्ट्स पर बात करती है और फैक्ट्स पर भी फिल्म का निर्माण किया गया है।

विक्रांत मैसी ने फिर जीता दिल, जानें बाकी एक्टर्स की एक्टिंग

’12वीं फेल’ में विक्रांत मैसी की जो एक्टिंग देखने के लिए मिली थी वो कमाल की थी। यहां से वो काफी लाइमलाइट में आ गए। इस मूवी की सफलता के बाद वो फॉर्म में हैं और एक और बार अपने शानदार अभिनय से सभी का दिल जीत लिया है। फिल्म में वो एक पत्रकार की भूमिका में हैं, जो घटना को पूरी तरह से कवर करता है। हिंदी बोलने वाले पत्रकार के रोल के साथ न्याय कर पाना काफी मुश्किल होता है। उनके अलावा शायद ही कोई इस किरदार के साथ न्याय कर पाता। उन्होंने इसे एकदम परफेक्शन के साथ निभाया है। वहीं, राशि खन्ना की बात की जाए तो वो एक ट्रेनी जर्नलिस्ट होती हैं। उन्होंने भी अपने रोल के साथ काफी मेहनत की है और इसके साथ न्याय किया है। वो इसमें सच का आईना भी दिखाने का काम करती हैं।

इसके साथ ही रिधि डोगरा के अभिनय पर नजर डाली जाए तो वो भी फिल्म में किसी के कम नहीं रहीं। उन्होंने भी कमाल का काम किया है। उनके किरदार से मीडिया पर्सन काफी हद तक खुद को रिलेट कर पाएंगे। रिधि जैसी पत्रकार न्यूज रूम में देखने के लिए मिल भी जाएंगी। उनके एक्सप्रेशन से लेकर एक्टिंग और सब कुछ काफी परफेक्ट देखने के लिए मिला है। वहीं, अन्य कलाकारों ने भी शानदार काम किया है।

डायरेक्शन ने फूंकी जान

सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों को पर्दे पर उकेरना काफी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होता है। इसमें काफी कुछ ध्यान रखना होता है कि कहीं एकाध फैक्ट इधर-उधर हुए तो छीछा लेदर हो जाएगा। लेकिन, ‘द साबरमती रिपोर्ट’ का निर्देशन कमाल का किया गया है। इसके डायरेक्टर धीरज सरना हैं, जिन्होंने दो घंटे में ही पूरी घटना के साथ उसके हर पहलू को दिखा दिया है। हालांकि, फिल्म में कुछ कमियां देखने के लिए मिलती हैं। ऐसा लगता है कि फिल्म में थोड़ा इमोशन और डालने की जरूरत थी। लेकिन, एक्टिंग इस कमी पर मिट्टी डाल देती है।

खैर, एक श्रेय तो एकता कपूर को भी जाना चाहिए। वो अक्सर सास-बहू के झगड़ों या फिर नागिन में बिजी रहती थीं। इसके अलावा अगर उन्होंने काम किया था तो लव और सेक्स पर। अब बोल्ड कंटेंट को छोड़कर एकता ने इस बार कमाल का सब्जेक्ट चुना है, जो कि काबिल-ए-तारीफ है। एकता के बारे में एक बात तो माननी होगी को वो कुछ नया ट्राई करने में पीछे नहीं रहती हैं। इस दौरान होने वाली आलोचना का भी खुलकर स्वागत करती हैं।

फिल्म देखनी चाहिए या नहीं?

जब बात देश की और देश के लोगों की हो तो सपोर्ट देश का ही करना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी ‘गोधराकांड’ के बारे में कम ही जानती होगी। यहां बात हो रही है 59 लोगों की जान गवां देने की। कम ही होता है कि सच्ची घटना से प्रेरित कंटेंट देखने के लिए मिलते हैं। ऐसे में देखना चाहिए और इसे अनुभव करना चाहिए। फिल्म को जरूर देखना चाहिए।