दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को करिश्मा कपूर के बच्चों की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में बच्चों ने अपने दिवंगत पिता संजय कपूर की करीब 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति में हिस्सा मांगा है। बच्चों का आरोप है कि उनकी सौतेली मां प्रिया कपूर ने जाली वसीयत बनाकर पूरी संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की है।

वसीयत पर उठाए सवाल

याचिका में कहा गया है कि प्रिया कपूर ने वसीयत पहले से परिवार को नहीं दिखाया और ना ही इसे पंजीकृत (registered) कराया गया। यह वसीयत अचानक सामने आई और जल्दबाजी में ताज होटल में पढ़ी गई। इसमें बच्चों का कोई ज़िक्र तक नहीं है।

बच्चों की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने अदालत में दलील दी कि वसीयत के हालात बेहद संदिग्ध हैं। यहां तक कि वसीयत के कार्यपालक (executor) ने भी माना कि उन्हें इसके बारे में महज़ एक दिन पहले ही जानकारी दी गई थी। खास बात यह है कि यह जानकारी परिवार के एक कर्मचारी दिनीश अग्रवाल के माध्यम से सामने आई, जिससे शक और गहराता है।

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महेश जेठमलानी ने कहा, “मुकदमा अब रजिस्टर्ड होगा। उन्हें संजय कपूर की व्यक्तिगत संपत्तियों की कुछ जानकारियां लेनी होंगी।”

प्रिया कपूर का पक्ष

दूसरी ओर, प्रिया कपूर की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने अदालत को बताया कि यह मुकदमा कानूनी तौर पर टिकाऊ (maintainable) ही नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।

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अदालत की कार्यवाही

अदालत ने मामले को फिलहाल दो हफ्ते बाद सुनने का आदेश दिया है। कोर्ट ने समन (summons) जारी करते हुए निर्देश दिया:

• सभी पक्ष दो हफ्ते में अपने-अपने लिखित जवाब दाखिल करें।

• उसके बाद एक हफ्ते के भीतर रिप्लाई फाइल किया जाए।

• अस्थायी राहत पर भी नोटिस जारी किया गया है।

साथ ही अदालत ने निर्देश दिया है कि प्रिया कपूर अपनी सभी चल और अचल संपत्तियों की पूरी सूची कोर्ट में दो हफ्तों के भीतर जमा करें।

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अब अगली सुनवाई में यह तय होगा कि बच्चों की मांग पर अंतरिम राहत दी जाए या नहीं। अगर उनके आरोप सही साबित होते हैं, तो प्रिया कपूर के पक्ष को बड़ा झटका लग सकता है और बच्चों को अपने पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी मिल सकती है।