Ramayan 16th April Episode Updates:  श्रीराम की लीला अपरमपार है। वह कब किसके साथ क्या खेल खेलें वही जानें। लक्ष्मण ने मेघनाद को ललकारा मेघनाद विभीषण को लज्जित करने की कोशिश करता है कि उन्होंने अधर्म का साथ दिया है। तब विभीषण कहते हैं कि लंका की जनता के भले के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है। अब लक्ष्मण और मेघनाद के बीच भीषण युद्ध छिड़ता है। इस महासंग्राम में मेघनाद लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र छोड़ता है लेकिन वह लक्ष्मण पर विजय होने में असफल होता है। मेघनाद ये देख हैरान हो जाता है। कोई भी शस्त्र अब काम नहीं आता।

इन्द्रजीत ये उचित प्रकार से जान गया है कि राम-लक्ष्मण कोई साधारण पुरुष नही हैं। इन्द्रजीत ने अपने पिता को भी काफी समझाने की कोशिश की लेकिन रावण ने अपने पुत्र की बात नही मानी। वहीं इन्द्रजीत की मां उससे कहती है कि पुत्र जब तुम्हें भगवान की सच्चाई पता चल गई है तो फिर तुम अकेले ही उनकी शरण में चले जाओ अपने पिता की प्रतीक्षा मत करो। मां की बात सुनकर इनद्रजीत भावुक मन से कहता है कि मां जो अपने पिता को शत्रुओं के बीच छोड़कर मोक्ष पाने के लिए चला जाए उनका सम्मान खुद भगवान भी नही करते।

इन्द्रजीत लक्ष्मण से युद्ध हारकर वीरगति को प्राप्त हो जाता है। मंदोदरी लंका में हो रहे मृत्यु के तांडव से काफी ज्यादा परेशान हो जाती है। युद्ध में रावण ने अपने पुत्र इन्द्रजीत को भी खो दिया है। रावण इस बात का सदमा बरदाश्त नही कर पाता वहीं उसकी पत्नी उससे मृत्यु की गुहार लगाती है।

 

 

Live Blog

22:22 (IST)16 Apr 2020
रावण के नाना ने उसको समझाया

रावण के नाना ने उसको समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि अभी भी वक्त है तुम युद्ध को रोककर लंको को बचा लो। रावण अपने नाना से कहता है कि उसको मत रोकिए क्योंकि मृत्यु तो आनी ही है और वो कायर की तरह नही मरना चाहता वो युद्ध करना चाहता है भले ही उसकी मृत्यु क्यों न आ जाए।

22:11 (IST)16 Apr 2020
राम ने शुरू किया यज्ञ

ऋषि मुनि प्रभु श्री राम के पास आते हैं और उनसे कहते हैं कि अब आपका युद्ध में अंतिम चरण बचा है ऐसे में रावण मायवी होने के नाते सारी चालें चलेगा आप युद्ध में जीत हाासिल कर सकें इसके लिए आप मेरे साथ मंत्रोचारण करें।

22:08 (IST)16 Apr 2020
रावण ने ठानी माता सीता को जान से मारने की

रावण ने माता सीता को मारने कि लिए अस्त्र उठा लिया है। रावण सीता को मारने जा ही रहा होता है कि इतने में उसके ससुर उसको समझाते हैं कि एक निर्बल नारी की अगर तुम हत्या करोगे तो तुम्हें तुम्हारे आराध्य भगवान शिव भी तुम्हें माफ नही कर पाएंगे।

21:51 (IST)16 Apr 2020
राम ने की इन्द्रजीत की तारीफ

राम ने इन्द्रजीत के वीरता की तारीफ करते हुए कहा कि इन्द्रजीत एक महान योद्धा था। इसलिए इसके शव को भी आदर मिलना चाहिए। राम, हनुमान से कहते हैं कि आदर पूर्वक इन्द्रजीत के शव को लंका के मुख्यद्वार पर रख दो ताकि लंका की सेना के लोग इसे ले जा सकें।

21:41 (IST)16 Apr 2020
मंदोदरी ने मांगा मृत्युदंड...

मंदोदरी लंका में हो रहे मृत्यु के तांडव से काफी ज्यादा परेशान हो चुकी है। युद्ध में रावण ने अपने पुत्र इन्द्रजीत को भी खो दिया है। रावण इस बात का सदमा बरदाश्त नही कर पा रहा है। वहीं उसकी पत्नी उससे मृत्यु की गुहार लगा रही है।

21:29 (IST)16 Apr 2020
वीरगति को प्राप्त हुए इन्द्रजीत

इन्द्रजीत लक्ष्मण से युद्ध हारकर वीरगति को प्राप्त हो चुका है। इन्द्रजीत की मृत्यु का समाचार लंकापति रावण को मिल चुकी है। रावण को इस बात पर यकीन नही हो रहा है कि जिसका सामना इन्द्र तक नही कर सकते उसको एक वन मेें घुमने वाला व्यक्ति कैसे मार सकता है।

21:21 (IST)16 Apr 2020
पिता के मार्ग पर चला इन्द्रजीत

इन्द्रजीत ये उचित प्रकार से जान गया है कि राम-लक्ष्मण कोई साधारण पुरुष नही हैं। इन्द्रजीत ने अपने पिता को भी काफी समझाने की कोशिश की लेकिन रावण ने अपने पुत्र की बात नही मानी। वहीं इन्द्रजीत की मां उससे कह रही हैं कि पुत्र जब तुम्हें भगवान की सच्चाई पता चल गई है तो फिर तुम अकेले ही उनकी शरण में चले जाओ अपने पिता की प्रतीक्षा मत करो। मां की बात सुनकर इनद्रजीत भावुक मन से कहता है कि मां जो अपने पिता को शत्रुओं के बीच छोड़कर मोक्ष पाने के लिए चला जाए उनका सम्मान खुद भगवान भी नही करते।

21:11 (IST)16 Apr 2020
इन्द्रजीत को नजर आई राम-लक्ष्मण की सच्चाई

इन्द्रजीत अपने पिता रावण से कह रहा है कि राम स्वंय नारायण का रूप है इसलिए मैं आपसे अपने अनुभव से कह रहा हूं कि अभी भी आपके पास समय है सीतामोह त्याग कर राम की शरण में चले जाएं। मुझे इस बात पर पूरा यकीन  है कि ये नर नही बल्कि नारायण का रूप हैं।

21:08 (IST)16 Apr 2020
इन्द्रजीत का यज्ञ टला...

विभीषण की वजह से एकबार फिर रावण को मुंह की खानी पड़ी है। इन्द्रजीत अपने पिता रावण से कह रहा है कि लक्ष्मण ने आज जो कुछ किया वो कोई आम इन्सान नही है ऐसा लगता है कि वो देव पुरुष है।

20:15 (IST)16 Apr 2020
रामायण 16 अप्रैल शाम का एपिसोड...

रामायण में अभी तक दिखाया गया कि राम लक्ष्मण को कहते हैं भैया बहुत बड़ा संकट आया था अब टल गया है, हनुमान ने टाला है। अब वैद्यराज कहते हैं कि हनुमान इस पर्वत को फिर से वहीं रख आओ जहा से लाए हो। हनुमान कहते हैं कि इसकी क्या जरूरत। तो हनुमान को बताया जाता है कि ये जड़ीबूटियां वहीं उग सकती हैं। ऐसे मे हनुमान वापस जाते हैं और पर्वत वहीं छोड़ आते हैं।

10:25 (IST)16 Apr 2020
लक्ष्मण ने मेघनाद को ललकारा

लक्ष्मण ने मेघनाद को ललकारा: मेघनाद विभीषण को लज्जित करने की कोशिश करता है कि उन्होंने अधर्म का साथ दिया है। तब विभीषण कहते हैं कि लंका की जनता के भले के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है। अब लक्ष्मण और मेघनाद के बीच भीषण युद्ध छिड़ता है। इस महासंग्राम में मेघनाद लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र छोड़ता है लेकिन वह लक्ष्मण पर विजय होने में असफल होता है। मेघनाद ये देख हैरान हो जाता है। कोई भी शस्त्र अब काम नहीं आता। ये देख मेघनाद फिर अदृश्य हो जाता है। 

10:17 (IST)16 Apr 2020
कुलदेवी के मंदिर में विभीषण ले चले लक्ष्मण को...

कुलदेवी के मंदिर में विभीषण ले चले लक्ष्मण को...: मेघनाद के यज्ञ को असफल करने के लिए लक्ष्मण राक्षसों की कुलदेवी के मंदिर के लिए निकलते हैं। लक्ष्मण प्रतिज्ञा करते हैं कि आज वह मेघनाद का खात्मा करके रहेंगे। ऐसे में मेघनाद का यज्ञ भंग करने के लिए विभीषण, लक्ष्मण, जामवंत, सुग्रीव और हनुमान पहुंचते हैं।

10:01 (IST)16 Apr 2020
मेघनाद को ब्रह्मा से मिला था वरदान

तभी श्रीराम और लक्ष्मण के पास विभीषण आते हैं। विभीषण बताते हैं कि मेघनाद कड़ी तपस्या और यज्ञ कर रहा है। विभीषण बताते हैं कि अगर ये यज्ञ सफल हुआतो मेघनाद को एक दिव्य रथ मिलेगा जिसका इस्तेमाल वह युद्ध में करेगा। वह बताते हैं कि ब्रह्मा ने मेघनाद को वर दिया था कि जब भी वह अपनी कुल देवी का तांत्रिक यज्ञ करेगा तो उसे दिव्य रथ औऱ शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र प्राप्त होगें। 

09:58 (IST)16 Apr 2020
राम को हुआ भरत का स्मरण..

लक्ष्मण ठीक हो गया, यह खबर आग की तरह फैलती है। सीता की भी जान में जान आती है। रावण क्रोधित हो उठता है। ऐसे में मेघनाद पिता से आज्ञा मांगता है कि वह उसे यज्ञ करने की आज्ञा दे, जिससे  वह बहुत शक्तिशाली हो जाएगा। मेघनाद प्रण करता है कि वह दोनों भाइयों का आज खात्मा करके ही रहेगा। इधर, राम को आभास होता है कि भरत अशांत है उसे राम औऱ लक्ष्मण की चिंता हो रही है। ऐसे में लक्ष्मण कहते है कि कुछ भी हो भैया मैं भरत की जगह होता तो सारी सेना लेकर आपके पास आ जाता। श्रीराम कहते हैं कि भरत मर्यादा जानता है। वह अयोध्या को ऐसे छोड़कर नहीं आता।

09:48 (IST)16 Apr 2020
जड़ीबूटियां का पर्वत हनुमान छोड़ आए वापस..

लक्ष्मण उठते ही युद्ध के लिए खड़े हो जाते हैं। राम लक्ष्मण को कहते हैं भैया बहुत बड़ा संकट आया था अब टल गया है, हनुमान ने टाला है।  अब वैद्यराज कहते हैं कि हनुमान इस पर्वत को फिर से वहीं रख आओ जहा से लाए हो। हनुमान कहते हैं कि इसकी क्या जरूरत। तो हनुमान को बताया जाता है कि ये जड़ीबूटियां वहीं उग सकती हैं। ऐसे मे हनुमान वापस जाते हैं और पर्वत वहीं छोड़ आते हैं।

09:46 (IST)16 Apr 2020
जड़ीबूटी के प्रभाव से लक्ष्मण ने खोली आंखें...

तभी आकाश में विशाल हनुमान पर्वत लेते आते दिखाई देते हैं। हनुमान नीचे उतरते हैं, सभी हनुमान को देख कर प्रसन्न हो जाते हैं। श्रीराम के तो मानों प्राणों में प्राण आते हैं।   वैद्यराज देखते हैं तो कहते हैं अरे हनुमान तुम तो पूरा पर्वत ले आए? इसके बाद हनुमान कहते है कि मुझे समझ नहीं आया कि कौन सी बूटी चाहिए इसलिए मैं पूरा पर्वत ही ले आया। हनुमान और वैद्यराज आगे बढ़ते हैं औऱ विनम्र भाव से प्रार्थना करते हैं। जड़ीबूटी स्वयं उनके पास आ जाती है। वैदराज बूटी लेकर अपने भवन जाते हैं और पीस करले आते हैं। लक्ष्मण को जड़ीबूटी का रसपान कराया जाता है औऱ लक्ष्मण स्वस्थ हो जाते हैं। 

09:32 (IST)16 Apr 2020
लखन को इस हालत में देख व्याकुल श्रीराम, हनुमान की कर रहे प्रतीक्षा

हनुमान से भरत पूछते हैं कि सब कुशल से तो है ना? हनुमान की आंकों में आंसू आ जाते हैं। वह बताते हैं कि सीता को रावण ले गया, युद्ध स्थिति उत्पन्न हो रखी है और लक्ष्मण मूर्छित पड़े हैं। हनुमान अब भरत को कहते हैं कि वह उन्हें आज्ञा दें जाने की। हनुमान के जाने के बाद भरत रोते हैं कि उनके कारण प्रभु को इतना कुछ सहना पड़ रहा है। इधर, श्री राम व्याकुल हैं कि हनुमान अभी तक आए नहीं क्या होगा? 

09:25 (IST)16 Apr 2020
हनुमान से भरत का मिलन..

हनुमान सोचते हैं कि वह बूटी ढूंढेंगे तो बहुत समय लग जाएगा। ऐसे में हनुमान पूरा पर्वत अपने हाथ मे उठा कर ले गए। कपि उड़कर पहुंच रहे होते हैं। वहीं जब हनुमान अयोध्या के ऊपर से निकल रहे होते हैं तो सैनिक भरत को सूचना देते है कि कोई मायावी बड़ा सा पर्वत लेकर आकाश में दिखाई दे रहा है। संदेह में भरत नीचे से बाण चलाते है। हनुमान तभी धरती पर आ गिरते हैं। हनुमान के मुंह से राम नाम निकलता है तो भरत चौंक जाते हैं। वह बताते हैं कि वह कहां जा रहे हैं औऱ लक्ष्मण संकट मे हैं। हनुमान को भरत गले लगाते हैं और भरत रोने लगते हैं। भरत हनुमान को नमन करते हैं। जल्द वह उन्हें राम की सेवा के लिए भेजते हैं ताकि विलंब न हो जाए। 

09:25 (IST)16 Apr 2020
हनुमान से भरत का मिलन..

हनुमान सोचते हैं कि वह बूटी ढूंढेंगे तो बहुत समय लग जाएगा। ऐसे में हनुमान पूरा पर्वत अपने हाथ मे उठा कर ले गए। कपि उड़कर पहुंच रहे होते हैं। वहीं जब हनुमान अयोध्या के ऊपर से निकल रहे होते हैं तो सैनिक भरत को सूचना देते है कि कोई मायावी बड़ा सा पर्वत लेकर आकाश में दिखाई दे रहा है। संदेह में भरत नीचे से बाण चलाते है। हनुमान तभी धरती पर आ गिरते हैं। हनुमान के मुंह से राम नाम निकलता है तो भरत चौंक जाते हैं। वह बताते हैं कि वह कहां जा रहे हैं औऱ लक्ष्मण संकट मे हैं। हनुमान को भरत गले लगाते हैं और भरत रोने लगते हैं। भरत हनुमान को नमन करते हैं। जल्द वह उन्हें राम की सेवा के लिए भेजते हैं ताकि विलंब न हो जाए। 

09:15 (IST)16 Apr 2020
हनुमान को मिली इजाजत, जगमगाते पर्वत पर जा पहुंचे पवन पुत्र

हनुमान राक्षस का अंत कर आगे प्रस्थान करते हैं। हनुमान अब जगमगाते पर्वत के पास पहुंचते हैं। हनुमान अब समझ नहीं पाते कि इनमें से कौन सी वह संजीवनी बूटी है जिसके लिए वह यहां आए हैं? अब हनुमान को देख कर सभी बूटियां लुप्त होने लगती हैं। हनुमान संजीवनी रक्षा में लगे देवों को अपना परिचय देते हैं औऱ बताते हैं कि उनका यहां आने का कारण क्या है? वह देवों से आज्ञा मांगते हैं कि उन्हें संजीवनी बूटी लेजाने दें। तभी देव प्रसन्न होकर प्रकट होते हैं औऱ उन्हें आज्ञा देते हैं। लेकिन अब हनुमान समझ नहीं पाते कि वह कौनसी बूटी अपने साथ लेकर जाएं।

09:08 (IST)16 Apr 2020
कपटी साधु यानी राक्षस की हनुमान ने की पिटाई...

रास्ते में हनुमान को एक साधु मिलता है जो असल में रावण का मायावी राक्षस है वह हनुमान को भटकाने की कोशिश करता है। उसके कहने पर हनुमान स्नान करने नदी में जाते हैं जहां एक मगरमच्छ होता है। हनुमान को वह मगरमच्छ खाने आता है। तभी हनुमान मगरमच्छ को खत्म करते हैं। हनुमान का पैर लगने से मगरमच्छ का उद्धार होता है औऱ वह असल रूप में आती है जो एक अपसरा होती है। वह एक देव अपसरा होती है जो कपटी साधु का रहस्य हनुमान को बता कर जाती है। इसके बाद हनुमान वापस उस साधु के पास जाते हैं औऱ गदा से उस कपटी की खूब पिटाई करते हैं।

09:04 (IST)16 Apr 2020
संजीवनी बूटी की तलाश में निकले हनुमान

वैद्य बनाते हैं कि हनुमान को संजीवनी बूटी लाने जाना होगा उत्तर में। हनुमान जी राम का आशिर्वाद लेते हैं और संजीवनी बूटी की तलाश में निकल पड़ते हैं। हनुमान श्री राम से कहते हैं कि अगर वो कल सुबह तक संजीवनी नही लेकर आए तो फिर आज के बाद आपको कभी मुंह नही दिखाएंगे। हनुमान, वैद्य से बूटी की निशानी पूछते हैं और संजीवनी लेने हिमालय की ओर निकल पड़ते हैं। वहीं राम जी अपने भाई लक्ष्मण की हालत को  देखकर लगातार रो रहे होते हैं।

08:59 (IST)16 Apr 2020
हनुमान गए लंका औऱ भवन समेत उठा ले आए वैद्दराज..

महाराज विभीषण Lतभी हनुमान से कहते हैं कि इसका एक उपचार है। विभीषण हनुमान से कहते हैं कि अगर वह लंका से वैद्दराज को ले आएं तो वह उपाय बता सकते हैं। जिसपर हनुमान लंका जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। हनुमान राम जी का आशिर्वाद लेते हैं और लंका के लिए प्रस्थान करते हैं।

08:55 (IST)16 Apr 2020
राम से नहीं देखी जा रही लक्ष्मण की पीढ़ा:

राम से नहीं देखी जा रही लक्ष्मण की पीढ़ा:लक्ष्मण की हालत देखकर राम काफी ज्यादा भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि मेरे भाई लक्ष्मण के बिना मेरी जीता का कोई मतलब नही है। लक्ष्मण को देखकर राम कहते हैं कि अब मैं माता सुमित्रा को क्या मुंह दिखाउंगा। मैं उर्मिला से क्या कहूंगा जो अपने पति का 14 वर्षों से इंतजार कर रही है। मैं उससे कैसे कहूंगा कि मैंने अपनी पत्नी के लिए जो युद्ध किया उसमें मैंने तुम्हारे पति को गवा दिया।