बंबई उच्च न्यायालय ने आज टीवी अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी को खुदकुशी के लिए कथित रूप से उकसाने के आरोपी निर्माता और प्रेमी राहुल राज सिंह की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। अदालत ने कहा कि पहली नजर में यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने खुदकुशी के लिए ‘उकसाया’।

न्यायमूर्ति मृदुल भटकर ने कहा, ‘गवाहों के बयानों से, यह साफ दिखता है कि आवेदक आरोपी (राहुल) और पीड़ित (प्रत्यूषा) के बीच उत्पीड़न और विवाद थे लेकिन पहली नजर में, उकसाना दिखाने के लिए रिकार्ड में कुछ नहीं है।’’ अदालत अग्रिम जमानत की मांग वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इससे पहले सत्र अदालत ने राहुल की याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने राहुल का अनुरोध स्वीकार करते हुए उन्हें बांगुर नगर पुलिस के सामने दो सप्ताह तक तीन बार प्रति सप्ताह पेश होने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि भादंसं की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) के तहत अपराध बनाने के लिए उकसाहट, मंशापूर्ण मदद या यह मंशा होनी चाहिए कि व्यक्ति खुदकुशी करे। यह दिखाना जरूरी है कि आरोपी की मंशा थी या नहीं। अदालत ने अपने कक्ष में एक अप्रैल को अभिनेत्री द्वारा खुदकुशी से एक घंटे पहले राहुल और प्रत्यूषा के बीच अंतिम टेलीफोन बातचीत सुनी।

अदालत ने कहा कि पूरी बातचीत में आवेदक आरोपी पीड़ित से कोई गलत कदम नहीं उठाने को कह रहा है और उसे आश्वासन दे रहा है कि वह घर जल्दी ही लौट आएगा। इस मामले के सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद इस अदालत का पहली नजर में नजरिया है कि पुलिस आरोपी को हिरासत में पूछताछ के बगैर इस मामले की जांच कर सकती है।