Mahabharat Episode 4 April 2020 Updates: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। इस बीच, दूरदर्शन पर महाभारत का प्रसारण फिर से शुरू कर दिया गया है। दर्शक बी.आर चोपड़ा की इस ऐतिहासिक धारावाहिक को दूरदर्शन पर दोपहर 12 बजे और शाम को 7 बजे देख सकते हैं। 28 मार्च से शुरू हुए महाभारत की कहानी इस वक्त भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं तक पहुंच गई है। उनकी बाल लीलाओं से ग्वाल बाल ही नहीं बल्कि गोकुल की गोपियां भी उन पर अपनी जान छिड़क रही हैं।
महाभारत के आने वाले एपिसोड्स में आपको भगवान श्री कृष्ण की और भी लीलाएं देखने को मिलेंगी। इनमें भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत बाल लीलाएं, गोपियों संग खेलने की गाथाएं और उनके द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी से उठाना आदि शामिल हैं। वहीं, इससे पहले धारावाहिक में दिखाया गया था कि भगवान श्री कृष्ण कैसे बृज के तमाम घरों में माखन चोरी करते हैं जिसके बाद यशोदा मां उन्हें पकड़ लेती हैं।
इसके अलावा, ग्वाल बालों के साथ खेलते हुए नन्हे कान्हा यमुना नदी में अपनी गेंद निकालने के लिए कूद जाते हैं जिसके पानी को कालिया नाग ने जहरीला कर रखा था। कन्हैया के यमुना जी में छलांग लगाने से सभी ग्वाल बाल डर जाते हैं लेकिन जब कान्हा को यमुना जी से बाहर आकर कालिया नाग के फनों पर नृत्य करते देखते हैं तो उनके साहस और पराक्रम को देखकर दंग रह जाते हैं।
कंस के अकरूर जी को गोकुल भेजने के बाद प्रभु श्री कृष्ण मथुरा जाने के लिए तैयार हो गए हैं। इस दौरान उनके साथ बलराम जी भी प्रभु के साथ मथुरा जाएंगे।
भगवान कृष्ण को लेने के लिए कंस द्वारा भेजे गए अकरूर गोकुल पहुंच गए हैं। इस दौरान नन्द बाबा से अकरूर बाल गोपाल को मथुरा ले जाने की बात कह रहे हैं। जिसके बाद प्रभु खुद वहां जाने की बात कह रहे हैं। वहीं भगवान के जाने का नाम सुनकर मां यशोदा फूट-फूट कर रोती दिखाई दे रही हैं।
महाभारत में इस वक्त अत्यंत ही सुंदर दृश्य चल रहा है। जहां भगवान कृष्ण की मुरली सुन कर प्रेम की मूर्ति राधा रानी मंत्रमुग्ध होती दिखाई दे रही हैं।
बृजधाम में प्रभु श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रास लीला रचा रहे हैं। इस दौरान सभी गोपियां भी प्रभु के साथ रासलीला का आनंद उठाती नजर आ रही हैं। ये आनंदित दृश्य देख आज बह्मा जी भी कृतार्थ हो गए हैं।
कंस ना सिर्फ पापी राजा है। बल्कि कुशल राजनीतिज्ञ भी है। उसने अपनी कूट नीति से अकरूर को गोकुल भेजने की योजना बनाई है। जिसके बाद उसने अकरूर से भगवान कृष्ण को गोकुल से मथुरा बुलवाने के लिए हां भी करवा ली है। अकरूर का भगवान के कृष्ण अवतार की जननी देवकी और पिता वासुदेव से काफी अच्छे संबंध हैं।
भगवान कृष्ण के इंद्र की पूजा ना करने के बाद देवराज का क्रोध बढ़ गया है। जिसके बाद उन्होंने गोकुल में तेज वर्षा करवा दी। लेकिन प्रभु श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी उंगली पर उठा कर सभी बृवासियों की रक्षा की। जिसके बाद खुद इंद्र ने प्रभु से माफी मांग ली।
महाभारत में भगवान कृष्ण ने इंद्र पूजा के लिए अपनी मां यशोदा और बाबा नन्द से मना कर दिया है। जिसके बाद देवराज इंद्र क्रोध में आ गए हैं।
जल्द ही महाभारत का 4 अप्रैल शाम 7 बजे का एपिसोड शुरू होने वाला है।
कृष्ण कन्हैया की बाल लीलाएं देखकर तो मोर भी नाचना भूल जाते हैं। आज के एपिसोड में दिखाया गया कि कैसे कृष्ण की बांसुरी की धुन से मंत्रमुग्ध गोपियां अपना श्रंगार तक भूल जाती हैं। उनकी बांसुरी की धुन पर नृत्य करती ये गोपियां जैसे कान्हा को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हों। रंग-अबीर उड़ाते हुए गोपियां कान्हा के साथ होली का आनंद ले रही हैं।
दोनों ही राक्षस नंदगांव में उत्पात मचा रहे थे कि तभी कान्हा और बलराम वहां पहुंच गए और उनसे युद्ध करने लगे। इधर दोनों ही दानव अपने मुख से आग की लपटें निकाल कर श्री कृष्ण को घयल करने की फिराक में थे लेकिन कान्हा का बाल भी बांका नहीं कर पाए। वहीं, कान्हा ने अपनी अलौकिक शक्तियों और पराक्रम के बदौलत दोनों ही असुरों मार गिराया और एक बार फिर से नंदगांव के लोगों को असुरों के कहर से बचाया।
इन दोनों राक्षसों ने नंदगांव के कई घरों में आग लगा दी। अचानक अपने घरों से आती आग की लपटों को देखकर नंदगांव के लोग भयभीत हो गए। इधर, कान्हा और बलराम झूला झूल रहे थे कि तभी उनके सखाओं ने दोनों असुरों के बारे में जानकारी दी। कान्हा और बलराम दोनों ही उन पापी असुरों के पास जा पहुंचे।
अपनी सेना के खदेड़े जाने की खबर को सुनकर कंस बहुत गुस्सा हुए और नंदगांव को बर्बाद करने के लिए कंस ने अपने 2 असुरों को भेजा। अपने कार्यों में व्यस्त गांव के लोग आने वाले खतरे से बेखबर थे। ये दोनों ही दानव अपने मुख से आग निकालने में सक्षम थे।
दो दिनों तक जब नंदगांव से माखन कंस के दरबार में नहीं पहुंचा तो क्रुद्ध कंस ने अपने सेनापति को नंदगांव जाने की आज्ञा दी। सेनापति ने वहां पहुंचकर सभी गायों और ग्वालों को तहस-नहस कर दिया। भयभीत ग्वालों ने इस बात की जानकारी श्री कृष्ण को दी और कहा कि हम अपने बांस की लाठी से कंस की सेना का क्या ही बिगाड़ सकते हैं। पर कृष्ण की बांसुरी की धुन से प्रभावित होकर गायों ने सेनापति समेत पूरी सेना को खदेड़ दिया।
प्रजा अपने राजा को अपनी सुरक्षा के लिए कर देती है, ऐसा कह कर कान्हा नंदगांव के वासियों को कंस के पास माखन नहीं ले जाने के लिए कहते हैं। उनके अनुसार, माखन पर पहला हक बच्चों को होता है। जब बाबा नंद ने कान्हा को हठ न करने की सलाह दी तो नाराज कान्हा ने यहां तक कह दिया कि अगर माखन मथुरा गया तो वो कभी भी माखन को हाथ नहीं लगाएंगे।
जंगल में मौजूद उनके नेत्रहीन दोस्त को सब वहां अकेला छोड़ गए जिस पर कृष्ण ने ऐसा करने का कारण पूछा। इस पर उनके सखा ने कहा कि वो नेत्रहीन है न इसलिए सब उन्हें छोड़कर चले जाते हैं। कान्हा ने कहा कि थोड़े-थोड़े नेत्रहीन तो सभी होते हैं यानि कि लोगों को जो देखना होता है वो नहीं देखते, लेकिन जो नहीं देखना होता वहीं देखते हैं।
देवकी ने हैरान होते हुए रोहिणी से पूछा कि क्या यशोदा कृष्ण को शरारत करने पर डांटती नहीं हैं? इस पर रोहिणी ने कहा कि एक बार कान्हा की शरारत और गोपियों की उलाहना से तंग आकर कृष्ण को रस्सी से बांध दिया और हर घर से माखन खाने पर खूब फटकार लगाई। भाई बलराम जब उनकी रस्सी खोलने गए तो कान्हा भी जिद पर अड़ गए कि जब तक मां यशोदा उन्हें नहीं खोलेंगी, तब तक वो ऐसे ही बंधे रहेंगे। कुछ देर बाद यशोदा को ही अपनी जिद छोड़नी पड़ी और उन्होंने कान्हा को आजाद किया। उसके उपरांत मां कान्हा को पकड़ कर खूब रोईं और कान्हा बड़े प्यार से उनके आंसू पोछ रहे थें।
रोहिणी यानि कि बलराम की मां जेल में कंस द्वारा कैद देवकी और वासुदेव से मिलने जाती हैं। देवकी रोहिणी से कान्हा के बारे में पूछती हैं जिसपर रोहिणी नटखट कृष्ण की कहानियां देवकी को बताती हैं। वो बताती हैं कि कैसे तालाब में नहाती हुई गोपियों के कपड़े कान्हा ने चुरा लिए और हर ओर अपने वास का जिक्र गोपियों के सामने किया। रोहिणी ने बताया कि नंदगांव की जान बन चुके कान्हा कैसे सबके आंखों का तारा बन चुका है।
अपने कान्हा का गुणगान करते हुए गाधा नृत्य करती हैं और श्री कृष्ण के रूप का वर्णन करती हैं। वो नृत्य के जरिये ही बताती हैं कि मोर पंख को सिर पर धारण किये हुए कान्हा अपने गले में माला पहनते हैं। कान्हा भी अपनी प्रिय राधा के इस नृत्य का आनंद लेते हैं।
राधा-कृष्ण की जोड़ी का गुणगान तो सभी करते हैं। शो में राधा को उसकी सहेलियां कान्हा के नाम से चिढ़ाती हैं और कहती हैं कि कृष्ण राधा के लिए ही तो बृज में आए हैं। कान्हा के वहां पहुंचने पर राधा उनसे कहती है कि कान्हा की बंसी की धुन से वो अपनी सुध-बुध खो बैठती हैं। इस पर कान्हा उन्हें परेशान करते हुए कहते हैं कि मैं भी तो अपनी सुध-बुध खोना चाहता हूं। कितना अच्छा हो कि राधा बांसुरी बजाए और कान्हा उन्हें सुनते रहें, ये सुनकर राधा शर्मा जाती हैं।
कृष्ण कन्हैया की बाल लीलाएं देखकर तो मोर भी नाचना भूल जाते हैं। आज के एपिसोड में दिखाया गया कि कैसे कृष्ण की बांसुरी की धुन से मंत्रमुग्ध गोपियां अपना श्रंगार तक भूल जाती हैं। उनकी बांसुरी की धुन पर नृत्य करती ये गोपियां जैसे कान्हा को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हों। रंग-अबीर उड़ाते हुए गोपियां कान्हा के साथ होली का आनंद ले रही हैं।
गोकुल के लोग यमुना के जहरीले पानी से त्रस्त थें, उनके अनुसार नदी में रहने वाले कालिया नाग ने पानी को जहरीला बना दिया था। जैसे ही ये बात कान्हा को पता चली तो कालिया नाग के अहंकार को तोड़ने के लिए वो खेल के बहाने नदी में कूद गए। जहरीले पानी में कान्हा के कूदने की खबर से बाहर मौजूद सभी ग्वाल बाल और गोकुलवासी की जान अधर में अटकी हुई थी। पर जैसे ही सबने देखा कि कन्हैया नदी से बाहर निकल कर कालिया नाग के सिर पर सवार नृत्य कर रहे हैं तो सभी लोग प्रभु की इस अद्भूत लीला को देख नतमस्तक हो गए।