जीशान कादरी का जन्म झारखंड के वासेपुर में हुआ। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वासेपुर से मेरठ आए और नौकरी के लिए मेरठ से दिल्ली आ गए। पापा एमबीए करने की सलाह देते रहते थे। लेकिन जीशान की किस्मत में कुछ और ही था। दिल्ली में कॉल सेंटर की नौकरी भी किसी तरह चल रही थी। उसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें मुंबई चलने की सलाह दी। शुरू में तो उन्हें अजीब लगा फिर लगा कि किस्मत आज़माने में क्या हर्ज है, कुछ नहीं हुआ तो कॉल सेंटर में नौकरी या एमबीए तो है ही।

अनुराग और जीशान की मुलाकात की कहानी बड़ी दिलचस्प है।

यही सोचकर वे मुंबई आ गए। यहां उनका विश्व सिनेमा से परिचय हुआ। फ़िल्म सिटी ऑफ गॉड उन्हें काफी पसंद आई लेकिन उन्हें लगा कि इससे ज़्यादा हिंसा तो उनके खुद के गांव में होती है और इस तरह वे गैंग्स ऑफ वासेपुर की कहानी लिखने लगे। कहानी लिखने के बाद उन्होंने कई दफा अनुराग कश्यप के दफ्तर के चक्कर काटे, एक बार उन्हें पता चला कि अनुराग एक नाटक देखने गए हैं। जीशान वहीं पहुंच गए और उनकी मुलाकात अनुराग से हो गई। अनुराग ने स्क्रिप्ट पढ़ी और उन्होंने फ़ैसला कर लिया कि वे इस फ़िल्म को ज़रूर बनाएंगे।

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कादरी ने फ़िल्म का स्क्रीनप्ले और डाय़लॉग्स लिखे थे। उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 में भी रोल निभाया था। इस फ़िल्म के बाद उनकी ज़िदंगी पूरी तरह से बदल गई। उन्होंने एक साधारण से गांव से मुंबई तक का सफर तय किया। कोल माफिया की कहानी पर बनी गैंग्स ऑफ वासेपुर को दर्शकों और क्रिटिक्स ने खूब सराहा लेकिन कादरी की इस कहानी की उनके गांव के कई लोगों ने ही कद्र नहीं की। दरअसल उनके गांव के कई लोग इस बात से आहत थे कि इस फ़िल्म से उनके गांव का नाम खराब होगा और गांव के कुछ लोगों ने फ़िल्म के खिलाफ प्रदर्शन भी किए। कई एंटी सोशल तत्वों ने तो कादरी को मारने की धमकी भी दी। हालांकि इस सारे विवाद के बावजूद फ़िल्म अपने तयशुदा तारीख को 2012 में रिलीज़ हुई थी और देश विदेश में इस फ़िल्म ने सफलता के झंडे गाड़े थे। गौरतलब है कि कादरी गैंग्स ऑफ़ वासेपुर का तीसरा भाग भी बनाने जा रहे हैं। इसके अलावा वे अपने स्तर से हटकर एक रोमांटिक फ़िल्म भी बनाने जा रहे हैं। ये कहानी रोमियो और जूलियट पर होगी।