Ramayan, Ramanand Sagar: कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते देश में लागू लॉक डाउन के बीच दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत जैसे पुराने सीरियल्स का एक बार फिर प्रसारण किया जा रहा है। दर्शक इन सीरियल्स को खूब पसंद भी कर रहे हैं। एक जमाने में रामानंद सागर के निर्देशन में बनी रामायण की लोकप्रियता का आलम यह था कि सड़कें खाली हो जाया करती थीं, लोग टीवी से चिपक जाते थे। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि रामायण को बनाने में रामानंद सागर को तमाम मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था, यहां तक कि 10 साल तक कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़े।
जब दर्शक अड़ गए जिद पर: रामायण का पहली बार प्रसारण साल 1987 में शुरू हुआ था और यह 1988 तक चला। रामायण के जब 78 एपिसोड पूरे हो गए तो दर्शकों ने लव-कुश की कहानी भी दिखाने की मांग की और लगभग जिद पर अड़ गए। हालांकि सीरियल के निर्माता रामानंद सागर इसके लिए तैयार नहीं थे। ‘बीबीसी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक रामानंद सागर का कहना था कि अगर वे लव कुश की कहानी बनाएंगे तो यह एक काल्पनिक कहानी होगी। विवाद इतना बढ़ गया कि मामला कोर्ट में पहुंच गया और रामानंद सागर पर 10 साल तक कोर्ट केस चलता रहा।
80 के दशक में रामायण की लोकप्रियता का आलम यह था राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को लोग भगवान की तरह पूजते थे। ठीक यही स्थिति सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका के साथ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब रामायण में रावण की मृत्यु हुई तो रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी के गांव में बाकायदे शोक मनाया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस दौर में रामायण की शूटिंग लगातार 550 से ज्यादा दिनों तक चली थी। कई बार जब जूनियर कलाकारों की कमी पड़ जाती तो गांव-गांव मुनादी कराई जाती और कलाकार भर्ती किए जाते थे। रामायण दूरदर्शन पर प्रसारित संभवत: पहला ऐसा सीरियल था, जिसमें स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया गया था। जैसे- पुष्पक विमान का उड़ना और हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाना। इन स्पेशल इफेक्ट्स ने सीरियल में जान डाल दी थी।