राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर लग रहे आरोपों का सिलसिला थम नहीं रहा। दो करोड़ की जमीन को कुछ ही मिनटों के अंदर 18.5 करोड़ में खरीदने का मामला अभी थमा नहीं था कि दो और ज़मीन खरीद में कथित घोटाले का मामला सामने आया है जिस पर भारी विवाद हो रहा है। इन दो जमीन खरीद में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय की अहम भूमिका बताई जा रही है। दीप नारायण ने एक जमीन, जो 20 लाख रुपए में खरीदी उसे राम जन्मभूमि ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दी, वहीं दूसरी जमीन की कीमत 27 लाख रुपए थी जिसे ट्रस्ट को एक करोड़ में बेच दी गई। इस खुलासे पर पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने तंज़ कसा है।
सूर्य प्रताप सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा कि नेता युग में 20 लाख से ढाई करोड़ तुरंत हो जाते हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘2 करोड़ जल्द हो 18 करोड़। 20 लाख जल्द ही 2.5 करोड़। हे राम, कहां तुम्हारा त्रेता युग और कहां ये नेता युग।’
आईएएस के इस तंज पर ट्विटर यूजर्स की भी ढेरों प्रतिक्रिया सामने आई है। प्राथमिक शिक्षक नाम से एक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘जनता को धर्म की अफ़ीम जो चटाई गई है, उसका नशा तभी उतरेगा जब इंसान और देश दोनों दिवालिया और बर्बाद हो चुके होंगे।’
2 करोड़ 18 करोड़
20 लाख 2.5 करोड़
हे राम,
कहाँ तुम्हारा त्रेता-युग,
और कहाँ ये नेता-युग !— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) June 19, 2021
प्रिंस सिंह नाम के एक यूजर लिखते हैं, ‘पूरे देश से राम मंदिर के लिए दान मांगने वाले खुद अयोध्या में मंदिर के लिए एक धूर जमीन दान नहीं कर पाए.. है ना गजब की श्रद्धा।’
डॉक्टर आरपी सिंह नाम के एक यूजर ने सूर्य प्रताप सिंह पर निशाना साधते हुए उन्हें जवाब दिया, ‘यही अगर कांग्रेस के शासन में होता तो पता ही नहीं चलता क्योंकि सब कुछ दो नंबर के पैसे से होता। अभी तो जो भी हुआ है सब ऑनलाइन ही हुआ है। लोग आप जैसे लोगों के झांसे में आने वाले नहीं। चिल्ला लो।’
जीत सिंह नाम के एक यूजर लिखते हैं, ‘फर्क सिर्फ इतना है कि कोई अनाज उगाकर भी देशद्रोही बन जाता है और कोई जमीन के पैसे खाकर राष्ट्रप्रेमी बन जाता है।’
आपको बता दें कि इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई थी जब समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडेय और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राम जन्मभूमि ट्रस्ट पर दो करोड़ की जमीन को 10 मिनट के अंदर ही 18.5 करोड़ में खरीदने का आरोप लगाया था। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का नाम प्रमुखता से उछला था जिस पर उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा था आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।