Ramayan 23rd May Episode Update: प्रभु राम की आज्ञा का पालन करते हुए भरत ने कार्यभार संभाल लिया है। वहीं श्रीराम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ तपस्विनी महासती अनुसुइया के पास चित्रकूट में ही एक आश्रम में जाते हैं। प्रभु राम मुनियों का आशीर्वाद लेते हैं। इस दौरान ऋषियों द्वारा श्रीराम को असुरों और राक्षसों के अत्याचार के बारे में पता चलता है जिसपर श्रीराम और लक्ष्मण असुरों और राक्षसों का सामना करके उनका वध करने का प्रण लेते हैं।
वहीं दूसरी तरफ प्रभु राम की आज्ञा का पालन करते हुए भरत ने कार्यभार संभाल लिया है। भरत अपनी मां से आशीर्वाद लेते हुए नंदीग्राम की ओर रवाना हो जाते हैं। भरत कहते हैं कि जब तक श्री राम अयोध्या वापस नही आएंगे तब तक वो भी अयोध्या का सुख नही भोगेंगे और वन में रहकर ही राज्य का सारा कार्यभार संभालेंगे। प्रभु श्री राम के प्रति भाई के इस आदरभाव को देखकर सभी लोग भावुक हो उठते हैं।
कुमार भरत से नंदीग्राम में मिलने उनकी पत्नी आती हैं और उनसे गुहार लगाते हुए सेवा का आधिकार मांगती हैं।भरत की पत्नी उनसे कहती हैं कि वो भी उनके साथ वन में रहकर उनकी सेवा करना चाहती हैं। जिसपर भरत उनसे कहते हैं कि वो इस घड़ी में उनका साथ दें और अयोध्या में रहकर माता की सेवा करें।
रानी कैकेयी भी राम से क्षमा मांगती है और कहती हैं कि वो अपने वचनों को वापस लेकर उन्हें उन वचनों से मुक्त करती है। इसपर राम कहते हैं कि वचन वापस लेने का अधिकार सिर्फ पिताश्री का था और अब बहुत देर हो चुकी है। पिताश्री की मृत्यु के पश्चात हम ये वचन नहीं तोड़ सकते। बहुत मनाने पर भी श्रीराम नहीं मानते और वनवास को त्यागने को तैयार नहीं होते हैं। इससे पहले रामायण में दिखाया गया कि राम से बिछड़ने के वियोग में भाई भरत का काफी बुरा हाल हो जाता है। ऐसे में भरत श्रीराम से वापस अयोध्या चलने की गुहार लगाते हैं।
श्री राम ऋषि की कुटिया मेें जाकर उनके दर्शन करते हैं। प्रभु को कुटिया में देख ऋषि भावुक हो जाते हैं और प्रभु के पैर छुकर कहते हैं कि आज श्री राम के आ जाने से उनका जीवन धन्य हो गया है।
श्री राम ने वनवास में 10 वर्ष काट लिए हैं। लक्ष्मण प्रभु राम से सवाल पूछते हैं कि भैया इन 10 वर्षों में हम न जाने कितने मुनियों और महात्माओं से मिल अब तो उनका नाम तक याद रखना मुश्किल है। जिसपर राम, लक्ष्मण से कहते हैं कि नाम तो बाहरी आवरण हैं हमें लोगों को केवल उनके गुणों से याद करना चाहिए क्योंकि शरीर तो चला जाता है और केवल गुण ही रह जाते हैं।
महामुनि प्रभु श्री राम को दिव्य ज्ञान देकर अपना शरीर त्याग दिए हैं। मुनिवर को शरीर त्यागता देख लक्ष्मण राम जी से पूछते हैं कि क्या हुआ भैया जिसपर राम जी उनसे कहते हैं कि आज मुनिवर के जीवन का लक्ष्य पूरा हुआ और उन्होंने योग की मदद से अपने शरीर का त्याग कर दिया है।
प्रभु श्री राम महामुनि से कहते हैं कि मैंने आपके और देवराज के बीच की वार्ता सुनी जिसपर महामुनि उनसे कहते हैं किआज मैं धन्य हो गया कि मुझे आपके दर्शन हुए। आपके दर्शन के लिए मैं कुछ भी ठुकरा सकता हूं।
देवलोक से इन्द्र महामुनि से मिलने आए हैं। देवराज मुनिराज को अपने साथ स्वर्ग ले जाने आए हैं जिसपर महामुनि उनसे कहते हैं कि हम अपनी इच्छा से ही कही जाएंगे और अभी ऐसा कर पाना संभव नही है क्योंकि हमारे आश्रम में श्री राम का आगमन हुआ है।
श्रीराम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ तपस्विनी महासती अनुसुइया के पास चित्रकूट में ही एक आश्रम में जाते हैं। प्रभु राम मुनियों का आशीर्वाद लेते हैं। इस दौरान ऋषियों द्वारा श्रीराम को असुरों और राक्षसों के अत्याचार के बारे में पता चलता है जिसपर श्रीराम और लक्ष्मण असुरों और राक्षसों का सामना करके उनका वध करने का प्रण लेते हैं।
श्री राम वन में समय बिता रहे हैं ऐसे में बहुत जल्द रामायण में प्रभु राम की लीला का नया अध्याय शुरू होगा। वहीं दूसरी ओर सीता जी की माता का आगमन अयोध्या में हुआ है कैकेयी शर्मिंदा हैं कि उनकी वजह से सीता जी को अयोध्या की जगह वन में जाना पड़ा। सीता जी की मां माता कहती हैं कि महाराज ने मुझसे कहा है कि लौटने से पहले एक बार माता कौशल्या के पैर छू लेना और इसी कार्य के लिए मैं यहां आई हूं।
श्री राम भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ महामुनि के दर्शन करने के लिए पहुंच चुके हैं। ऋषि मुनियों ने श्री राम को अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि बुरी शक्तियों के वजह से उन्हें यज्ञ में काफी दिक्कत होती है जिसपर राम उन्हें वचन देते हैं कि वो उन सभी बुरी शक्तियों का नाश कर देंगे जिनसे उनके यज्ञ में बाधा पहुंचती है।