70 के दशक के सुपरस्टार राजेश खन्ना ने जैसा स्टारडम देखा, वैसा किसी दूसरे अभिनेता को नसीब नहीं हुआ। काका जहां जाते थे, उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों की तादाद में प्रशंसक इकट्ठा हो जाते थे। काका की लोकप्रियता का यह आलम था कि उस दौर में उनका ‘गुरु कुर्ता’, नजरें झुकाकर और गर्दन टेढ़ी कर बात करने का अंदाज युवाओं का स्टाइल स्टेटमेंट बन गया था।

हालांकि बाद के दिनों में जब राजेश खन्ना का डाउनफॉल आया तब वह बिल्कुल अकेले पड़ गए थे। इस दौर में काका को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा। एक के बाद एक, निजी जिंदगी में झटके लगे। तो दूसरी तरफ करियर के फ्रंट पर भी कुछ खास नहीं हो रहा था।

साल 2005 में राजेश खन्ना को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देने का ऐलान हुआ। फिल्म फेयर की मैनेजिंग एडिटर मीरा जोशी खुद राजेश खन्ना से मिलने पहुंचीं। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान अपनी किताब में लिखते हैं कि मीरा जोशी ने राजेश खन्ना से पूछा कि क्या वह अवॉर्ड फंक्शन में आएंगे और ट्रॉफी कबूल करेंगे? राजेश खन्ना ने हामी भर दी।

राजेश खन्ना ने कहा- कुछ पास मिलेगा क्या? काका ने लगे हाथ मीरा से फंक्शन के कुछ अतिरिक्त पास भी मांग लिए। लेकिन जब वह फंक्शन में पहुंचे तो सब हैरान रह गए थे। काका ने भले ही अवार्ड फंक्शन के लिए अतिरिक्त पास लिए हों लेकिन उस दिन उनके साथ कोई नहीं आया था। वह बिल्कुल अकेले थे।

एक फूल तक नहीं भेजा… खुद राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में अपनी बुलंदी से डाउनफॉल तक के सफर का जिक्र करते हुए कहा था कि एक दौर हुआ करता था जब उनके बंगले आशीर्वाद के बाहर लोगों का हुजूम लगा रहता था। उनका ड्राइंग रूम गुलदस्तों से भरा रहता था। लेकिन ऐसा भी वक्त आया जब उनके पास एक फूल तक नहीं आया। यह बताते हुए काका भावुक हो गए थे।

छोटे पर्दे पर भी आजमाई किस्मत: आपको बता दें कि राजेश खन्ना का करियर जब पटरी से उतरा तो उन्होंने छोटे पर्दे पर भी हाथ आजमाया और कई टीवी सीरियल भी किये। हालांकि इन टीवी सीरियल में भूमिका के लिए भी उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी और बहुत मुश्किल से रोल मिले थे।