निर्देशक-अमित रवींद्रनाथ शर्मा, कलाकार- अर्जुन कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, मनोज वाजपेयी, राज बब्बर, दीप्ति नवल, राजेश शर्मा।

‘तेवर’ देसी और कस्बाई अंदाज की फिल्म है। आगरा और मथुरा के केंद्र में इसकी कहानी चलती है। लेकिन इसमें कहीं ब्रजभाषा या ब्रज की संस्कृति का पुट नहीं है। लगता है आप बिहार या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शोहदों और रंगबाजों को देख रहे हैं जो लाठी, तलवार और छुरे से लड़ते हैं, मारते हैं और कभी-कभी पिस्तौल भी निकाल लेते हैं। ऐसे कस्बों में जो शरीफजादे होते हैं वे भी एक किस्म के रंगबाज ही होते हैं।

एक ऐसा ही शरीफजादा मस्त रंगबाज है पिंटू शुक्ला (अर्जुन कपूर)। पिंटू कबड्डी का खिलाड़ी है और इस खेल में माहिर है। वह अपने बूते अपनी टीम को जिता देता है। पिंटू आगरा में रहता है जहां उसके पिता एसपी हैं। इस पद पर होते हुए भी वे निहायत ही साधारण से मोहल्ले के मकान में कांस्टेबल की तरह रहते हैं अपनी पत्नी (दीप्ति नवल) और बच्चों के साथ। निर्देशक भी बेचारा क्या करे, उसे यह जो दिखाना है कि पिंटू गली-मोहल्ले के छोकरों के साथ रहता है, ऐसे में उसे एसपी की कोठी में रहता हुआ तो नहीं दिखा सकते थे। तो तय किया कि एसपी को ही कांस्टेबल-नुमा मकान दे दिया जाए, जहां न कोई अर्दली हो और न नौकर। निर्देशक महोदय, माना कि उत्तर प्रदेश की सरकार कानून व्यवस्था में माहिर नहीं लेकिन अपने पुलिस अधिकारियों को रहने के लिए कोठी तो देती है। खैर, इस विसंगति के लिए निर्देशक को माफ किया जाए क्योंकि ऐसी चीजें तो बॉलीवुड में होती ही रहती हैं।

खैर, तो कबड्डी का खिलाड़ी पिंटू एक दिन मथुरा जाता है और पाता है कि गजेंद्र (मनोज वाजपेयी) नाम का गुंडा राधिका (सोनाक्षी सिन्हा) नाम की लड़की को जबरदस्ती उठा रहा है। पिंटू से रहा नहीं जाता कि उसके सामने कोई किसी लड़की पर हाथ डाले। आखिर वह लड़कियों की इज्जत नहीं बचाएगा तो कौन करेगा यह काम? इसलिए वह गजेंद्र को पीटकर उसी की गाड़ी से लड़की को भगा ले जाता है। जाते-जाते वह गजेंद्र की पैंट भी उतरवा लेता है और उसे सिर्फ चड्ढी में छोड़ देता है। अपने साथी गुंडों के सामने अपमानित महसूस करता गजेंद्र कसम खाता है कि वह तब तक चड्ढी में ही रहेगा और पैंट नहीं पहनेगा, जब तक कि राधिका उससे मिल नहीं लेती। गजेंद्र राधिका से प्यार करने लगा है और उसे हर कीमत पर अपनी पत्नी बनाना चाहता है। अब आगे की कहानी में जो होगा उसे तो आप समझ ही गए होंगे। सारा ड्रामा होता है।

‘तेवर’ तेलुगु फिल्म की रीमेक है। इस पर दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माण शैली का असर है। लेकिन उत्तर भारतीय आम जिंदगी के अक्स भी इसमें हैं। अर्जुन कपूर ने कबड्डी के खिलाड़ी के रूप में बहुत अच्छी भूमिका निभाई है। लेकिन मारधाड़ के दृश्यों में वह पूरी तरह जम नहीं पाते। फिल्म के एक गाने में उनके बोल हैं- ‘मैं हंू सलमान का फैन’। कह सकते हैं कि सलमान खान की शैली उन पर हावी है। मनोज वाजपेयी एक खलनायक के रूप में कई तरह की भावनाएं जगाते हैं। इसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए। हालांकि इस फिल्म में उनकी अभिनय शैली वही है जो ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ में थी। सोनाक्षी सिन्हा में शोखी भी है और संजीदगी भी। फिल्म में गाने अच्छे हैं लेकिन होली दिखाने के समय एक अच्छा गाना होना चाहिए था जो मौका निकल गया। इसमें महानगरीय जिंदगी नहीं है लेकन देहाती मिजाज के हास्य और संवाद जरूर हैं। ‘इशकजादे’ में अर्जुन कपूर लखनऊ में थे। इस बार जमुना किनारे वाला छोरा बन आगरा पहुंच गए हैं। अगली फिल्म में वे कहां होंगे? भोपाल या जयपुर?