Uttar Ramayan: प्रभु श्री राम राजा जनक और गुरु वशिष्ठ द्वारा मिले ज्ञान के बाद अब राजा के कर्तव्यों का पालन करने के लिए तैयार हो गए हैं। अयोध्या पहुंचे ऋषियों ने भगवान से सहायता की मांग की है। भगवान से सहायता मांगने पहुंचे ऋषि मुनियों को प्रभु ने वचन दिया कि उनकी हर पीड़ा को दूर किया जाएगा। ऋषि मुनियों ने बताया कि लवनासुर नाम का दैत्य है जो उनको परेशान किए हुए है। उसके पास भगवान शिव द्वारा दिया गया त्रिशूल है जिससे वो किसी को भी मार सकता है। इसी वजह से उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है।

प्रभु श्री राम ने ऋषियों की मदद करने का बीड़ा अपने सबसे छोटे भाई शत्रुघन को दिया है। इस दौरान श्री राम ने कहा कि लवनासुर के अंत के बाद तुम्हें वहां का राजा बनाया जाएगा जिसका राज्य अभिषेक हम अभी यहीं करते हैं। इससे पहले धारावाहिक में आपने देखा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम प्रभु और साक्षात मां लक्ष्मी की प्रतिमा सीता माता अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आज उस परिस्थिति में जा पहुंचे हैं जहां उनके पास सिर्फ एक दूसरे की यादों के अलावा और कुछ नहीं है।

किसने सोचा था कि पापी रावण का अंत कर जब प्रभु माता सीता को छुड़ाएंगे तब भी उन्हें स्वयं अपनी मात्र भूमि की प्रजा की संकुचित सोच के कारण, राजधर्म का पालन करते हुए ये दिन भी देखना पड़ेगा। जब अति पावन मां सीता प्रभु श्री राम का त्याग करके वन में चली जाएंगी और एक बार फिर जन्म जन्म के साथी सिया और राम अलग हो जाएंगे। वहीं राजा होने का दायत्व निभा रहे प्रभु श्री राम की हालत देख उनसे मिलने आए मिथिला नरेश जनक भावुक हो जाते हैं। श्री राम, सीता जी के पिता जनक से कहते हैं कि आपके मन में बहुत सारे प्रश्न होंगे।

आप पिता होने के नाते पूछना चाहते होंगे कि सीता का दोष क्या था। आप मुझ पर अमानवीय और स्त्री पर अत्याचार का आरोप लगाना भी चाह रहे होंगे लेकिन एक पुत्री के पिता होने के चलते कुछ भी पूछने में संकोच कर रहे हैं। मैं सोचा करता था कि एक दिन आप सारे प्रश्न पूछने अवश्य आएंगे तो मैं क्या उत्तर दूंगा। आप जितने भी आरोप लगाना चाहते हैं वह सभी सत्य है। मैं परम् दोषी हूं। मैं आपका और सीता का दोषी हूं। जो दंड देना चाहते हैं सब स्वीकार है।

जनक राम से कहते हैं- राम दंड तो स्वयं तुम अपने आप को दे रहे हो। इससे अधिक मैं दंड क्या दूंगा। मैं विधि का ये खेल देख रहा हूं कि किस प्रकार एक महामानव उस पाप का दंड भोगता है जो पाप उसने किया ही नहीं है। एक राजा अपने राजमहल में रहते हुए भी साधु हो चुका है। राम तुम्हारे इस अवस्था से पीड़ा होती है। राम कहते हैं जो वन में मारी मारी भटक रही होगी, उसकी तरफ आपका ध्यान ही नहीं जाता है। जनक कहते हैं वह निःसहाय नहीं है उसके साथ उसका धर्म है।

 

Live Blog

10:27 (IST)26 Apr 2020
शत्रुघन ने उठाया लवनासुर के वध का बीड़ा

भगवान से सहायता मांगने पहुंचे ऋषि मुनियों को प्रभु ने वचन दिया कि आपकी हर पीड़ा का हम इलाज करेंगे। इस दौरान ऋषि ने बताया कि एक लवनासुर नाम का दैत्य है जो ऋषि मुनियों को बहुत परेशान करता है। उसके पास भगवान शिव द्वारा दिया गया त्रिशूल है जिससे वो किसी को भी मार सकता है। इसी वजह से उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है। प्रभु श्री राम ने ऋषियों की मदद करने का बीड़ा अपने सबसे छोटे भाई शत्रुघन को दिया है। इस दौरान श्री राम ने कहा कि लवनासुर के अंत के बाद तुम्हें वहां का राजा बनाया जाएगा जिसका राज्य अभिषेक हम अभी यहीं करते हैं।

10:08 (IST)26 Apr 2020
दैत्य से दुखी होकर ऋषि मुनियों ने किया अयोध्या की ओर प्रस्थान

दैत्य से दुखी होकर ऋषि मुनियों ने अयोध्या की ओर प्रस्थान किया। अयोध्या पहुंचे ऋषियों का सत्कार प्रभु श्री राम ने उनके पैर धोकर किया है। ऋषियों ने भगवान से सहायता की मांग की है। भगवान से सहायता मांगने पहुंचे ऋषि मुनियों को प्रभु ने वचन दिया कि आपकी हर पीड़ा का हम इलाज करेंगे। इस दौरान ऋषि ने बताया कि एक लवनासुर नाम का दैत्य है जो ऋषि मुनियों को बहुत परेशान करता है। उसके पास भगवान शिव द्वारा दिया गया त्रिशूल है जिससे वो किसी को भी मार सकता है। इसी वजह से उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है।

09:53 (IST)26 Apr 2020
लक्ष्मण और राम में हुआ संवाद

श्री राम के सेनापति आर्य सुमंत ने लक्ष्मण को बताया कि गुरुदेव को पता था कि श्री राम को वनवास मिलना है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये बात आपके पिता दशरथ भी जानते थे और मैं भी जानता था। आर्य सुमंत ने आर्य सुमंत द्वारा लक्ष्मण को बताई गई सारी बातों के बाद, लक्ष्मण जी के मन में प्रश्न आ रहे थे जिसे उन्होंने श्री राम प्रभु से पूछा कि क्या आप भगवान विष्णु के अवतार हैं। जिसके बाद प्रभु श्री राम ने बड़े ही विनम्रता से कहा कि सबके अंदर भगवान है बस पहचानना आना चाहिए। भगवान कण कण में वास करते हैं।

09:38 (IST)26 Apr 2020
सेनापति आर्य सुमंत और लक्ष्मण में हुआ संवाद

श्री राम के सेनापति आर्य सुमंत ने लक्ष्मण को बताया कि गुरुदेव को पता था कि श्री राम को वनवास मिलना है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये बात आपके पिता दशरथ भी जानते थे और मैं भी जानता था। आर्य सुमंत ने लक्ष्मण जी को बताया कि राम साक्षात विष्णु का अवतार हैं। लेकिन सीता माता से वियोग उन्हें ऋषि के श्रॉप के कारण झेलना पड़ रहा है। एक बार भगवान विष्णु ने दैत्यों को शरण देने के कारण भ्रिगु ऋषि की पत्नी का सर सुदर्शन से काट दिया था। जिसके बाद उस ऋषि ने भगवान विष्णु को श्रॉप दिया है।

09:30 (IST)26 Apr 2020
लक्ष्मण हुए व्याकुल

सीता मां की सखी चंद्रप्रभा की बातों को सुन प्रभु राम भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि वो बिल्कुल ठीक कह रही है। ऐसे में भाई के मन में छिपी अपार पीड़ा को देखकर लक्ष्मण जी की आंखें भर जाती हैं।

09:18 (IST)26 Apr 2020
सीता मां की सखी चंद्रप्रभा हुई नाराज

प्रभु श्री राम से सबसे ज्यादा सीता मां की सखी चंद्रप्रभा नाराज दिखीं। जिसके बाद श्री राम के उससे कहा कि जो कुछ कहना है कह दो क्रोध भी करना है तो कर सकती हो। जिसके बाद चंद्रप्रभा कहती हैं कि मैं मिथिला की दीवारों पर लिख दूंगी कि अब कोई मिथिला वाला अपनी बेटी को अयोध्या ना बिहाए क्योंकि अयोध्या वाले सीता को सही से संभाल नहीं पाए।

09:11 (IST)26 Apr 2020
मिथिला की महारानी से श्री राम ने मांगी माफी

सीता के वियोग में डूबे श्री राम ने मिथिला की महारानी से माफी मांगी है। जिसके बाद महारानी ने भावुक स्वर में कहा कि सीता के उपरांत मेरा सबकुछ अब तुम ही हो। जिसके बाद श्री राम ने कहा कि ऐसा कह कर आपने मुझपर उपकार किया है।

09:09 (IST)26 Apr 2020
सुनैना को देखने पहुंचे राम

प्रभु श्री राम मिथिला नरेश और सीता मां के पिता जनक के साथ मां सुनैना की तबियत का हालचाल लेने पहुंच चुके हैं। इस दौरान सुनैना श्री राम के आने की सूचना मिलने से अत्यधिक प्रसन्न हैं।

08:45 (IST)26 Apr 2020
रामायण 26 अप्रैल एपिसोड...

रामायण में अबतक आपने देखा कि जनक राम से कहते हैं- राम दंड तो स्वयं तुम अपने आप को दे रहे हो। इससे अधिक मैं दंड क्या दूंगा। मैं विधि का ये खेल देख रहा हूं कि किस प्रकार एक महामानव उस पाप का दंड भोगता है जो पाप उसने किया ही नहीं है। एक राजा अपने राजमहल में रहते हुए भी साधु हो चुका है। राम तुम्हारे इस अवस्था से पीड़ा होती है। राम कहते हैं जो वन में मारी मारी भटक रही होगी, उसकी तरफ आपका ध्यान ही नहीं जाता है। जनक कहते हैं वह निःसहाय नहीं है उसके साथ उसका धर्म है।

22:20 (IST)25 Apr 2020
शत्रुघन ने उठाया लवनासुर के वध का बीड़ा

प्रभु श्री राम ने ऋषियों की मदद करने का बीड़ा अपने सबसे छोटे भाई शत्रुघन को दिया है। इस दौरान श्री राम ने कहा कि लवनासुर के अंत के बाद तुम्हें वहां का राजा बनाया जाएगा जिसका राज्य अभिषेक हम अभी यहीं करते हैं। 

22:12 (IST)25 Apr 2020
ऋषियों ने श्री राम को बताया लवनासुर नाम का दैत्य करता है परेशान

भगवान से सहायता मांगने पहुंचे ऋषि मुनियों को प्रभु ने वचन दिया कि आपकी हर पीड़ा का हम इलाज करेंगे। इस दौरान ऋषि ने बताया कि एक लवनासुर नाम का दैत्य है जो ऋषि मुनियों को बहुत परेशान करता है। उसके पास भगवान शिव द्वारा दिया गया त्रिशूल है जिससे वो किसी को भी मार सकता है। इसी वजह से उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है।

22:06 (IST)25 Apr 2020
अयोध्या पहुंचे ऋषियों के पैर धोकर खुद प्रभु ने किया अतिथि सत्कार

अयोध्या पहुंचे ऋषियों का सत्कार प्रभु श्री राम ने उनके पैर धोकर किया है। जिसके बाद ऋषियों का हृदय प्रफुल्लित हो गया है। ऋषियों ने भगवान से सहायता की मांग की है। 

22:03 (IST)25 Apr 2020
दिव्य दृष्टि से ऋषि वाल्मीकि ने सीता माता को बताया कि तुम्हारे 2 जुड़वा पुत्र होंगे

महर्षि वाल्मीकि ने अपनी दिव्य दृष्टि से देख लक्ष्मी का अवतार सीता मां को बताया है कि तुम्हारे दो पुत्र होंगे वो भी जुड़वा होंगे। 

21:57 (IST)25 Apr 2020
लक्ष्मण की शंका को प्रभु ने किया दूर

आर्य सुमंत द्वारा लक्ष्मण को बताई गई सारी बातों के बाद, लक्ष्मण जी के मन में प्रश्न आ रहे थे जिसे उन्होंने श्री राम प्रभु से पूछा कि क्या आप ही भगवान हैं। जिसके बाद प्रभु श्री राम ने कहा कि सबके अंदर भगवान है बस पहचानना आना चाहिए। भगवान कण कण में वास करते हैं। इसके बाद प्रभु ने कहा कि सीता के जाने के बाद अब कर्तव्य पालन का वक्त आ गया है। हमें सीता से ये सीख लेनी चाहिए की अपने कर्तव्य पथ पर कैसे चला जाता है।

21:49 (IST)25 Apr 2020
ऋषि भ्रिगु के शाप के कारण भगवान राम को सहना पड़ रहा पत्नी वियोग

आर्य सुमंत ने लक्ष्मण जी को बताया कि राम साक्षात विष्णु का अवतार हैं। लेकिन सीता माता से वियोग उन्हें भ्रिगु ऋषि के श्रॉप के कारण झेलना पड़ रहा है। एक बार भगवान विष्णु ने दैत्यों को शरण देने के कारण भ्रिगु की पत्नी का सर सुदर्शन से काट दिया था। जिसके बाद उस ऋषि ने भगवान विष्णु को श्रॉप दिया है। 

21:39 (IST)25 Apr 2020
आर्य सुमंत ने लक्ष्मण को बताया कि गुरुदेव जानते थे कि ये घटना होनी हैं

श्री राम के सेनापति आर्य सुमंत ने लक्ष्मण को बताया कि गुरुदेव को पता था कि श्री राम को वनवास मिलना है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ये बात आपके पिता दशरत भी जानते थे और मैं भी जानता था।

21:35 (IST)25 Apr 2020
कुलगुरु वशिष्ठ ने श्री राम प्रभु से वैराग्य छोड़ कर्म करने की आज्ञा दी

अयोध्या के राजा प्रभु श्री राम को राजा जनक से मिले ज्ञान के बाद उनके कुलगुरु वशिष्ठ ने भी उन्हें वैराग्य और शोक छोड़कर अब कर्म करने का परामर्श दिया है। उन्होंने कहा कि श्री राम अब तुम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करो। राज्यधर्म को निभाओ 

21:27 (IST)25 Apr 2020
मिथिला से श्री राम ने ली विदा

अपनी सास को देखने अपने ससुर मिथिला नरेश जनक के साथ मिथिला पहुंचे प्रभु श्री राम अब वहां से विदा ले रहे हैं। इस दौरान राजा जनक उनको कुल देवी के दर्शन कराते वक्त एक ज्ञान दे रहे हैं। राजा जनक ने श्री राम से कहा कि हर दुख के बाद सुख आता है। इस लिए तुम्हें उदास नहीं होना चाहिए। 

21:24 (IST)25 Apr 2020
सीता की सखी चंद्रप्रभा ने कहा मैं नहीं चाहती अब कोई मिथिला वाला अयोध्या में अपनी बेटी का विवाह कराए

मिथिला पहुंचे प्रभु श्री राम से सबसे ज्यादा सीता मां की सखी चंद्रप्रभा नाराज दिखीं। जिसके बाद श्री राम के उससे कहा कि जो कुछ कहना है कह दो क्रोध भी करना है तो कर सकती हो। जिसके बाद चंद्रप्रभा कहती हैं कि मैं मिथिला की दीवारों पर लिख दूंगी कि अब कोई मिथिला वाला अपनी बेटी को अयोध्या ना बिहाए क्योंकि अयोध्या वाले सीता को सही से संभााल नहीं पाए।

21:12 (IST)25 Apr 2020
भावुक श्री राम ने मिथिला की महारानी से माफी

सीता मां के वियोग में डूबे श्री राम ने मिथिला की महारानी और मिथिला के महाराज जनक से माफी मांगी है। जिसके बाद महारानी ने भावुक स्वर में कहा कि सीता के उपरांत मेरा सबकुछ अब तुम ही हो। जिसके बाद श्री राम ने कहा कि ऐसा कह कर आपने मुझपर उपकरा किया है।

21:06 (IST)25 Apr 2020
मिथिला पहुंचे प्रभु श्री राम

मिथिला नरेश और सीता मां के पिता जनक के साथ भगवान मिथिला उनकी मां सुनैना की तबियत खराब की सूचना मिलने पर पहुंच गए हैं इस दौरान सुनैना श्री राम के आने की सूचना मिलने से अत्यधिक प्रसन्न हैं। 

21:00 (IST)25 Apr 2020
राजमहल में भी रहते हुए साधु हुए राम...

जनक राम से कहते हैं- राम दंड तो स्वयं तुम अपने आप को दे रहे हो। इससे अधिक मैं दंड क्या दूंगा। मैं विधि का ये खेल देख रहा हूं कि किस प्रकार एक महामानव उस पाप का दंड भोगता है जो पाप उसने किया ही नहीं है। एक राजा अपने राजमहल में रहते हुए भी साधु हो चुका है। राम तुम्हारे इस अवस्था से पीड़ा होती है।

20:53 (IST)25 Apr 2020
राम ने माना खुद को परम दोषी

राम जी राजा जनक से कहते हैं कि आप मुझपर अमानवीय और स्त्री पर अत्याचार का आरोप लगाना भी चाह रहे होंगे लेकिन एक पुत्री के पिता के होने के चलते कुछ नहीं पूछ पा रहे हैं। मैं सोचा करता कि एक दिन सारे प्रश्न पूछने अवश्य आएंगे तो मैं क्या उत्तर दूंगा। राम आगे कहते हैं-एक ही उत्तर है। आप जितने भी आरोप लगाना चाहते हैं वह सभी सत्य है। मैं परम् दोषी हूं। मैं आपका और सीता का दोषी हूं। जो दंड देना चाहते हैं सब स्वीकार है।