कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान अपने-अपने घर लौट गए हैं। बीते 15 दिसंबर को किसान नेता राकेश टिकैत भी अपने गांव सिसौली पहुंचे, लेकिन वहां रहते हुए भी वह लगातार कृषि से जुड़े मुद्दों को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं। वहीं हाल ही में वह किसान घाट पर आरएलडी नेता जयंत चौधरी के साथ हवन करते दिखाई दिए थे। इस बात को लेकर उनसे न्यूज 18 उत्तराखंड के शो ‘तीन के तीर’ में भी बातचीत की गई, साथ ही उनसे पूछा गया कि जयंत चौधरी व उनमें से पश्चिमी यूपी का सबसे बड़ा नेता कौन है।
राकेश टिकैत से इंटरव्यू के बीच न्यूज एंकर ने सवाल किया, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बड़ा नेता कौन है, राकेश टिकैत या जयंत चौधरी?” इस बात का जवाब देते हुए किसान नेता ने कहा, “यह आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश का तो था नहीं।” उनकी बात पर न्यूज एंकर ने बोला कि यह आंदोलन से अलग हटकर सवाल है। चुंकि चुनाव है और लोग आपको भी जानते हैं तो आपसे यह उम्मीद भी करते हैं।
उनकी बात पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “बड़ा नेता तो हम क्या ही छाटें कि कौन बड़ा है और कौन छोटा। यहां तो केवल दो नहीं हैं, बहुत सारे नेता हैं।” बता दें कि राकेश टिकैत ने अपने एक बयान में सरकार के ‘बक्कल तारने’ की बात कही थी, जिसे लेकर उनसे इंटरव्यू में भी सवाल किया।
इस बारे में बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “बक्कल का मतलब क्या है। आप कभी फ्लाइट में बैठे हैं। वहां एयर होस्टेस भी बक्कल उतारने के लिए कहती हैं।” उनसे न्यूज एंकर ने पूछा कि सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है तो क्या यह उनका मास्टर स्ट्रोक है? इसका जवाब देते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “लगाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन लगा नहीं।”
किसान नेता राकेश टिकैत ने इस बारे में आगे कहा, “13 महीने तक बैठकर उन्होंने इसे वापस ले लिया।” सरकार को किसान विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि भाव नहीं मिल रहा है किसानों को। जिस हिसाब से बाजार बढ़ रहा है, उस हिसाब से फसलों की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं।