वर्ष 2020 में पूर्णबंदी के बाद ओटीटी मंच की अपार सफलता और बालीवुड फिल्मों की विफलता देखते हुए ना सिर्फ दर्शक बल्कि पूरा फिल्म उद्योग इसी उधेड़बुन में लगा है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि सौ वर्षों से पूरी दुनिया पर राज करने वाली बालीवुड फिल्में दर्शकों द्वारा लगातार नकारी जा रही हैं। कई सारी सितारों से सजी फिल्में भी आई जो दर्शकों को नापसंद हुईं।
पिछले दिनों पुष्पा, आरआरआर, केजीएफ, और बाहुबली की अपार सफलता को देखते हुए बालीवुड निर्माताओं ने दक्षिण की पुनर्कृति फिल्मों का दौर शुरू कर दिया। लेकिन यहां भी दक्षिण की फिल्में जो हिंदी में दोबारा बनीं वह पिट गर्इं। इसी चक्कर में 2022 गुजर गया। लेकिन 2023 में बालीवुड में एक बार फिर से नया सैलाब आया। यह सैलाब था शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, जान अब्राहम अभिनीत सितारों से सजी फिल्म पठान का। इसी के विपरीत सितारों से सजी कई फिल्में कुत्ते, ऊंचाई, जुग जुग जियो, टोटल धमाल, सम्राट पृथ्वीराज आदि विफल रहीं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि अगर सितारों से सजी फिल्में सफल होती हैं तो यह सब फिल्में पिट कैसे गईं? एक नजर…..
फिल्म आलोचक और पत्रकार भावना शर्मा के अनुसार सफलता के लिए दो चीजें सबसे ज्यादा जरूरी होती हैं एक तो मजबूत कहानी और किरदारों के मुताबिक कलाकारों का चयन। अगर यह सब भी सही हो तो भी दर्शक उस फिल्म को स्वीकार लेते हैं। जैसे कि फिल्म कश्मीर फाइल्स में कलाकारों का चयन किरदारों के हिसाब से बेहतरीन था जबकि इस फिल्म में कोई नामचीन सितारे नहीं थे। बावजूद इसके कश्मीर फाइल्स को दर्शकों द्वारा स्वीकार किया गया। ऐसी ही कई और फिल्में जिसमे प्रसिद्ध कलाकार नहीं थे लेकिन मजबूत कहानी और कलाकारों का चयन फिल्म को सफलता की ओर ले गया।
वहीं सितारों से सजी कई फिल्में पिट गईं। कहना गलत ना होगा कि कहानी कमजोर होने की वजह से सितारों से सजी फिल्में भी पिट जाती हैं लेकिन अगर किसी फिल्म में अभिनेता के चयन के साथ मजबूत कहानी है तो उस फिल्म को सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। फिल्म आलोचक, संपादक नरेंद्र गुप्ता का मानना है की आज के समय में सितारों से सजी फिल्मों की सख्त जरूरत है ताकि उन सितारों के प्रशंसक अपने प्रिय कलाकार को देखने के लिए सिनेमा तक आएं। अगर सितारों से सजी फिल्में होंगी तो उसका बजट भी ज्यादा होगा और ज्यादा बजट होने से इसे बनाने पर भी ध्यान दिया जाएगा। लेकिन ये भी जरूरी है की फिल्म की कहानी दमदार हो। इन दोनों चीजों का तालमेल सही तरीके से होगा तो फिल्म को सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। एक समय था जब बड़े बैनर जैसे यशराज, बड़जात्या, निर्देशक सुभाष कई प्रकाश मेहरा, यश चोपड़ा और नामचीन सितारे अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र ,शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी, रेखा ,श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित के सिर्फ नाम पर ही फिल्म में बिक जाया करती थीं। इतना ही नहीं फिल्म प्रदर्शन से पहले ही यह फिल्में करोड़ों का कारोबार कर लेती थीं। काफी समय बाद ऐसा ही कुछ शाहरुख खान की फिल्म पठान के लिए देखने को मिला। फिल्म भले ही सितारों से सजी थी लेकिन कहानी कमजोर थी मगर शाहरुख खान की जबरदस्त शोहरत ने इसको सफलता को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया। कहने का मतलब यह है आज भी सितारों की ताकत का जोर देखने को मिलता है। ऐसे में अगर सितारों की ताकत के साथ बेहतरीन कहानी भी हो तो आज भी फिल्में पहले की तरह कई सारे कीर्तिमान बना सकती हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिर्फ सितारों से सजी फिल्में या सिर्फ अच्छी कहानी वाली फिल्में सफलता का पैमाना नहीं बन सकती हैं। अगर सितारों से सजी फिल्में सफलता की कुंजी होतीं तो रेस 3, कुत्ते, जुग जुग जियो, टोटल धमाल, और सम्राट पृथ्वीराज जैसी फिल्में ने पिटतीं। इससे यही निष्कर्ष निकलता है जिस तरह स्वादिष्ट व्यंजन में हर तरह के मसाले की जरूरत होती है। इसी तरह एक अच्छी फिल्म में सितारों की ताकत और मजबूत कहानी का होना भी बहुत जरूरी है।
आने वाली कुछ फिल्मों से दर्शकों को ढेर सारी उम्मीदें हैं। जैसे सलमान खान की टाइगर 3, कार्तिक आर्यन की शहजादा, दीपिका रितिक और टाइगर श्राफ की फाइटर, शाहरुख खान की डंकी और जवान। जो इसी साल में प्रदर्शित होने वाली है इन सभी फिल्मों का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। आने वाली फिल्मों में बालीवुड का तकरीबन 2000 करोड रुपए लगा हुआ है। ऐसे में बहुत जरूरी है निर्माता और सितारे फिल्म निर्माण को और ज्यादा गंभीरता से लें।
आरती सक्सेना