प्रियंका चोपड़ा अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भारत में तो नाम कमाया ही, विदेशी सिनेमा में भी वो एक जाना पहचाना नाम बन चुकी हैं। प्रियंका के अंदर जीतने की ये लगन बचपन से ही थी। बकौल प्रियंका, बचपन से ही उन्हें हारना पसंद नहीं है, अगर वो हार जाती हैं तो कुछ समय के लिए डिप्रेशन में चली जाती हैं। प्रियंका चोपड़ा जब छोटी थीं तब बेहद विद्रोही किस्म की थीं। उनकी हरकतें देखकर उनकी मां इतनी परेशान हो गईं कि उन्होंने प्रियंका चोपड़ा को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया था।
प्रियंका चोपड़ा ने इस बात का जिक्र अनुपम खेर के शो ‘द अनुपम खेर शो’ पर किया था। उन्होंने बताया था, ‘जब मैं छोटी थी तब मुझे फर्स्ट आना बहुत अच्छा लगता था। आज भी जब मैं फेल होती हूं तो डिप्रेशन में चली जाती हूं, अपने ब्लैंकेट में सोती रहती हूं, बड़ी मूडी हो जाती हूं। मुझे असफल होना अच्छा नहीं लगता।’
अपने बचपन के बारे में प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि वो बहुत जिद्दी थीं और उन्हें हर बात में ना कहना अच्छा लगता था। उन्होंने बताया, ‘मुझे ना शब्द बहुत अच्छा लगता था। मेरी मां रिवर्स साइकोलॉजी करती थीं मेरे साथ। वो कहतीं, बेटा खाना खा लो तो ना क्यों खाऊं? स्कूल चले जाओ तो ना मैं नहीं जाऊंगी। इसलिए मम्मी बोलती थीं, आज बिल्कुल स्कूल नहीं जाना है, आज तो तुम्हें भेजूंगी ही नहीं।’
प्रियंका उनके ये कहने पर स्कूल जाने की जिद कर लेती थीं। उन्होंने बताया, ‘मां कहतीं स्कूल नहीं जाना है तो मैं कहती आप कौन होते हो, मुझे रोकने वाले। इसके बाद सजा के रूप में मुझे थर्ड स्टैंडर्ड में हॉस्टल भेज दिया गया। मैं वहां से काफी सुधर कर वापस आई थी।’
प्रियंका चोपड़ा अपने घर में सबकी प्यारी थीं लेकिन एक बात के लिए उनके कजिन उन्हें उन्हें खूब चिढ़ाया करते थे। प्रियंका ने बॉलीवुड लाइफ को दिए एक इंटरव्यू में यह बताया था कि उनके सारे कजिन उन्हें काली कहकर बुलाते थे। उन्होंने बताया था कि उनके घर के सभी लोगों का रंग साफ था जबकि उनका रंग गहरा था जिसे लेकर उनके कजिन उन्हें चिढ़ाते थे।
अपने रंग को लेकर प्रियंका को काफी हीन भावना का भी शिकार होना पड़ा। उन्होंने कई फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल किया हालांकि जब उन्हें एहसास हुआ कि वो अपने रंग के साथ ही खूबसूरत हैं तो उन्होंने ये सब छोड़ दिया था।