‘भाभी जी घर पर हैं’ शो के ‘सक्सेना जी’ अपनी पागलपन वाली हरकतों और ‘आई लाइक इट’ बोलने के अपने अंदाज से दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान रखते हैं। छिपकली का सूप पीने वाली बात हो चाहें इलेक्ट्रिक शॉक पर उन्हें मिलने वाली खुशी की बात हो, उनका हर अंदाज़ अनोखा है। ‘अनोखेलाल सक्सेना’ यानि सानंद वर्मा निजी ज़िंदगी में भी कम अनोखे नहीं हैं।
खाया था कॉकरोच- सानंद वर्मा केवल अपने सक्सेना जी के किरदार में ही छिपकली का सूप नहीं पीते बल्कि असल ज़िन्दगी में भी उन्होंने कॉकरोच खाए हैं। एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘मैं खाने में कुछ भी खा सकता हूं। मैंने कॉकरोच खाया था बैंकॉक में। वहां रास्ते में सड़क किनारे वेंडर्स कॉकरोच बेच रहे थे मैंने कॉकरोच खाया। मुझे किसी चीज़ से कोई प्रॉब्लम नहीं है, मैं कुछ भी खा सकता हूं। मैंने सुना है, हाेंगकोंग में लोग बंदर का सिर खाते हैं, मैं वो भी खा सकता हूं, मैं घोड़ा खा सकता हूं, सांप खा सकता हूं। क्योंकि अगर मैैं कहता हूं कि मैं वो नहीं खा सकता तो फिर वो एक रूटीन हो जाएगा, प्रेडिक्टेबल हो जाएगा जो कि मुझे करना ही नहीं है लाइफ में।’
नहीं रखते कोई ड्राइवर, मैनेजर या पीआर- सानंद वर्मा बताते हैं कि मेरे लिए हर किसी का नज़रिया अलग- अलग होता है। वो कहते हैं, ‘लोग मुझे मिस्टीरियस कहते हैं। मैंने आजतक कोई ड्राइवर नहीं रखा, कभी कोई स्टाफ नहीं रखा। मैैं एक साथ 6- 6 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा हूं, लोग मुझे फोन करते हैं कि क्या मैं आपका मैनेजर बन सकता हूं? लेकिन मैं कहता हूं कि मैं खुद ही अपना मैनेजर हूं। कोई पीआर नहीं रखा मैंने आजतक।’
सानंद बताते हैं कि मैं अपने किरदारों को इतना जीता हूं कि खुद के अस्तित्व को उन पर हावी नहीं होने देता और इसी कारण पीआर आदि नहीं रखता। उन्होंने आगे कहा, ‘इसी कारण मैैं किसी को फोन नहीं करता, कभी किसी से बात नहीं करता। लेकिन मेरा एक सिद्धांत है कि मैं किसी को दुख नहीं पहुंचाता।’
एक्टिंग नहीं कर रहे होते तो भी एक्टिंग पर काम कर रहे होते हैं सक्सेना जी- सानंद वर्मा ने बताया कि एक्टिंग ही उनके लिए सबकुछ है, हर चीज़ एक्टिंग से ही जुड़ी है। उनका कहना था, ‘मैं एक्टिंग नहीं कर रहा होता हूं, तब भी एक्टिंग पर काम करना पसंद करता हूं, एक्टिंग को और बढ़िया करने की कोशिश करता हूं। मेरी हर चीज़ एक्टिंग से जुड़ी है, हर पल यही महसूस करता हूं कि एक्टिंग कर रहा हूं।’ उन्होंने बताया कि वो अपने अंदर के सानंद वर्मा को हमेशा मारते रहते हैं। वो कहते हैं, ‘सानंद वर्मा, जो कि एक्टिंग नहीं करता, मैंने उसे मार दिया है, हमेशा उसको मारता रहता हूं। मैैं अगर शूटिंग नहीं कर रहा होता हूं तो यही सोचता रहता हूं कि कैसे अपने अंदर के एक्टर को और अच्छा बनाऊं?’
जब छोटे थे, लिखे थे 3 उपन्यास- सानंद वर्मा का कहना है कि जब वो छोटे थे, करीब 11 साल के, तब तक उन्होंने 3 उपन्यास लिख डाले थे। वो कहते हैं कि उन्होंने बचपन से ही लिखना शुरू कर दिया था। सानंद वर्मा कहते हैं कि उनका डेली रूटीन फिक्स नहीं है। उन्होंने बताया, ‘रूटीन प्रेडिक्टेबल चीज़ होती है जो कि मैं नहीं कर सकता। मेरे सोने और जगने का कोई समय निर्धारित नहीं है। मैं कभी दोपहर में दो बजे उठता हूं, कभी सुबह 5 बजे उठकर रनिंग करने लगता हूं।’

