दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के पास एक शख्स का क्षत-विक्षत शव मिला, जिसके बाद वहां हड़कंप मच गया। जानकारी के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लिया। इस घटना से हर कोई सन्न है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी इस घटना की काफी निंदा हो रही है।
कवि डॉ. कुमार विश्वास भी इस खबर से काफी आहत दिखे। उन्होंने गृह मंत्रालय को ट्विटर पर टैग कर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- ‘यह हत्या नहीं, भीड़ की उन्मादी मानसिकता द्वारा भारत के क़ानून व संविधान को चुनौती है। हत्यारे किसी धर्म के हों, उन्हें भारत के आंतरिक अनुशासन की ताक़त का अनुभव कराइए…गृह मंत्रालय। देश को भीड़ में बदलने से रोकिए। आंदोलन की पवित्रता बचाए रखना आंदोलनकारियों व उनके नेताओं की ज़िम्मेदारी है।’
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा, ‘बेहद दुखद और निंदनीय घटना। न्याय की लड़ाई हिंसा और हत्या का जरिया नहीं हो सकती है। गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा, ‘इस घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।’ पत्रकार अमिश देवगन ने लिखा, ‘सिंघु बॉर्डर पर एक युवक का पहले हाथ काटा गया फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। इन तस्वीरों को देखने के बाद क्या आप अब भी मानेंगे कि ये किसान हैं? ये हिंदुस्तानी सोच तो नहीं हो सकती, तालिबानी सोच है।’
पत्रकार सुशांत सिन्हा ने टिप्पणी की, ‘सिंघु बॉर्डर पर एक व्यक्ति को मारकर लटका दिया गया। लोगों को इसपर आश्चर्य क्यों हो रहा है? जिस वक्त लाल किले की घटना को रफा दफा किया गया था और लखीमपुर की लिंचिंग को जस्टिफ़ाई कर दिया गया था, रिएक्शन बताकर, उसी वक्त ये तय हो चुका था कि आगे और भयावह कुछ होगा।’
भाजपा नेता शलभमणि त्रिपाणी ने लिखा, ‘कांग्रेस और इसकी चट्टी बट्टी पार्टियों ने कथित किसान आंदोलन के नाम पर जो नफ़रत का बीज बोया,वह अब फल देने लगा है। कांग्रेस जब जब विपक्ष में आती है, तब तब देश की क़ीमत पर सियासत करती है। गुजरात के पाटीदार आंदोलन से लेकर JNU,CAA और अब तथाकथित किसान आंदोलन की बर्बर हिंसा इसका प्रमाण है।’
घटना पर सोशल मीडिया पर तमाम यूजर्स भी टिप्पणी कर रहे हैं। श्रवण नाम के शख्स ने कहा- ‘कुमार विश्वास जी आपने इससे पहले ट्वीट इसी तथाकथित किसान आंदोलन के लिए किया था ना? फिर क्या चर्चा चाहते थे टीवी पर? अभी कर लो चर्चा। यह आंदोलन था ही कब? जो इसके बारे में लोग सोचें। जब एक किसान नेता खुद कह रहा है किसानों के द्वारा की गई लिंचिग सही है तो यह भी सही होगा।’
विकास भट्ट नाम के शख्स ने कहा- ‘यही इस किसान आंदोलन की सच्चाई है। यह कोई किसानों का आंदोलन नहीं बल्कि उपद्रवी और आतंकी मानसिकता के लोगों का जमावड़ा है। सरकार बिना डरे इनका सामना करे, देश सच जानता है।’
बता दें, सिंघु बॉर्डर पर एक व्यक्ति को मारकर उसके शव को बैरिकेडिंग से लटका दिया गया था। शव मिलने की जानकारी मिलते ही कुंडली थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और बैरिकेडिंग से शव को उतारा। इसके बाद पुलिस शव को पास के सिविल हॉस्पिटल लेकर गई। मामले की जांच जारी है।