वर्ष 2014 के दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए सौ से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके जाने-माने अभिनेता शशि कपूर को चुना गया है। भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत सरकार देती है। पुरस्कार के तहत स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपए नकद और शॉल भेंट किया जाता है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, 46वां फाल्के पुरस्कार शशि कपूर को देने का फैसला पांच सदस्यों के निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से किया।
शशि कपूर ‘नमक हलाल’, ‘दीवार’ और ‘कभी कभी’ जैसी यादगार फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए खास तौर पर पहचाने जाते हैं।
राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई शशि कपूर भारत के ऐसे अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काम किया और कई ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में अभिनय किया।
इन फिल्मों में ‘द हाउसहोल्डर’, ‘शेक्सपियर वाला’, ‘बांबे टाकीज’, ‘हीट एंड डस्ट’ जैसी फिल्में शामिल हैं। 1978 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस ‘फिल्म वाला’ शुरू किया। शशि कपूर ने ‘जुनून’, ‘कलयुग’, ‘36 चौरंगी लेन’, ‘विजेता’ और ‘उत्सव’ जैसी फिल्में बनाईं, जिन्हें खूब सराहा गया।
1938 में जन्मे कपूर ने प्रसिद्ध पृथ्वी थियेटर्स के बैनर तले चार साल की उम्र से ही अपने पिता पृथ्वीराज कपूर की ओर से निर्देशित और निर्मित नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था। 1940 के आखिरी सालों में उन्होंने बाल कलाकार के तौर पर फिल्मों में अभिनय शुरू किया था। बाल कलाकार के तौर पर उन्हें आग (1948) और आवारा (1951) जैसी फिल्मों के लिए सबसे ज्यादा पहचाना जाता है।
उन्होंने 1950 के दशक में सहायक निर्देशक के तौर पर भी काम किया। कपूर ने मुख्य अभिनेता के तौर पर अपने करिअर की शुरुआत 1961 में फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से की और 1960, 1970 व 1980 के दशक के मध्य तक 116 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने ‘सिद्धार्थ’ और ‘मुहाफिज’ जैसी कई दूसरी ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया।
77 वर्षीय शशि कपूर आजकल बीमार हैं। उन्होंने यह सम्मान पाने पर खुशी जताई है और सरकार का शुक्रिया अदा किया है।
वे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राज कपूर के बाद यह सम्मान पाने वाले अपने परिवार के तीसरे सदस्य हैं। 2011 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। कपूर को अब तक तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुके हैं।