अगर आप सिर्फ गानों या आइटम नंबर देखने भर के लिए कोई फिल्म देखना चाहें तो इसे देख सकते हैं। खासकर इसमें दो गाने ऐसे हैं जो कुछ-कुछ आकर्षित करते हैं- एक तो खाली खाली दिल को.. और दूसरा आइटम नंबर ‘आई एम ए सेक्सी बार्बी गर्ल…’ इसके बाद इस फिल्म की तारीफ में यही कहना पड़ेगा कि निर्देशक ने ऐसी फिल्म बनाने की कोशिश की है, जिसमें मिस्ट्री यानी रहस्य के अलावा एक रोमांटिक कहानी भी हो। पर अफसोस, दोनों ही तत्वों का मेल नहीं हुआ है और ये ऐसी फिल्म बन गई है मानों इसका असली मकसद सनी लिओनी के शारीरिक सौंदर्य को दिखाना हो। इसलिए लोकेशन शूटिंग अच्छी है और सिनेमेटोग्राफी भी। इसके अलावा अगर दर्शक को कुछ मिलता है तो उस भगवान का प्रसाद समझ के ग्रहण कर लेना चाहिए।

तेरा इंतजार में रौनक (सनी लियोनी) एक आर्टगलैरी चलाती है। उसकी मुलाकात वीर (अरबाज खान) से होती है जो शानदार पेंटर है। दोनों के बीच हालात ऐसे बनते हैं कि वे एक दूसरे से बेपनाह प्रेम करने लगते हैं। रौनक की कोशिश है कि उसके प्रेमी वीर की पेटिंग ऊंची कीमत पर बिके और इसी सिलसिले में प्रवेश होता है विक्रम (आर्य बब्बर) का, जो अपने दोस्तों के साथ वीर की कलाकृतियां खरीदना चाहता है। पर बात कुछ बिगड़ती है और वीर गायब हो जाता है। कहां गया वह? इस सवाल का जवाब नहीं मिलता। रौनक अपने प्रेमी वीर को खोज में लग जाती है और उसकी मुलाकात होती है जादू टोने वाली (सुधा चंद्रन) से। फिल्म का बड़ा हिस्सा वीर की खोज पर केंद्रित है। आखिर मे जो क्लाइमैक्स आता है वह थोड़ा-सा रोचक है लेकिन बाकी फिल्म में सनी लिओनी के अंग प्रदर्शन के अलावा कुछ खास नहीं है। सनी का बेजार ढंग से अपने प्रेमी को खोजना भी प्रभावित नहीं करता।