South Adda: कंपनी, सत्या, सरकार जैसी कई फ़िल्में बनाने वाले राम गोपाल वर्मा ने हाल ही में कहा कि स्टार और एक्टर की पहचान बिल्कुल अलग होती है। आरजीवी ने कहा कि रजनीकांत या अमिताभ बच्चन जैसे लोग, जो बड़े स्टार हैं, शायद बेस्ट एक्टर न हों, क्योंकि उन्हें “देवता” के रूप में देखा जाता है। आरजीवी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि रजनीकांत “स्लो मोशन के बिना” रह सकते हैं या नहीं। उन्होंने अमिताभ बच्चन के एक खास सीन को भी याद किया, जिससे उन्हें नफरत थी, क्योंकि उनके किरदार को ऐसा अभिनय करना था, जैसे उन्हें पेट में दर्द हो।

पिंकविला से बात करते हुए, राम गोपाल वर्मा ने स्टार और एक्टर के बीच अंतर को साफ करते हुए कहा, “एक्टिंग किरदार के बारे में होती है, जबकि स्टार एक परफॉर्मेंस के बारे में। और दोनों में बहुत अंतर है। क्या रजनीकांत एक अच्छे अभिनेता हैं? मुझे नहीं पता। मुझे नहीं लगता कि रजनीकांत भीखू म्हात्रे की भूमिका निभा सकते हैं।” सत्या में मनोज बाजपेयी द्वारा निभाए गए भीखू म्हात्रे ने मनोज को तुरंत लोकप्रियता दिलाई। फिर आरजीवी ने कहा, “स्लो मोशन के बिना, मुझे नहीं पता कि रजनीकांत का अस्तित्व हो सकता है या नहीं।” निर्देशक ने कहा कि रजनीकांत को स्लो मोशन में चलते देखना उनके दर्शकों के लिए पर्याप्त है क्योंकि इससे उन्हें वह मिलता है जिसके लिए वे आए हैं।

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“आपको रजनीकांत को बिना कुछ किए आधी फिल्म में स्लो मोशन में चलते हुए देखने में कोई आपत्ति नहीं है। यह आपको उत्साहित करता है,” उन्होंने कहा “स्टार को एक सामान्य किरदार निभाते हुए देखना” “निराशाजनक” हो सकता है।

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आरजीवी ने अमिताभ बच्चन के साथ सरकार, सरकार राज, आरजीवी की आग, रण, निशब्द जैसी फिल्मों में काम किया है। हाल ही में गलता प्लस से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें अमिताभ बच्चन को रामगोपाल वर्मा की आग की असफलता से गुज़रने के लिए दोषी महसूस होता है। उन्होंने कहा, “अमिताभ बच्चन ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी क्योंकि वह आरजीवी की आग करने के लिए सहमत हो गए और यह फैक्ट है कि फिल्म हंसी का पात्र बन गई, इसका कारण मैं हूं, वो नहीं।”