टीवी रियलिटी शो ‘शार्क टैंक सीजन 3’ (Shark Tank Season 3) इन दिनों काफी चर्चा में है। शो में एंत्रप्रेन्योर अपने आइडिया के साथ आते हैं। इसमें जजेस को किसी का कॉन्सेप्ट पसंद आता है तो किसी का नहीं आता है। कोई खुश होकर लौटता है तो किसी को निराशा मिलती है। ऐसे में आज हम आपको शो में आए कंटेस्टेंट पिचर देवेश बोचर के बारे में बता रहे हैं। उन्होंने जनसत्ता.कॉम के साथ खास बातचीत की है। इस दौरान देवेश ने बताया कि उन्होंने 5 लाख में कैसे बिजनेस को खड़ा किया। उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ा और स्ट्रगल कैसा रहा। चलिए बताते हैं उन्होंने क्या कुछ शेयर किया…
देवेश को ‘शार्क टैंक’ में 10 लाख की इक्विटी मिली है। इस दौरान उनका बिजनेस आइडिया ने सभी जजेस को काफी प्रभावित किया। देवेश बातचीत में बताते हैं कि उनका शो में आना काफी अच्छा अनुभव रहा और उन्होंने यहां काफी कुछ सीखा। देवेश के बिजनेस कॉन्सेप्ट में सबसे ज्यादा प्रभावित Vold की कार रही। इसे लेकर वो बताते हैं, ‘इस कार की मदद से उन्होंने अपने बिजनेस को बढ़ाया है। इसकी मदद से वो अपने एनर्जी ड्रिंक की मार्केटिंग करते थे। इसकी मदद से फ्री ऑफ कॉस्ट मार्केटिंग हो जाती है।’
देवेश आगे एनर्जी ड्रिंक बनाने को लेकर बताते हैं, ‘मुझे कम इन्वेस्टमेंट में अपना ब्रैंड बनाना था। मैंने कई मैन्यूफेक्चरिंग प्लान देखे थे। मेरे पास पैसे नहीं थे कि कोई मैन्यूफेक्चरिंग प्लान में इनवेस्ट करूं। मेरी काफी सर्चिंग के बाद एनर्जी ड्रिंक का कॉन्सेप्ट ज्यादा अच्छा लगा। मेरा मानना था कि ग्लोबली इंडिया का भी एक ब्रैंड होना चाहिए। क्योंकि अभी तक सभी ड्रिंक्स इंडिया के बाहर के हैं।’ इसकी चुनौतियों को लेकर देवेश का कहना है, ‘जब मैंने शुरू किया तो मैं एजेंसी को कॉल करता था। मुझे कुछ भी आइडिया नहीं था। मुझे कोई गाइड करने वाला नहीं था तो मैंने ऐसे में यूट्यूब और गूगल का सहारा लिया। वहां से सबकुछ सीखा। मेरे घर में कोई बिजनेसमैन नहीं था। मुझसे लाइसेंस के लिए 20-25 हजार मांगे जाते थे फिर मैंने यूट्यूब से सीखा और 5 हजार में ही लाइसेंस ले लिया।’
‘इसके बाद जब हम प्रिंटिंग के लिए गए तो कंपनियां 50 हजार, एक लाख की डिमांड करती थीं तो हमने भी इसे खुद तैयार कर लिया। दो दिन में खुद डिजाइन तैयार किया।’ फाइनेंस सपोर्ट को लेकर देवेश बताते हैं, ‘घर से पापा ने पैसे दिया। मुझे पापा ने 5 लाख रुपए दिए, जिससे बिजनेस शुरू कर पाया।’