प्रभास और कृति सेनन की फिल्म ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) को लेकर काफी विवाद हो रहा है। फिल्म में डायलॉग्स और इसके कंटेंट के साथ छेड़छाड़ के आरोप लग रहे हैं। इसकी वजह से लोग इस पर बैन की मांग कर रहे हैं। साथ ही दर्शक इसकी तुलना में रामानंद सागर की ‘रामायण’ (Ramayana) को बेहतर बता रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि रामानंद को भी इसकी रिलीज से लेकर आखिरी एपिसोड्स तक तरह के विवादों से गुजरना पड़ा था। इतना ही नहीं मेकर को सीरियल खत्म होने के बाद तक 10 सालों तक इलाहाबाद कोर्ट में हाजरी लगानी पड़ी थी। इसकी जानकारी रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने दी है।
दरअसल, प्रेम सागर ने हाल ही में आजतक से बातचीत की। उन्होंने ‘आदिपुरुष’ के विवादों पर रिएक्ट करते हुए कहा कि ‘जब पावर के साथ धर्म जुड़ जाता है तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इस उसकी जवाबदेही बढ़ जाती हैं कि देश, धर्म और लोगों के सेंटीमेंट्स का ख्याल रखें। इसके साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ प्रेम सागर ‘आदिपुरुष’ को लेकर कहते हैं कि ‘अगर कोई अलग करना चाहता है तो उसे मार्वल कॉमिक्स जैसा नाम दे। ना कि बाल्मिकी जी की रामायण का।’
जब ‘रामायण’ पर मचा था बवाल
प्रेम सागर ‘रामायण’ से जुड़े उस किस्से के बारे में बताते हैं, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा। वो बताते हैं कि ‘रामानंद सागर की रामायण में तुलसीदास की रामायण को दिखाया गया है, जो कि रामराज तक ही सीमित है। जब रामायण पास हुई थी तो गर्वनमेंट को पहले से ही कह दिया गया था कि वो राम राज तक ही सीरियल को खत्म कर देंगे, लेकिन जब ये खत्म हुई थी तो पूरे देश में बवाल मच गया था। एक समाज में गुस्सा था कि बाल्मिकी वाले हिस्से को क्यों नहीं दिखाया गया है। वहीं, रामानंद सागर भी अपने फैसले पर अड़े रहे। क्योंकि वो बाल्मिकी जी वाले अध्याय से सहमती नहीं रखते थे। इसके बाद प्रेम सागर के पिता को प्राइम मिनिस्टर के ऑफिस से कॉल आया था। वहां से डिमांड होने लगी थी कि रामायण के इस हिस्से को दिखाए जाए।’
सीता के वनवास से जुड़ा था फैक्ट
प्रेम सागर बताते हैं कि ‘तब समझौता हुआ था और उनके पिता ने एक शर्त रखी थी कि वो इस पर बनाएंगे जरूर लेकिन एक खास एपिसोड एडिट नहीं किया जाएगा।’ इस का जिक्र करते हुए रामानंद सागर के बेटे प्रेम बताते हैं कि ‘सीता के वनवास का एक एपिसोड है, जैसे राम के गुप्तचर थे वैसे ही सीता माता के गुप्तचर होते थे। राम के गुप्तचर ने राम को बताया था कि प्रजा बड़ी नाराज है, सीता को रावण ने रखा और उन्होंने स्वीकार लिया। सीता को छोड़ देना चाहिए। इन बातों के बाद से राम बीच मझधार में थे। वो सोच में थे कि राज धर्म निभाएं या पति धर्म। वहीं, सीता के गुप्तचर बताते हैं कि राम परेशान हैं और वो समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या फैसला लें।’
10 साल तक कोर्ट में चला था केस
प्रेम सागर बताते हैं कि ‘उनके पिता ने इस पर काफी रिसर्च वर्क किया था। सीता, राम के पास आकर कहती हैं कि वो अपने पति के राजधर्म रर कोई आंच नहीं आने देना चाहती हैं। इसलिए वो वनवास जाएंगी।’ इसे प्रेम सागर अपने पिता की क्रिएटिव लिबर्टी बताया और कहा कि इसकी वजह से रामानंद सागर को कानूनी पचड़ों का सामना करना पड़ा था। इलाहाबाद कोर्ट में 10 साल तक केस चलता रहा था।