निरमा वॉशिंग पाउडर की शुरुआत साल 1969 में हुई थी, कई बार डिटर्जेंट की पैकेजिंग बदली, मगर हर बार एक चीज कॉमन थी। पैकेट में हमेशा एक लड़की डांस करते हुए दिखाई देती है। ये लड़की कोई और नहीं बल्कि निरमा ब्रैंड के संस्थापक करसनभाई पटेल की बेटी है। उत्तरी गुजरात के किसान परिवार में पले-बढ़े करसनभाई पटेल कभी सरकारी नौकरी किया करते थे। केमिस्ट्री में बीएससी कर चुके करसनभाई अहमदाबाद की एक बड़ी कॉटन मिल में लैब टेक्नीशियन थे और कुछ समय बाद उन्होंने गुजरात के जियोलॉजी एंड माइनिंग डिपार्टमेंट में नौकरी शुरू की। इसी नौकरी के दौरान करसनभाई को डिटर्जेंट का बिजनेस शुरू करने का आइडिया आया।
करसनभाई पटेल की एक बेटी थी, जिसका नाम था निरुपमा और वो प्यार से उन्हें ‘निरमा’ कहा करते थे। एक बार स्कूल से घर लौटते वक्त निरुपमा की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई। उस वक्त तो करसनभाई ने निरमा कंपनी के बारे में सोचा भी नहीं था, मगर जब वॉशिंग पाउडर ब्रैंड उन्होंने शुरू किया तो उन्होंने इसे अपनी बेटी निरुपमा को समर्पित किया और ब्रैंड का नाम रखा ‘निरमा’।
करसनभाई दिन में अपनी नौकरी में व्यस्त रहते थे, मगर काम से लौटने के बाद वो अपने बिजनेस आइडिया पर काम करते थे। उनके सामने डिटर्जेंट बनाने से लेकर उसे बेचने तक की चुनौती थी।
उस दौर में कुछ बड़े डिटर्जेंट ब्रैंड्स का मार्केट में दबदबा था। उनका रेट उस वक्त 13 से 15 रुपये प्रति किलो था। करसनभाई ने निरमा डिटर्जेंट पाउडर सिर्फ 3 रुपये में बेचना शुरू किया और वो खुद सड़कों पर उतरकर इसे बेचते थे।
अहमदाबाद में ये वॉशिंग पाउडर काफी पॉपुलर हो गया और करसनभाई अहमदाबाद के किरानों की दुकानों पर निरमा वॉशिंग पाउडर सप्लाई करने लगे। करसनभाई खुद साइकिल से निरमा के पैकेट्स को दुकानों पर सप्लाई किया करते थे। टीम बढ़ी तो करसनभाई की हिम्मत भी बढ़ी। फिर उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया, जिसके बाद सिर्फ अहमदाबाद नहीं बल्कि पूरे देश का नंबर 1 डिटर्जेंट बन गया निरमा।
करसनभाई ने एक एडवर्टाइजिंग एजेंसी से बात की और निरमा वॉशिंग पाउडर का टीवी विज्ञापन तैयार कराया। दूरदर्शन पर हिंदी और गुजराती दोनों भाषाओं में एड आया। निरमा का जिंगल – ‘सबकी पसंद निरमा’ लोगों की जुबान पर चढ़ गया। सस्ते होने की वजह से हर वर्ग के लोग इसे खरीदने लगे। हालांकि बाद में बेहतर क्वालिटी में कई और डिटर्जेंट मार्केट में उतरे और निरमा की बिक्री कम हो गई।
करसनभाई पटेल को साल 2010 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे निरमा फाउंडेशन, निरमा मेमोरियल ट्रस्ट और चनस्मा रूपपुर ग्राम विकास ट्रस्ट जैसे सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं।