बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त ने अपनी एक्टिंग और अपने अंदाज से लोगों का खूब दिल जीता है। फिल्म रॉकी से डेब्यू करने के बाद वह हिंदी सिनेमा की कई हिट फिल्मों में नजर आए। करियर से इतर संजय दत्त जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव से गुजरे। मां नरगिस की मौत के बाद संजय दत्त को नशे की लत लग गई थी। हालत यह हो गई थी कि एक बार वह ड्रग्स लेकर पिता सुनील दत्त से ही मिलने चले गए थे। इतना ही नहीं, नशे में ही अचानक वह पिता सुनील दत्त पर भी चीख पड़े थे और उनके सामने अजीबों गरीब हरकतें करने लगे थे।

इस किस्से को यासिर उस्मान ने संजय दत्त पर आधारित किताब ‘संजय दत्त: द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय’ में साझा किया था। उन्होंने संजय दत्त को लेकर किताब में बताया था कि एक्टर ने एलएसडी (लाइसर्जिक एसिड डाईथायलामाइड) लिया था। यह ऐसा ड्रग होता है जो कुछ देर में असर करना शुरू करता है।

यासिर उस्मान ने किताब में आगे बताया, “संजय कमरे में अचानक बैठे थे, तभी घर में रखे फोन की रिंग बजी और जो कि सुनील दत्त के ऑफिस ऑपरेटर की थी। उन्होंने संजय से कहा कि उनके पिता उनसे मिलना चाहते हैं, ऐसे में वह जल्दी ऑफिस चले जाएं। संजय मना करना चाहते थे, क्योंकि एलएसडी का असर शुरू होने ही वाला था।”

यासिर उस्मान ने किताब में बताया कि सुनील दत्त, संजय से रॉकी के विषय में कुछ बातचीत करना चाहते थे। ऐसे में एक्टर पिता के ऑफिस पहुंचे और उन्होंने बात करनी शुरू की। लेकिन जैसे ही दोनों की बातचीत शुरू हुई, एलएसडी ने भी असर करना शुरू कर दिया। ऐसे में सुनील दत्त जो कुछ कह रहे थे वह संजय को समझ में नहीं आ रहा था। वहीं संजय दत्त ने किताब में खुद अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, “वह मुझसे बात कर रहे थे, पर मुझे समझ नहीं आ रहा था। मैं बस हां में हां करते जा रहा था। दूसरी ओर मेरे पिता परेशान हो गए और उन्हें लगा कि मैं बात में दिलचस्पी नहीं ले रहा हूं।”

संजय दत्त ने किताब में आगे बताया, “अचानक मैंने देखा कि पापा के सिर में आग लगनी शुरू हो गई है। मैं उन्हें बचाना चाहता था, लेकिन फिर मैंने अपने आपसे कहा कि नहीं यह केवल कल्पना है। लेकिन कुछ ही देर में मैंने अपने आप पर नियंत्रण खो दिया। मैंने देखा कि पापा मोम की तरह पिघलना शुरू हो गए हैं। मैं उनके पास गया और उन्हें बचाने की कोशिश करने लगा। मैं चीखने लगा कि डैड प्लीज मरना मत।”

संजय दत्त ने बताया कि उनकी हरकतें देख सुनील दत्त भी हैरान रह गए और पंजाबी में चिल्लाने लगे, ‘क्या हो गया, क्या हो गया है मेरे बेटे को?'” संजय दत्त ने किताब में आगे बताया कि उस वक्त वहां आसपास कोई ट्रीटमेंट सेंटर नहीं था। मेरे पापा, मेरी बहनें और मेरे दोस्त इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। लेकिन उस वक्त मेरी हालत काफी खराब हो चुकी थी।