Mentoo Movement: बॉलीवुड अभिनेत्री पूजा बेदी रेप के आरोपी करण ओबराय के समर्थन में उतरी है। उन्होंने कहा कि भारत को अब मेनटू (mentoo) अभियान की जरूरत है। उन्होंने कहा, “मेरे दोस्त करण को ‘रेप और फिरौती’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस केस में सार्वजनिक तौर पर यह बात जगजाहिर है कि वे 2016 के अंतिम में एक डेटिंग एप के माध्यम से मिले। अक्टूबर 2018 में ओबराय ने महिला के विरूद्ध एक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवायी। नवंबर 2018 में टीओआई को दिए एक इंटरव्यू में उसने (महिला) कहा था कि वे एक रिलेशनशिप में थे। उसने कई सारे गिफ्ट जिसमें अपार्टमेंट भी शामिल है, ओबराय को दिए गए थे। उस समय ओबराय की वित्तीय स्थिति सही नहीं थी, इस वजह से शादी का प्रेशर नहीं बनाई। हालांकि, अब मई 2019 के इस सप्ताह में महिला ने रेप और फिरौती का मामला दर्ज करवाया है और दावा किया कि यह सब जनवरी 2017 के आसपास हुआ था।”

पूजा ने आगे कहा, “नवंबर 2018 में उसके (महिला) द्वारा दिया गया बयान मई 2019 में उसकी एफआईआर के विपरीत हैं, जिसमें कहा गया है कि “कथित” अपराध 2017 में हुआ था। हम जांच होने तक इसे झूठा भी नहीं कह सकते हैं लेकिन अंतिम में क्या होता है? महिला ने उस दिन एफआईआर दर्ज करवायी, जब बॉम्बे हाईकोर्ट में छुट्टी हुई। इस वजह से ओबराय एक महीने तक जमानत के लिए भी आवेदन नहीं कर सकते हैं।”

बॉलीवुड अभिनेत्री ने आगे लिखा, “मीडिया भी इस मामले में शामिल हो गया है। रेपिस्ट का धब्बा ओबराय के करियर, प्रतिष्ठा, उसके परिवार की इज्जत को धूमिल कर दिया। हिरासत के दौरान उसे शारीरिक समस्या भी होगी। हमने फोन पर महिला के शिकायत के संबंध में पुलिस को कई सारे सबूत दिखाए, लेकिन दुखद बात ये है कि पुलिस को एफआईआर के आधार पर कार्रवाई करनी पड़ी। ओबराय को गिरफ्तार किया और कानूनी प्रक्रिया का पालन किया। इससे भी अजीब बात ये थी कि ओबराय और महिला दोनों को मेडिकल टेस्ट के लिए भेजा गया जबकि कथित तौर पर यह घटना 2.5 साल पहले हुई है।”

पूजा बेदी ने कहा, “इससे यह बात सामने आयी है कि पुरुषों के अधिकार के लिए ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में बदलाव आया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानून के प्रावधानों का निजी प्रतिशोध और जबरन वसूली के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। आज मैं पुरुषों के अधिकार के लिए खड़ी हूं और अब समय Mentoo मूवमेंट शुरू करने का है। यदि हम “कमजोर लिंग” पर विचार करते हैं, तो हम एक समान समाज नहीं बना सकते हैं। हम महिलाओं के द्वारा खुले तौर पर किए गए उत्पीड़न को नकार रहे हैं। महिलाओं के पास अधिकार हैं, लेकिन वे कानून से ऊपर नहीं हैं।”

उन्होंने कहा, “उन महिलाओं के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जरूरत है, जो गलत मुकदमें करती हैं। साथ ही इस मामले में पुरुषों के भी पहचान को तब तक छिपाए रखने की जरूरत है, जब तक वे दोषी साबित नहीं हो जाते हैं। क्या सिर्फ एक महिला को ही इज्जत का भय है, पुरुषों को क्यों नहीं? क्या उसका कोई करियर नहीं होता है? सामाजिक प्रतिष्ठा नहीं होती है? परिवार नहीं होता है? यदि कोई महिला फर्जी केस में दोषी पायी जाती है तो उसके भी नाम को सार्वजनिक तौर पर उजागर करना चाजिए, जैसा कि पुरुषों के साथ होता है। एक समान कानून, एक समान दंड और एक समान समाज पर लड़ाई के लिए ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।”