भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना की लोकप्रियता को छू पाना किसी भी कलाकार के लिए आसान काम नहीं है। लोगों के बीच उनकी दीवानगी इतनी थी कि उनकी हर फ़िल्म को हाथों हाथ लिया जाता। लड़कियां तो उनके लुक्स के पीछे इतनी पागल थीं कि उनकी गाड़ी की धूल से मांग भरी जाती थी। राजेश खन्ना के स्टारडम के किस्से बहुत हैं जो आज भी फैंस के बीच कहे – सुने जाते हैं। राजेश खन्ना उस दौर के नंबर 1 स्टार कहे जाते थे लेकिन उन्हें इस नंबर गेम से सख्त नफरत थी।
एक बार हुआ ये कि एक इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया कि स्टार्स के नंबर 1, नंबर 2 कहे जाने पर उनकी क्या राय है तो उनका कहना था कि नंबर्स तो घोड़ों के होते हैं, स्टार्स के नहीं। आईटीएमबी शोज़ के एक कार्यक्रम में राजेश खन्ना से पूछा गया था, ‘भारत के मैगज़ीन और लोगों द्वारा जो नंबर 1 स्टार, नंबर 1 हीरो, नंबर 1 हीरोइन की पदवी दी जाती है, उस बारे में आपकी क्या राय है?’
राजेश खन्ना ने इसके जवाब में कहा था, ‘नंबर 1, नंबर 2 जो है इस बारे में मेरा यही मानना है कि घोड़ों के नंबर होते हैं। मुझे नहीं लगता कि स्टार्स के नंबर होने चाहिए। स्टार्स तो स्टार्स होते हैं।’
राजेश खन्ना की लोकप्रियता केवल हिंदी जानने वालों के बीच नहीं थी बल्कि उनकी फ़िल्मों ने तो भाषा की सरहदों को भी पार कर दिया था। यासिर उस्मान की किताब, ‘राजेश खन्ना: कुछ तो लोग कहेंगे’ में लेखक सलीम खान कहते हैं, ‘मैं हाथी मेरे साथी फिल्म की शूटिंग के वक्त उनके साथ मद्रास और तमिलनाडु के कई लोकेशन पर गया था। मैंने देखा कि उन इलाकों में भी राजेश खन्ना के नाम पर भारी भीड़ जमा जो जाती थी। ये हैरत की बात थी क्योंकि वहां हिंदी फ़िल्में आमतौर पर ज्यादा नहीं चला करतीं थीं। राजेश खन्ना का करिश्मा ही था जो भाषा की सरहदों को भी पार कर गया।’
राजेश खन्ना ने जिस तेजी से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ उतनी ही तेजी से उनका करियर भी ढलने लगा था। इस पर सलीम खान ने कहा था, ‘जिस तरह उनकी बेपनाह कामयाबी की कोई वजह नहीं थी, उसी तरह उनके करियर के ढलने की भी कोई एक वजह नहीं थी। उनकी पारिवारिक जिंदगी में तनाव, इंडस्ट्री के लोगों के साथ उनका बुरा बर्ताव और कुछ नया न करना.. ऐसे कई वजहें थीं।’