Bharat Bandh: देश में कई दिनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। ऐसे में आज 8 दिसंबर को किसानों द्वारा ‘भारत बंद’ का ऐलान किया गया है। इधर, कई जानी मानी हस्तियां खास तौर पर पंजाबी इंडस्ट्री के सेलेब्स फार्मर प्रोटेस्ट और भारत बंद को सपोर्ट करते दिख रहे हैं। वहीं कई लोग इसके खिलाफ बोलते नजर आ रहे हैं। जर्नलिस्ट सुधीर चौधरी का भी इस बीच एक ट्वीट सामने आया जिसमें वह ‘भारत बंद’ के नुकसान को लेकर बात करते दिखे। लेकिन कई ऐसे लोग थे जो कि सोशल मीडिया पर उनके इस पोस्ट पर कमेंटबाजी करने लगे। कुछ इस बीच सुधीर चौधरी की बात का समर्थन करते दिखे तो कुछ मजे लेते नजर आए।

सुधीर चौधरी ने अपने पोस्ट में कहा- ‘अब भारत को बंद की राजनीति से आगे बढ़ना चाहिए।’बंद’ करने की बजाय ‘शुरू’ करने पर विचार करना चाहिए। देश बंद, सड़क बंद, बाज़ार बंद -इससे सिर्फ़ हमारा नुक़सान है। अंग्रेजों के ज़माने में ये रणनीति ठीक थी, लेकिन ये चिट्ठियों का नहीं ईमेल का ज़माना है। सकारात्मक विरोध के बारे में सोचिए।’

एक यूजर ने सुधीर चौधरी के पोस्ट का समर्थन करते हुए कहा- ‘बिल्कुल सही, बंद नहीं, बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।, आंदोलन नहीं,सहयोग की बात करनी चाहिए, सरकार कोई भी नियम बनाये, गर ईमानदार जनता हो जाये, तो रिश्वत खोरी,जमाखोरी सब स्वतः समाप्त हो जाएंगे।’ एक ने लिखा- ‘भारत में विपक्षी गैंग अब देशविरोधी गैंग बनकर रह गई है और इन सब का सरगना चाइनीज वायरस लश्कर ए कांग्रेस है। इन्हें देश, किसान, जवान, देशहित के मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है। ये छीन के लेंने वाले दंगाइयों-आतंकियों, हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त राजनैतिक गिरोह बनकर रह गया है। डुब मरो गद्दारों’

एक ने कहा- ‘मुझे बिलकुल नहीं पता कि नया कृषि कानून कैसा है। वो सही है या गलत। पर अगर ये गलत है तो इसका मतलब पुराना वाला सही था। और अगर पुराना वाला ही सही था तो 70 साल से मेरे देश के अन्नदाता की हालत भिखारी जैसी क्यों है ? ओर क्यों अन्नदाता अभी तक आत्महत्या करता रहा ??’

एक ने कहा- ‘सिर्फ दो महीने के लॉक डाउन ने बड़े से बड़े उद्योगों की कमर तोड़ कर रख दी थी। किसान तो पिछले 70 साल से घाटे की खेती कर रहा है फिर भी अब तक जिंदा है। क्योंकि खेती ही एकमात्र उपाय है GDP को सहारा देने के लिए। आज अगर किसान नहीं चाहता है तो सरकार जबरदस्ती क्यों भला करने पर तुली हुई है?’ एक ने कहा- ‘आत्मनिर्भरता हमेशा से भारत की परंपरा रही है। अपने कर्म के अनुसार फल पाने का सिद्धांत यहां आत्मनिर्भरता का मंत्र है। इसलिए भारत पड़ोसी मुल्क की तरह भीख मांगने में विश्वास नहीं करता। यही कर्मफल का सिद्धांत स्वतंत्रता का भी उद्घोषक है। इसी कारण भारत में राजशाही न होकर लोकतंत्र है।’