अभिनेता इरफान खान और स्वरा भास्कार फिल्म उड़ता पंजाब के समर्थन में आ गए हैंं। इरफान ने ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म विवाद पर हैरानी जताते हुए कहा कि कई वर्षो से मौजूद मुद्दे को उठाने वाली फिल्म अचानक ‘बहुत बड़ा’ मुद्दा बन जाती है और पूरा देश ही सेंसर बोर्ड बन जाता है। इरफान ने अपनी आगामी फिल्म ‘मदारी’ के गाने ‘दमा दम’ के लांच अवसर पर कहा, “ऐसे कई मुद्दे हैं, जो हम तक नहीं पहुंच पाते। यह बहुत ही अजीब है कि कई वर्षो से कुछ पत्रिकाएं राज्य और वहां मौजूद गंभीर संकट के बारे में लिखती रही हैं और 10 साल जब इस मुद्दे पर कोई फिल्म बनती है तो यह अचानक बड़ा मुद्दा बन जाता है।”
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इरफान ने कहा, “मेरी समस्या यह है कि हम यह तक नहीं जानते कि यह सेंसर बोर्ड है या प्रमाणन बोर्ड। यह एक प्रमाणन बोर्ड है, यह सेंसर बोर्ड नहीं है.. जब कभी कोई मुद्दा उठाया जाता है तो पूरा देश ही सेंसर बोर्ड बन जाता है।” इरफान ने आगे कहा, “ये सभी नियम ब्रिटिश शासनकाल में बनाए गए थे, इसलिए किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। आप किसी को नियुक्त करते हैं तो वह नियम-कायदे के अनुरूप ही काम करेगा। हम सो रहे हैं और देश सो रहा है। हम कुछ भी बदलने की जरूरत नहीं समझते।”
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वह कहते हैं, “हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए। पूरे फिल्म उद्योग जगत को आगे आना चाहिए। फिल्म जगत 4,000 करोड़ रुपये का टेक्स भरते हैं इसलिए सरकार को कर अदायगी करने वाले लोगों की प्रशंसा करनी चाहिए। हमें जागने की जरूरत है और सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए। महेश भट्ट ने एक बयान में कहा था कि 40 साल पहले उन्होंने कोई फिल्म बनाई और वह अटक गई। इसका मतलब यही है कि हम वास्तव में सो रहे हैं।”
इरफान के आलावा बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर भी उड़ता पंजाब के समर्थन में उतर आईं हैं। उन्होंने शुक्रवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी को एक खुला खत लिखते हुए निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ का समर्थन किया है। स्वरा ने कहा है कि कला और लोकप्रिय संस्कृति में काट-छांट समाज के लिए स्वास्थ्यकर नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘काट-छांट’ और ‘अधिक नियंत्रण’ का माहौल कलाकारों और रचनात्मक लोगों के बीच भय पैदा करता है। उन्होंने खत में लिखा है, “मैं आपका ध्यान इस ओर ले जाना चाहती हूं कि जानबूझकर कला और लोकप्रिय संस्कृति में काट-छांट करना समाज के लिए हितकर नहीं है। विश्व के किसी भी समाज को साफ नहीं किया गया है। पूरे विश्व में कई चीजें गलत, मैली, शर्मनाक और अश्लील हैं।”
स्वरा लिखती हैं, “किसी बिल्कुल शुद्ध वातावरण का एक पक्ष यह है कि वह बांझ हो जाता है। और बांझपन की स्थिति में कोई चीज जन्म नहीं लेता।” स्वरा लिखती हैं, “स्वच्छता और नियंत्रण वाले वातावरण का एक अन्य कुप्रभाव यह है कि इससे कलाकारों और रचनात्मक लोगों के बीच भय पैदा होता है।”
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स्वरा ने आगे कहा है, “आप यह कह सकते हैं कि सार्वजनिक जीवन में थोड़ा अनुशासन गलत नहीं है, लेकिन सर इस बात को याद रखें कि किसी नियंत्रित समाज में सरकार की अनुमति से जो कला पैदा होती है वह सिर्फ प्रोपोगंडा है।”