सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी ने एक के बाद कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं और इन दिनों दोनों अपनी डॉक्यूमेंट्री ‘एंग्री यंग मैन’  को लेकर चर्चा में हैं। इस जोड़ी की गिनती इंडस्ट्री के बेहतरीन राइटर्स में होती है, जिन्होंने दर्शकों के लिए ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी फिल्म लिखीं। मगर FIR राइटर अमित आर्यन ने सलीम-जावेद को लेकर बड़ा दावा किया है, उनका कहना है कि इन दोनों ने फिल्मों की कहानी चोरी की है। उन्होंने ‘शोले’ समेत उनकी कई फिल्मों को दूसरी फिल्म की कॉपी बताया है।

अमित आर्यन ने टीवी सीरियल FIR, ‘ये उन दिनों की बात है’, ‘लापतागंज’ के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने दावा किया है कि सलीम जावेद ने कभी खुद से कुछ क्रिएट नहीं किया। रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ को भी उन्होंने राज खोसला की फिल्म की कॉपी बता दिया है। उनका कहना है कि राज खोसला की फिल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’ जिसमें आशा पारेख, धर्मेंद्र और विनोद खन्ना थे, उसकी कहानी को चोरी करके शोले बनाई गई ङै।

डिजिटल कमेंटरी के साथ बातचीत में अमित आर्यन ने कहा, “मैं सलीम और जावेद को राइटर नहीं मानता। वो दो लोग जिन्हें पूरी दुनिया सलाम करती है उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ चोरी की है। सलीम और जावेद कॉपी राइटर हैं, राइटर नहीं।” उन्होंने आगे कहा, “शोले में एक आदमी दिखाया है जिसके हाथ काट दिए गए थे, जिसके परिवार ने भी डाकू ने खत्म कर दिया था और वो दूसरे लोगों के जरिए इसका बदला लेने की कोशिश कर रहा था।”

अमित आर्यन ने कहा, “फिल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’ में विनोद खन्ना ने एक डाकू का किरदार निभाया था, जिसका नाम जब्बर सिंह था जो ‘शोले’ में गब्बर बन गया। एक्टर जयंत ने खोसला की फिल्म में एक रिटायर सैनिक का किरदार निभाया था, जिसका एक हाथ कट गया था। शोले में रिटायर पुलिस ऑफिसर दिखाया गया, जिसके दोनों हाथ कट गए। ‘मेरा गांव मेरा देश’में जयंत का किरदार धर्मेंद्र से बदला लेने के लिए कहता था, जो पहले मना करता है और फिर मान जाता है। ‘शोले’ में धर्मेंद्र के साथ अमिताभ बच्चन के किरदार को भी जोड़ दिया गया।”

इसके अलाव आर्यन ने वी शांताराम की फिल्म ‘दो आंखे बारह हाथ’ और ‘शोले’ में भी कॉमन चीजें बताई। उन्होंने कहा ‘शोले’ का हर सीन उस फिल्म से लिया गया था। उन्होंने आगे कहा कि यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित और अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और निरूपा रॉय अभिनीत सलीम-जावेद की ‘दीवार’ (1975) को नितिन बोस की ‘गंगा जमना’ (1961) से कॉपी किया गया था, जिसमें दिलीप कुमार और वैजयंती माला थे। आर्यन ने कहा कि दोनों फिल्में दो भाइयों की कहानी  है, जिनमें एक अपराधी है और दूसरा पुलिसवाला।

खुद का काम भी किया कॉपी

आर्यन ने कहा कि सलीम-जावेद ने दूसरे के काम के साथ-साथ खुद का काम भी कॉपी किया। उन्होंने कहा, “उन्होंने अपने काम से भी नकल की। रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित और दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘शक्ति’ (1982) में एक पुलिस अधिकारी है जिसका बेटा अपराधी बन जाता है। क्लाइमेक्स में, पिता कहते हैं, ‘विजय, रुक जाओ, नहीं तो मैं गोली मार दूंगा।”

अमित आर्यन ने सलीम और जावेद बेहतर बिजनेसमैन और सेल्समैन बताया। उन्होंने कहा, “सलीम और जावेद बेहतर बिजनेसमैन और सेल्समैन हैं, वे जानते थे कि किसी चीज को कैसे बेचना है और उसे अच्छी तरह से कैसे सुनाना है।”