दीपिका और रणवीर के बाद अब देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा भी अपनी शादी की तैयारियों में जुट गईं हैं। प्रियंका अमेरिकन सिंगर निक जोनस के साथ 2 दिसंबर को शादी करने जा रही हैं। हालांकि अभी तक इस पावर कपल ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार प्रियंका और निक नवंबर के आखिरी हफ्ते में इसका ऐलान कर सकते हैं। प्रियंका और निक की जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस में अपनी शादी रचाएंगे।प्रियंका की मां मधु चोपड़ा को भी उम्मैद भवन में देखा गया था। शादी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रियंका भी अपनी मां मधु चोपड़ा के साथ चार्टर प्लेन से जोधपुर पहुंची थीं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रियंका अपनी शादी भारतीय परंपरा के अनुसार, राजस्थान के उम्मैद भवन पैलेस होटल में करेंगी। डेली मेल के अनुसार, इस होटल यानी पूरे वेडिंग वेन्यू का किराया 60,000 डॉलर पर नाइट यानी लगभग 43 लाख रुपए होगा। प्रियंका चोपड़ा ने उम्मेद भवन में शादी के लिए अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और कुछ करीबी लोगों के लिए 65 विशेष सजावट वाले रूम बुक किए हैं। यहां ठहरने वाले मेहमान सूर्यास्त के वक्त 14 सदी का चर्चित मेहरानगढ़ का किला भी अपने अपने छज्जे से देख सकेंगे। यह पैलेस और होटल 52 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें किस्म किस्म में फूलों के बगीचे, स्वीमिंग पूल, स्पा, मसाज रूम और योगा रूम आदि हैं।

गौरतलब है कि उम्मेद भवन पैलेस देश का ऐसा राजमहल है जो सबसे बाद तक संबंधित राज परिवार का निवास स्थान रहा है।  इस महल का नाम महाराजा उम्मेद सिंह के नाम पर रखा गया है। उम्मेद भवन पैलेस दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक होने के साथ ही साथ ताज होटल का एक हिस्सा भी है। चित्तर पहाड़ी में होने के कारण उम्मेद भवन पैलेस को अपने निर्माण के दौरान चित्तर पैलेस भी कहा जाता था। इस महल के एक हिस्से में एक संग्रहालय भी है। इस महल को बनाने में लगभग 16 साल का समय लगा था। अकाल की स्थिति का सामना करने वाले क्षेत्र के किसानों ने कुछ रोजगार प्रदान करने के लिए तत्कालीन राजा उम्मैद सिंह से सहायता मांगी थी। राजा ने किसानों की मदद करने का फैसला किया और एक भव्य महल का निर्माण करने का फैसला किया। लगभग 2,000 से 3,000 लोग इस महल को बनाने के लिए जुटे थे। महल के निर्माण की अनुमानित लागत 11 मिलियन थी। जब ये आलीशान महल पूरा हुआ तो 347 कमरे, कई आंगनों, और एक बड़े भोज हॉल का निर्माण किया गया था। इस हॉल में 300 लोगों को आसानी से बैठाया जा सकता था। उम्मेद भवन के दरवाजे पहली बार 1942 में खोले गए और तब से काफी समय बाद तक यह जोधपुर राजपरिवार का शाही निवास स्थान रहा।