राज कपूर अपनी फिल्मों में परफेक्शन का बहुत ध्यान रखते थे। यहां तक कि वह अपने बेटों पर भी कई बार इसको लेकर नाराज हो जाते थे। राज कपूर की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करती थीं। इसके अलावा उनकी फिल्म कुछ चीजों को लेकर विवादों में भी रहती थीं। राज कपूर के पिता पृथ्वी राज कपूर भी थिएटर किया करते थे। यहीं से उन्होंने एक्टिंग के गुर सीखे थे। साथ ही उन्होंने बताया था कि वह अपनी फिल्मों में नहाने वाला सीन क्यों डालते थे।

राज कपूर की बेटी रितू नंदा ने अपनी किताब ‘राज कपूर: द वन एंड ओनली शोमैन’ में अपने पिता का एक किस्सा साझा किया है। राज कपूर बताते हैं, ‘मेरा रंग काफी साफ था, मेरी आंखें नीली थीं। जब भी मैं स्टेज पर जाया करता था तो मेरे पिता की एक्ट्रेस अक्सर मुझे गले लगाया करती थीं, मैं बहुत एक्साइटेड महसूस करता था। यहीं से मैंने इमोशन छिपाने के बारे में सीखा। मैं न्यूडिटी का उपासक था। मुझे लगता है ये सब शुरू हुआ मेरा मां के साथ आत्मीयता के कारण।’

राज कपूर आगे लिखते हैं, ‘मेरी मां बहुत जवान, खूबसूरत थीं और उनका चेहरा बिल्कुल पठानी महिला जैसा तीखा था। हम दोनों अक्सर साथ में नहाया करते थे और उन्हें न्यूड देखने का मेरे दिमाग पर गहरा प्रभाव हुआ। इसके लिए उर्दू का एक मुहावरा है ‘मुकद्दस उरिया’ यानी ‘गुप्त न्यूडिटी’ जो इस पर बिल्कुल सटीक बैठती है। मेरी फिल्मों में नहाने के सीन अक्सर आते थे। महिलाओं से जुड़ी प्रारम्भिक यादों ने मुझपर कब्जा किया और यही मैं फिल्मों में दिखाता भी था।’

स्कूल में राज कपूर को किस करती थीं टीचर: राज कपूर बताते हैं, ‘मेरा पहला स्कूल था बंबई स्थित ‘न्यूज एरा बॉयज़’ यहां मुझे किस करने के लिए टीचर की कतार लग जाती थी। मैं उस समय प्रेप क्लास में था और इन हरकतों से काफी परेशान हो जाता था। एक बार मैंने उनसे पूछा- आप मुझे किस क्यों करती हो? क्या आप मेरी मां हो? इसके बाद उन्होंने मुझे और भी ज्यादा किस किया। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे ऐसे टीचर मिले।’

राज कपूर ने फिल्म मेरा नाम जोकर का गाना ‘तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर’ गाने का किस्सा भी बताया था। उन्होंने लिखा, ‘हम लोग पिकनिक पर गए थे। मेरे साथ टीचर भी मौजूद थी। शाम के समय हमने आसमान में पक्षियों का झुंड देखा। यहीं से मेरे दिमाग में मेरा नाम जोकर के गाने का आइडिया आया था। हालांकि बाद में मेरे पिता को कोलकात्ता के एक थिएटर में नौकरी मिल गई और हमारा परिवार फिर बंबई से कोलकात्ता चला गया।’