Shri Krishna 6th May 2020 Episode 3 Online Update: वासुदेव ने अपने वचन का पालन करते हुए देवकी के प्रथम पुत्र को कंस के हवाले कर दिया। कंस, वासुदेव से पूछता है कि तुमने इसका क्या नाम रखा है जिसपर वासुदेव उनसे कहते हैं कि कीर्तिमान। बच्चे का नाम सुनकर कंस हंस पड़ता है और कहता है कि इतना छोटा बालक और इतना बड़ा नाम। कंस ने ये कहकर वासुदेव का पुत्र उनको सौंप दिया कि मुझे तुम्हारे इस पुत्र से कोई भय नही है। कंस कहता है कि मुझे तुम्हारे आठवें पुत्र से खतरा है मैं उसका वध करुंगा। कंस का मन बदल चुका है कंस के मंत्री ने उसे सलाह देते हुए कहा कि विष्णु हमेशा से ही छल से सबको मारते आए हैं ऐसे में आपने देवकी के पुत्र को छोड़कर उचित नही किया।

कंस इस बात पर गहनता से विचार करता है और आखिरकार अपनी बहन के हाथों से उसका पुत्र छीनकर उसका वध कर देता है। पुत्र की निर्मम हत्या देखकर माता देवकी का हृदय छलनी हो जाता है। कंस को लगातार इस बात का डर सता रहा है कि कहीं प्रजा विद्रोह न कर दे जिसके चलते कंस ने अपने सैनिकों को आदेश दिया है कि जाओ और जाकर देखो बाहर कैसा माहौल है महाराज की हालत कैसी है।

वहीं इससे पहले हमने देखा कि वासुदेव बारातियों संग कंस के द्वार पर पधारते हैं। कंस अपनी बहन का ब्याह धूमधाम से कराता है। विदाई का समय देवकी अपनी मां को बताती है कि मां मन में एक भय सा है, ऐसा लग रहा है कि कोई घटना घटने वाली है। तभी कंस कक्ष में आता है और कहता है कि मुझे भी ऐसा ही भय लग रहा है। कंस अपनी बहन से कहता है कि ससुराल में किसी ने तुमसे कुछ कहा तो मुझे बताना। तुम कंस की बहन हो। याद रखना।

कंस खुद सारथी बन बहन को ससुराल तक विदा करने जाता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है- इतनी प्रसन्नता से रथ में बैठा कर ले जा रहा है उसी देवकी की आठवीं संतान तुझे मार डालेगा। आठवां पुत्र तेरा काल होगा और तुझे मार डालेगा। कंस कहता है मेरा काल, मुझे मार डालेगा। जिससे देवता कांपते हैं उसे देवकी की आठवीं संतान मार डालेगा। ऐसा कह कंस हंसने लगता है। कहता है मैं इसके मूल को ही नष्ट कर देता हूं। ना रहेगी देवकी ना संतान होगा। कंस ने देवकी का वध करने की ठान लेता है।

 

 

Live Blog

21:55 (IST)06 May 2020
पिता ने लगाई पुत्र से गुहार

कंस के पिता ने अपने पुत्र से मृत्यु की गुहार लगाई जिसपर कंस ने उन्हें काल कोठरी में बंद कर दिया। महाराज ने बेटे के इस व्यवहार से दुखी होकर रोते हुए भगवान से विनती की कि कभी भी किसी को ऐसा पुत्र न देना भले ही उसे बिना संतान के रखना।

21:43 (IST)06 May 2020
कंस ने दिया महाराज को धोखा

महाराज ने कंस से युद्ध किया लेकिन वो कंस के सामने टिक न सके। महाराज ने कंस से मृत्यु की गुहार लगाई जिसपर कंस ने कहा तुम इस लायक नही हो। कंस ने महाराज को बंदी बनाने का आदेश देते हुए कालकोठरी में डाल दिया है। 

21:37 (IST)06 May 2020
महाराज ने दिया कंस को बंदी बनाने का आदेश

महाराज ने कंस को बंदी बनाने का आदेश दिया लेकिन यहां पर भी कंस ने अपनी चाल चलते हुए महाराज के सारे सैनिकों को मार दिया। कंस महाराज से कहता है कि अब आपका राजपाठ का समय पूरा हुआ महाराज भलाई इसी में है कि आप मुझे मुकुट पहनाकर मुझे राजा घोषित करें।

21:31 (IST)06 May 2020
कंस को सता रहा है विद्रोह का डर

कंस को लगातार इस बात का डर सता रहा है कि कहीं प्रजा विद्रोह न कर दे जिसके चलते कंस ने अपने सैनिकों को आदेश दिया है कि जाओ और जाकर देखो बाहर कैसा माहौल है महाराज की हालत कैसी है। वहीं दूसरी और महाराज कंस से काफी गुस्से में हैं और उन्होंने अपने सेनापति से कंस को बंदी बनाकर पकड़ लाने का आदेश दिया है।

21:19 (IST)06 May 2020
कंस का बदला मन

कंस का मन बदल चुका है कंस के मंत्री ने उसे सलाह देते हुए कहा कि विष्णु हमेशा से ही छल से सबको मारते आए हैं ऐसे में आपने देवकी के पुत्र को छोड़कर उचित नही किया। कंस इस बात पर गहनता से विचार करता है और आखिरकार अपनी बहन के हाथों से उसका पुत्र छीनकर उसका वध कर देता है। पुत्र की निर्मम हत्या देखकर माता देवकी का हृदय छलनी हो जाता है।

21:10 (IST)06 May 2020
कंस ने किया बालक का वध करने से मना

कंस ने ये कहकर वासुदेव का पुत्र उनको सौंप दिया कि मुझे तुम्हारे इस पुत्र से कोई भय नही है। कंस कहता है कि मुझे तुम्हारे आठवें पुत्र से खतरा है मैं उसका वध करुंगा।

21:08 (IST)06 May 2020
देवकी के प्रथम पुत्र को वासुदेव ने किया कंस के हवाले

वासुदेव ने अपने वचन का पालन करते हुए देवकी के प्रथम पुत्र को कंस के हवाले कर दिया है। कंस, वासुदेव से पूछता है कि तुमने इसका क्या नाम रखा है जिसपर वासुदेव उनसे कहते हैं कि कीर्तिमान। बच्चे का नाम सुनकर कंस हंस पड़ता है और कहता है कि इतना छोटा बालक और इतना बड़ा नाम।

20:59 (IST)06 May 2020
महाभारत में अब तक आपने देखा...

कंस अपनी बहन से कहता है कि ससुराल में किसी ने तुमसे कुछ कहा तो मुझे बताना। तुम कंस की बहन हो। याद रखना।कंस के जाने के बाद मां देवकी को समझाती है कि भाई ने जो कहा वह भूल जाना। ससुराल जाने के बाद वो ही तेरा घर है, इस बात का खयाल रखना। जो नारी आदर्श की इस सीढ़ी पर खड़ी होती है वही सबसे ऊंची दिखती है औऱ नारी की पूजा होती है।