मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ससुर घनश्याम मसानी का 18 नवंबर को निधन हो गया। उनके निधन के कुछ दिनों बाद 22 नवंबर को मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से एक कविता पोस्ट की और बताया कि वो कविता उनकी पत्नी साधना सिंह द्वारा रचित है। उन्होंने लिखा कि पिता की याद में उनकी पत्नी ने ये कविता लिखी है। लेकिन ट्विटर पर भोपाल की भूमिका बिरथरे नामक यूज़र ने यह दावा किया कि कविता उनकी है और उन्हें क्रेडिट न देने पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई है।

शिवराज सिंह ने ट्वीट किया था, ‘मेरी पत्नी ने स्वर्गीय बाबू जी के पुण्य स्मरण और जीवटता को कुछ पंक्तियों में पिरोया है – जिसके कंधे पर बैठकर घूमा करती थी, उसे कंधा देकर आई हूं। उसके माथे को चूमकर, जिंदगी की नसीहतें लेकर आई हूं।’ इसके बाद खुद को कविता की मूल लेखिका बताने वाली भूमिका बिरथरे ने मुख्यमंत्री के इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘यह कविता मेरे द्वारा लिखी गई है, आपकी प्यारी धर्मपत्नी के द्वारा नहीं।’

उनके इस दावे के बाद ट्विटर यूजर्स शिवराज सिंह चौहान को जमकर ट्रोल करने लगे। भूपेंद्र राजपूत नाम के यूज़र ने लिखा, ‘ये किसी और के द्वारा लिखी गई कविता है। आप लेखिका का पता करके उनसे माफी मांगे।’ अनुभव सिंह नाम के यूज़र लिखते हैं, ‘विधायक चुराने वाले अब कविता भी चुराने लगे।’ कुरैशी नाम के एक यूज़र ने उन्हें जवाब दिया, ‘कांग्रेस के विधायक चुरा लिए तो कविता क्या चीज है।’

 

आदित्य ने लिखा, ‘बस कॉपी पेस्ट की आदत हो गई है इनको। जैसे उनकी आईटी सेल का रोज़ का काम है। वो अब स्वयं मंत्री जी भी कर रहे हैं और बिना आगे पीछे देखे क्रेडिट भी खुद को दे रहे हैं।’ अनुराग परिहार लिखते हैं, ‘बताओ इतने बड़े पद पर बैठकर आसानी से झूठ लिख लेते हैं लोग।’

भूमिका बिरथरे ने एनडीटीवी से बातचीत में यह स्पष्ट किया है कि कविता उनकी है और उन्होंने इसे अपने पिता के निधन के बाद लिखा था। उन्होंने कहा, ‘मैंने वो लिखा, जो मैंने महसूस किया, क्योंकि अपने पिता की अंतिम यात्रा के दौरान सारी रस्में मैंने ही निभाई थी। मैं आईफोन के नोटपैड का उपयोग करती हूं इसलिए किस्मत से उस कविता की तारीख और समय का उल्लेख मौजूद है।

भूमिका ने आगे कहा, ‘मुझे पता चला कि मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर यह कहा है कि कविता उनके पत्नी ने लिखी है, मुझे इस पर कड़ी आपत्ति है। आप मेरे पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं, मैं इन सब का राजनीतिकरण नहीं करना चाहती। बस इतना चाहती हूं कि मेरी कविता का क्रेडिट मुझे मिले।’