Ramayan: कोरोना वायरस के चलते देशभर में घोषित लॉक डाउन के बीच दूरदर्शन पर इन दिनों तमाम पुराने सीरियल्स का दोबारा प्रसारण हो रहा है। जिसमें रामायण, महाभारत और चाणक्य जैसे अपने जमाने के चर्चित धारावाहिक शामिल हैं। खासकर रामायण को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद अब आगे की कहानी यानी लव-कुश कांड को ‘उत्तर रामायण’ के नाम से प्रसारित किया जा रहा है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि रामायण के निर्माता रामानंद सागर लव-कुश की कहानी को नहीं दिखाना चाहते थे। उन्होंने श्रीराम के राज्याभिषेक पर ही रामायण का समापन कर दिया था। लेकिन काफी बवाल के बाद उन्होंने उत्तर रामायण को प्रोड्यूस किया।
क्या था रामानंद सागर का तर्क? उत्तर रामायण की शुरुआत में ही रामानंद सागर इस पूरे विवाद पर अपना पक्ष भी रखते हैं। वे कहते हैं, ‘गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण की कथा वहीं समाप्त कर दी थी, जहां श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ। हालांकि भगवान राम के जीवन का एक अति करुणाजनक भाग अभी बाकी था। वास्तव में उनसे (गोस्वामी तुलसीदास से) सीता वनवास का वो प्रसंग लिखा ही नहीं गया। सीता के त्याग की कल्पना से ही वे कांप गए। लेकिन न लिखने से उस घटना का नाश तो नहीं हुआ।
इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता। रामायण के आदि रचनाकार वाल्मीकी ने लव-कुश कांड अपने ग्रंथ में लिखे थे। गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि में यही अंतर है। पहले हमने भी यही तय किया था कि हम भी उतनी की कथा दिखाएंगे, जितनी तुलसी जी ने कही है। इसीलिये हमने श्रीराम के राज्याभिषेक पर ही रामायण का समापन कर दिया था’।
सड़क से संसद तक बवाल: श्रीराम के राज्याभिषेक पर ही रामायण को खत्म करने का मामला इतना गरमा गया कि इस मसले पर देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। खासकर वाल्मीकि समाज के लोग सड़कों पर उतर आए। इसके बाद यह मामला संसद में भी उठा और तमाम सदस्यों ने राज्याभिषेक से आगे यानी कि लव-कुश कांड भी दिखाने की मांग की। बवाल बढ़ता देख रामानंद सागर आगे की कहानी को ‘उत्तर रामायण’ के नाम से बनाने को तैयार हुए।
कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़े: रामायण का पहली बार प्रसारण साल 1987 में शुरू हुआ था और यह 1988 तक चला। रामायण के 78 एपिसोड पूरे होने के बाद से ही आगे की कहानी दिखाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मसले पर देशभर में चौतरफा विरोध तो हुआ ही, साथ ही मामला कोर्ट में भी पहुंच गया। रामानंद सागर पर 10 साल तक कोर्ट केस चलता रहा।