अभिनेता संजय मिश्रा हिंदी सिनेमा जगत में अपने अनूठे अभिनय क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ‘मसान’ और ‘आंखों देखी’ जैसी फ़िल्मों से उन्होंने अपने अभिनय कौशल का लोहा मनवाया है। लेकिन उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब वो फिल्मी दुनिया छोड़कर ऋषिकेश के एक ढाबे पर रसोइए का काम करने लगे थे।
संजय मिश्रा ने इस बात का जिक्र अतिका अहमद फारुकी को दिए एक साक्षात्कार में किया था। ‘ऑल द बेस्ट’ फ़िल्म से ठीक पहले संजय मिश्रा के पिता का निधन हो गया था। वो अपने पिता के बेहद करीब थे। पिता के निधन से उन्हें इतना गहरा मानसिक आघात लगा कि उन्होंने एक्टिंग को अलविदा कह दिया।
संजय मिश्रा ने मुंबई छोड़ दिया और उत्तराखंड चले गए। वहां ऋषिकेश में उन्होंने एक ढाबे पर खाना बनाने वाले का काम शुरू किया। संजय मिश्रा के अनुसार, खाना बनाने से उन्हें मानसिक शांति मिलती थी जिससे उन्हें पिता के निधन से उबरने में मदद मिली।
संजय मिश्रा ने एक और इंटरव्यू में बताया था, ‘मैं अकेला रहना चाहता था इसलिए मुंबई नहीं गया, ऋषिकेश चला गया। वहां एक ढाबे पर मैं ऑमलेट बनाता था। जो सरदार ढाबे के मालिक था, उसने मुझे नहीं पहचाना। लेकिन जो ग्राहक आते थे वो मुझे देखकर कहते थे कि ‘गोलमाल’ में आप ही थे न? और वो मेरी तस्वीरें लेते थे।’
संजय मिश्रा ने कुछ समय तक वहां काम किया लेकिन बॉलीवुड में उनकी मांग होने लगी। रोहित शेट्टी उन्हीं दिनों फिल्म ‘ऑल द बेस्ट’ बना रहे थे। उन्होंने संजय मिश्रा के साथ इससे पहले फ़िल्म गोलमाल में काम किया था। उन्हें अपनी अगली फिल्म में भी संजय मिश्रा की जरूरत महसूस हुई और उन्होंने ऋषिकेश से संजय मिश्रा को मुंबई आने के लिए मना लिया।
संजय मिश्रा ने बताया था कि गोलमाल की शूटिंग के दौरान वो अपने वैन में बैठकर रोते थे। पिता के निधन के गम से वो निकल नहीं पाए थे। लेकिन वक्त के साथ साथ सब कुछ ठीक होता गया और संजय मिश्रा ने एक बार फिर अपने करियर को गति दी। वो फिल्मों में व्यस्त हो गए। रोहित शेट्टी ने उन्हें अपनी फिल्म, ‘दिलवाले’ में भी एक अहम रोल दिया था।
