एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है। उनकी फिल्म ‘कालीचरण’ 7 फरवरी 1976 को रिलीज हुई थी। इसके 20 दिन बाद अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘कभी कभी’ रिलीज हुई थी। इसी के साथ अमिताभ बच्चन की ये एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी। इससे परले शत्रुघ्न सिन्हा ने कई फिल्मों में सपोर्टिंग रोल प्ले किए थे। 1970 के दशक में वह परवाना और बॉम्बे टू गोवा जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन के साथ नज़र आए थे।
अलग पर्सनालिटी, भारी आवाज और डायलॉग डिलीवरी की बदौलत शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी अलग पहचान स्थापित कर ली थी। इसी के साथ उनकी लोकप्रियता भी लगातार बढ़ती गी थी, लेकिन अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की दोस्ती में दरार भी आती गई थी। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी जीवनी ‘एनिथिंग बट खामोश’ में अमिताभ और अपनी दोस्ती को लेकर कई खुलासे किए हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि अमिताभ बच्चन की वजह से उन्हें कई फिल्मों का तो साइनिंग अमाउंट तक भी वापस करना पड़ गया था
शत्रुघ्न सिन्हा लिखते हैं, ‘सबसे बड़ी समस्या ये थी कि मुझे मेरी योग्यता के आधार पर अलग पहचान मिल रही थी। अमिताभ बच्चन को भी ये चीज समझ आ रही थी और यही वजह थी कि वो मुझे अपनी कई फिल्मों में देखना नहीं चाहते थे।’ शत्रुघ्न ने अपनी जीवनी में आगे लिखा, ‘काला पत्थर के दौरान, अमिताभ बच्चन की एक हीरोइन दोस्त थी और वह शूटिंग पर अक्सर उनसे मिलने आया करती थी। इसके बाद हम लोगों ने दोस्ताना में काम शुरू किया तो भी वह आती थी, लेकिन अमिताभ ने कभी उसका परिचय हम लोगों से नहीं करवाया था।’
वह आगे लिखते हैं, ‘शोबिज में, हर किसी को पता होता है कि कौन किससे मिलने के लिए आ रहा है। हम लोगों से भी पहले तो मीडिया की ही इसकी खबर लग जाती है। अगर रीना रॉय मेरे मेकअप रूम में होती थी तो सबको पता होता था। क्योंकि ऐसी चीजें फिल्म इंडस्ट्री में छुपाकर रखना संभव नहीं था। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में शत्रुघ्न ने बताया था, ‘दीवार, शोले और सत्ते पे सत्ता जैसी फिल्में पहले मुझे ऑफर हुई थीं। लेकिन मेकर्स को बाद में लगा होगा कि कोई अन्य अभिनेता इस फिल्म के लिए ज्यादा बेहतर है।’
अपनी बात आगे रखते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था, ‘इसके अलावा कई बार मेरे पास ये फिल्में करने के लिए डेट भी खाली नहीं थीं। ऐसा ही कुछ शोले के साथ भी हुआ था और बाद में मेरा रोल अमिताभ बच्चन को मिल गया था। मुझे लगता है कि जय का कैरेक्टर ही सबसे लास्ट में फाइनल किया गया था। रमेश सिप्पी तो दिल से चाहते थे कि मैं उस किरदार को निभाऊं, लेकिन मैं कई बार कोशिश करने के बाद भी उस फिल्म को नहीं कर पाया। इसलिए ऐसा बिल्कुल नहीं है कि फिल्म नहीं मिलने पर मेरे अमिताभ से रिश्ते खराब हो गए थे।’