Uttar Ramayan : अयोध्यावासी राम को राजा के रूप में अपनाते हुए उनका स्वागत करते हैं। इस दौरान राम कहते हैं जो देश के लिए सबकुछ त्याग नहीं कर सकता वह राजा बनने के योग्य नहीं। यदि जीवन की अनमोल चीजें भी इसके लिए त्यागनी पड़े तो तनिक भी देर नहीं करेंगे। राम के राजा बनने के बाद कही ये बातें लोगों के दिलों में उतर जाती है। सभी उनके जय का उद्घोष करते हैं।
राजा बनने के बाद राम अपने भाइयों और सीता के साथ माताओं से मिलने जाते हैं। कैकयी कक्ष में जाते वक्त भरत बाहर ही रूक जाते हैं। भरत कैकयी कक्ष में आने का वर्षों से त्याग किया है। लेकिन राम को जब ये बात पता चलती है तो वह भरत को कक्ष में लाते हैं और कैकयी के सामने कहते हैं कि माता का अनादर करना सबसे बड़ा पाप है। जो मां नव महीने गर्भ में रख पोषण करती है जैसी भी हो वह वंदनीय है और पूजनीय है। भरत से कहते हैं देख अब तो पिता ने भी मां को दिया श्रॉप वापस ले लिया है। राम दशरथ से मांगे वर का जिक्र करते हैं। लक्ष्मण भी रोते हुए कैकयी से कहते हैं- हां मां पिता ने दिया श्रॉप वापस ले लिया है। कैकयी ये बात सुन रो पड़ती हैं और कहती हैं आप धन्य हैं महाराज..। भरत और कैकयी एक दूसरे को गले लगा रो पड़ते हैं।
वहीं राजा बनने के बाद राम अपने महल के सेवकों को भेंट देते हैं। वहीं जब राम मंथरा के बारे में पूछते हैं तो कौशल्या बताती हैं कि वह 14 वर्ष से प्रायश्चित की ज्वाला में जल रही है। राम उसके बाद लक्ष्मण और सीता के साथ मंथरा के कक्ष में जाते हैं। वह मंथरा को माई कह जगाते हैं जिसके बाद हैरान होती है और राजा राम कहते दौड़ उनके पास जाती है। मंथरा कहती है महाराज मुझे दंड दीजिए। मैं 14 साल से दंड का इंतजार कर रही हूं..। वह बार बार दंड पाने की गुहार लगाती है। वहीं राम लक्ष्मण को मंथरा को प्रणाम कहने को कहते हैं। सीता को भी राम मंथरा का पैर छुने को कहते हैं। जानकी से कहते हैं मंथरा तुम्हारी सास की तरह है।
लव-कुश प्रसंग की शुरुआत
रामायण में राम के राजतिलक के बाद का प्रसंग अब लव-कुश (Luv Kush) के रूप में दिखाया जाएगा। दर्शकों को आज से लव-कुश के प्रसंग से रू-ब-रू कराया जाएगा। बता दें 19 अप्रैल से दूरदर्शन पर ‘रामायण’ की जगह ‘उत्तर रामायण’ टेलीकास्ट किया जा रहा है। लॉकडाउन के बीच जनता की मांग पर शुरू हुए ‘रामायण’ की सफलता को देखते हुए दूरदर्शन ने ये फैसला किया है। आज से इसे सिर्फ रात 9 बजे के स्लॉट में टेलीकास्ट दिखाया जाएगा, जबकि सुबह 9 बजे के स्लॉट में रात वाले एपिसोड का ही रिपीट टेलीकास्ट होगा। दूरदर्शन ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि आने वाले समय में 90 के दशक के पॉपुलर शो ‘श्रीकृष्णा’ का पुनः प्रसारण भी किया जा सकता है।
राजा बनने के बाद राम अपने महल के सेवकों को भेंट देते हैं। वहीं जब राम मंथरा के बारे में पूछते हैं तो कौशल्या बताती हैं कि वह 14 वर्ष से प्रायश्चित की ज्वाला में जल रही है। राम उसके बाद लक्ष्मण और सीता के साथ मंथरा के कक्ष में जाते हैं। वह मंथरा को माई कह जगाते हैं जिसके बाद हैरान होती है और राजा राम कहते दौड़ उनके पास जाती है। मंथरा कहती है महाराज मुझे दंड दीजिए। मैं 14 साल से दंड का इंतजार कर रही हूं..।
जैसा कि भरत ने माता कैकयी कक्ष में आने का वर्षों से त्याग किया था। लेकिन राम भरत को कक्ष में लाते हैं और कैकयी के सामने कहते हैं कि माता का अनादर करना सबसे बड़ा पाप है। राम के समझाने के बाद भरत माता को गले लगा लेते हैं। बेटे को वर्षों बाद गले लगाए जाने पर कैकयी का प्यार उमड़ पड़ता है। दोनों गले लग खूब रोते हैं...
भरत कैकयी कक्ष में आने का वर्षों से त्याग किया था। लेकिन राम को जब ये बात पता चलती है तो वह भरत को कक्ष में लाते हैं और कैकयी के सामने कहते हैं कि माता का अनादर करना सबसे बड़ा पाप है। जो मां नव महीने गर्भ में रख पोषण करती है जैसी भी हो वह वंदनीय है और पूजनीय है। भरत से कहते हैं देख अब तो पिता ने भी मां को दिया श्रॉप वापस ले लिया है। राम दशरथ से मांगे वर का जिक्र करते हैं। लक्ष्मण भी रोते हुए कैकयी से कहते हैं- हां मां पिता ने दिया श्रॉप वापस ले लिया है। कैकयी ये बात सुन रो पड़ती हैं और कहती हैं आप धन्य हैं महाराज..।
राजतिलक के बाद राम अपने सेवकों, नागरिकों से मिलने रथ पर सीता, लक्ष्मण और हनुमान के साथ निकलते हैं। पूरी अयोध्या की प्रजा राम के स्वागत में गाती है- सीता राम दरस रस बरसे जैसे...
राजा बनना उतना ही कठिन है जितना सेवक बनना है। अयोध्यावासी ने राम को राजा के रूप में स्वीकार करते हैं और स्वागत करते हैं। जो देश के लिए सबकुछ त्याग नहीं कर सकता वह राजा बनने के योग्य नहीं। यदि जीवन की अमोल चीजें भी त्यागनी पड़े तो तनिक भी देर नहीं करेंगे। राम के राजा बनने के बाद कही ये बातें लोगों के दिलों में उतर जाती है। सभी उनके जय का उद्घोष करते हैं।
एपिसोड के शुरुआत में रामानंद सागर ने बताया कि वाल्मीकि ने लव-कुश प्रसंग को उत्तर कांड का नाम दिया है जिसे हमने उत्तर रामायण के नाम से प्रसारित किया है। हम ये दिखाना नहीं चाहते थे लेकिन दर्शकों की मांग और संसद में भी इसके दिखाने की बात पर हमने इसे दिखाने की योजना बनाई..
रामानंद सागर बताते हैं- सीता वनवास और लव कुश का प्रसंग पहले ही लिख दिया था। रामानंद सागर बताते हैं कि वाल्मीकि ने जो करूणा भरे प्रसंग थे उसका भी वर्णन किया है। इसलिए यह तुलसी से अलग हो जाता है
भगवान के अयोध्या पहुंचने के बाद दीपावली मनाई गयी है। जिसके बाद भगवान को अयोध्या का राज सौंप दिया गया और प्रभु का विधिवत तरीके से राज तिलक किया गया। तीनो लोक में प्रभु के यश की कीर्ती गायी जा रही है। सभी जय श्री राम और सिया वर राम चन्द्र की जय जय कार रहे हैं।
प्रभु श्री राम का अयोध्या पहुंचने पर सबसे भेंट होने के उपरांत राज तिलक हो रहा है। इस दौरान हनुमान जी, किशकिंदा नरेश सुग्रीव और लंका नरेश सुग्रीव भी मौजूद हैं।
रामायण के आखिरी में राम अयोध्या लौट आए हैं जिसके बाद वो सभी से निल रहे हैं। जिसके बाद भरत से मिलने पर भरत और प्रभु श्री राम दोनों ही भाव विभोर हो गए हैं। ये मार्मिक दृश्य रामायण में काफी प्रसिद्ध है।
भगवान श्री राम, रावण का वध करने के बाद अपने चौदह वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या लौटे हैं। जिस वजह से पूरी अयोध्या नें दीप जलाए जा रहे हैं और उत्सव का माहौल है। इस दौरान प्रभु की मां कौशल्या, भरत, और लक्ष्मण जी की पत्नि उर्मिला काफी भावुक नजर आ रहे हैं।
अपने प्राणों को त्यागने को बैठे भरत को हनुमान जब राम के रावण वध और अयोध्या लौटने की बात बताते हैं तो पूरे अयोध्या में उत्सव मनाया जाने लगता है। पूरी अयोध्यावासी ढोल-नगाड़े बजा अपनी खुशी जाहिर करते हैं।
भगवान के 14 वर्ष के वनवास के बाद भरत जी ने कहा था कि अगर 14 वर्ष बाद एक भी दिन श्री राम को आने में देरी हुई तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगा। श्री राम के वनवास के 14 वर्ष के अंतिम दिन भी कोई संदेश ना आने पर प्राण त्यागने बैठे भरत जी को हनुमान जी ने भगवान के आने की सूचना दी। जिसके बाद खुशी से भरत ने पूरे नगर में ढोल-नगाड़े बजवा दिए।
भगवान अपना दिया हुआ वचन सदैव निभाते हैं। इसलिए जाते वक्त निशाद राज से किया वचन निभाया और उनसे मिलने पहुंचे। इस दौरान जानकी मां गंगा की पूजा करेंगी।
राम पुष्पक विमान से लंका से अयोध्या रवाना होते हैं। बीच में राम पुष्पक विमान रोकते हैं और महर्षि भारद्वाज से मिलने की इच्छा जताते हैं। वहीं वह हनुमान को तुरंत अयोध्या जाने और भरत को मेरे आने की सूचना देने के लिए कहते हैं। हनुमान तुरंत अयोध्या लौट जाते हैं और भरत से मिल वह राम के बारे में बताते हैं..
अयोध्या के राजा राम ने रावण से युद्ध में साथ देने के लिए वानर सेना का धन्यवाद किया है। इस दौरान वो भावुक अवस्था में नजर आ रहे हैं। प्रभु ने सभी वानर वीरों का धन्यवाद करते हुए उन्हें प्रणाम किया।
राम भरत की बातों को याद करते हैं और कहते हैं पुष्य नक्षत्र की पंचमी तिथी हो गई और अयोध्या काफी दूर है। अगर हम समय पर नहीं गए तो भरत जलती चिता में कूद जाएगा। राम की इस चिंता पर विभीषण ने कहा कि कुबेर के पुष्पक विमान हमारे पास है जिसे रावण ने छिन लिया था। इससे हम लोग अयोध्या जाएंगे।
ब्रह्मा राम को उनके नरावतार को याद दिलाते हुए धर्म और कार्य को सिद्ध करने की बात कही। वहीं दशरथ भी अपने पुत्र राम की सच्चाई जान अपने को भाग्यवान बताते हैं। दशरथ राम को वर मांगने को कहते हैं जिसपर राम अपनी माता कैकेयी का श्रॉपमुक्त करने को कहा। वह दशरथ से कहते हैं कि आप माता को अंतिम पलों में त्याग का दिेए हुए श्रॉप को वापस ले लीजिए। दशरथ अपना श्रॉप वापस ले लेते हैं।
प्रभु से मिलने से पहले मां सीता मां ने अग्निदेव से आजाद होने की आज्ञा ली है। जिसके लिए वो अग्नि से होकर गुजरी हैं। इस दौरान खुद अग्नि देव ने उन्हें प्रभु की शरण में छोड़ने आए हैं। जिसके बाद देवता ऊपर से फूल बरसाते दिखे
लंका से सम्मान के साथ आने के बाद प्रभु श्री राम के सम्मुख आई मां जानकी लेकिन प्रभु से मिलने से पहले सीता जी दे रही हैं अग्नि परीक्षा
माता सीता को रावण की लंका से छुड़ाने के बाद भगवान ने अग्नि देव से उन्हें वापस मांगने का कहा है, क्योंकि उन्हें पहले से पता था कि रावण माता सीता का हरण करने वाला है। जिस वजह से भगवान ने सीता माता को अग्नि देव की सुरक्षा में भेज दिया था और रावण ने मां सीता के प्रतिबिंब मात्र का हरण किया था।
श्री राम ने जानकी जी के आने से पहले लक्ष्मण जी से कहा कि सीता के लिए अग्नि का प्रबंध करो जिसके बाद लक्ष्मण जी ने कहा आप मेरी पवित्र मां समान भाभी पर संदेह कर रहे हैं। जिसके बाद राम जी ने उनका क्रोध शांत करने के लिए एक कथा सुनाई। इसके बाद लक्ष्मण जी ने अपने बड़े भाई से माफी मांगी।
श्री राम और जानकी जी का मिलन अब कुछ ही देर में होने वाला है। जिसके लिए भगवान ने लंका के राजा विभीषण को आदेश दिया है कि जानकी को छुड़ाने का उचित प्रबंध कराया जाए।
लंका के नये राजा विभीषण की आज्ञा लेकर हनुमान जी। रावण के वध की सूचना लेकर मां जानकी के पास पहुंचे हैं और उन्होंने कहा कि प्रभु कुछ ही क्षणों में आपको लंका से आजाद कराने वाले हैं।
श्री राम के कहने से लंका के राजा बने विभीषण अपने राज तिलक के बाद भगवान से आर्शीवाद लेने पहुंचे हैं। जिसके बाद भगवान ने उनका सम्मान किया और उन्हें राज्य ज्ञान भी दिया है।
रावण के वध के उपरांत भगवान की आज्ञा से विभीषण का लंका में राज तिलक हुआ है। विभीषण ने नये लंकेश का पदभार संभाला है उनके इस राज तिलक कार्यक्रम में सुग्रीव, हनुमान जी और लक्ष्मण जी पहुंचे हैं।
भगवान ने विभीषण को वचन दिया था कि वो विभीषण को लंका का राजा बनाएंगे। लेकिन रावण की चिता को अग्नि देने का बाद विभीषण ने प्रभु से लंका का राज्य ना लेने की इच्छा जताई। इसके बाद भगवान ने उन्हें कर्तव्य पालन का ज्ञान दिया।
भगवान के हाथों मृ्त्यु को प्राप्त होने के बाद रावण की शव यात्रा लंका में पूरे राजकीय सम्मान के साथ निकली है। इस दौरान पूरी लंका में शोक की लहर दिखाई दे रही है। छोटे भाई विभीषण रावण के नाना माल्यवान भी शवयात्रा में मौजूद। विभीषण ने किया रावण का अंतिम संस्कार
रावण के मृत शरीर पर विलाप करते उसके नाना, पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण से रावण का अच्छी तरह अंतिम संस्कार करने की अनुमति देने के साथ भगवान ने रावण को सदगति प्राप्त होने का वरदान दिया।
भगवान द्वारा रावण का अंत कर हो गया है। जिसके बाद रावण के नाना माल्यवान रावण के शव को देख कर बेसुध हो गए हैं। उन्होंने श्री राम से कहा लंका अब आपके आधीन है। हम सब आपके दास हैं आप लंका नरेश हैं। इस पर भगवान ने कहा कि हमें लंका राज्य नहीं चाहिए। लंका हमेशा आप लोगों की है और आपकी ही रहेगी।
रावण शव पर विलाप करते हुए विभीषण मंदोदरी को समझा रहा है। इस पर मंदोदरी ने कहा कि अपने भाई के मृत्यु का तुम्ही कारण हों इस लिए मुझे भाभी मत कहो।
रावण के मृत शरीर पर विलाप करने के लिए लंका से उनकी रानी मंदोदरी सहित अन्य रानियां आई हैं। जिन्हें देख कर भगवान राम ने विभीषण से अपने प्रियजनों को ढांढस बंधाने को कहा है। सभी रावण की भगवान से बैर लेने की गलती को ही उसका अंत बता रही हैं।
रावण की मृत्यु के बाद विभीषण शोक में डूब गया है। जिसके बाद विभीषण को भगवान राम ने ढांढस बंधाया और रावण के अंतिम संस्कार को विधी विधान से करने का आदेश दिया।
भगवान ने रावण का अंत अपने ब्रह्मास्त्र से कर दिया है। जिसके बाद उनका छोटा भाई और राम भक्त विभीषण अपने भाई रावण के शव के सामने रोता बिलखता दिखाई दे रहा है।
प्रभु श्री राम के ब्रह्मास्त्र से रावण का अंत हो गया है। जिसके बाद देव लोक से लेकर वानर सेना में उत्साह की लहर दौड़ गई है और अधर्म पर धर्म की विजय हुई है। तीनों लोकों में हर कोई भगवान का यश गा रहा है।