ओटीटी पर वेब सीरीज में विविधता के साथ ही वेब फिल्मों और बड़े पर्दे की फिल्मों के प्रदर्शन में भी इजाफा हुआ है। पिछले दिनों ओटीटी पर कई सीरीज आईं, जिसमें ‘यूनाइटेड कच्चे’ ‘घोस्ट सीरीज’ ‘अनकही कहानियां’ ‘राणा नायडू’ के साथ ‘काली खुई’ ‘कंजूस मक्खीचूस’ और ‘सर’ ने लोगों का खूब मनोरंजन किया। आइए जानते हैं क्या है इन सीरीज में।

यूनाइटेड कच्चे : परदेस में मुश्किलों की कहानी

जी फाइव पर प्रदर्शित सीरीज ‘यूनाइटेड कच्चे’ में सुनील ग्रोवर लीड रोल में हैं। इस सीरीज ने ओटीटी पर बहुत दिनों बाद हंसने का अवसर दर्शकों को दिया है। गंभीर किस्म के विषयों पर आधारित सीरीज से लगभग ऊब चुके दर्शक प्रतीक्षा में ही थे कि बदलाव के तौर पर कभी सहज हास्य भी मिलेगा। यूके यानी इंग्लैंड के नाम की तर्ज पर यूनाइटेड कच्चे उन लोगों की कहानी है, जो अपने देश से अधिक परदेस में जाकर व्यवसाय करने को फायदेमंद मानते हैं। पंजाब के अच्छे खासे शहर से किसी तरह कच्चा वीजा लेकर लंदन पहुंच गए नायक को वहां रहने से लेकर कामकाज खोजने में कितनी तरह की मुश्किलें आती हैं, इस कहानी को लेखक – निर्देशक ने दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत किया है। कपिल शर्मा के हास्य कार्यक्रम से चर्चित सुनील ग्रोवर इस सीरीज के मुख्य अभिनेता हैं, जो लंदन में एक पाकिस्तानी परिवार के घर पेइंग गेस्ट बतौर पहुंचे व्यक्ति की भूमिका में हैं व अपनी हास्य टाइमिंग से प्रभावित करते हैं।

सर : शिक्षा के व्यावसायीकरण पर सवाल

दक्षिण के मशहूर अभिनेता धनुष की ओटीटी पर हिंदी में प्रदर्शित तमिल, तेलुगु फिल्म ‘सर’, देश भर में खुलेआम फल-फूल रहे शिक्षा के व्यवसाय पर बेहद करारा प्रहार है। वेंकी अटलूरी के निर्देशन में फिल्म सर की कहानी निजी महाविद्यालय की निगरानी में तमाम कस्बों में संचालित किए जा रहे सरकारी जूनियर कालेज से जुड़ी है। उत्साही युवा शिक्षक बालमुरुगन उर्फ बालू अव्यवस्था के विरुद्ध जाकर अंतत: अपना लक्ष्य हासिल करता है। दक्षिण की फिल्म निर्माण शैली ने फिर से हैरान किया है।

राणा नायडू : अभद्रता की दुख़द वापसी

आस्कर से सम्मानित लघु फिल्म और अभिनेता धनुष की फ़िल्म से ठीक विपरीत दक्षिण भारत के ही मशहूर अभिनेताओं से सजी भव्य वेब सीरीड राणा नायडू के नेटफ्लिक्स पर पिछले सप्ताह प्रदर्शन के साथ ओटीटी पर अभद्रता की दुखद वापसी हुई है। सीरीज की पटकथा में अनावश्यक ठूंसे गए अभद्र दृश्यों, गालियों के अब तक के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर डाले हैं। ओटीटी पर चुनिंदा उम्दा सीरीज के आने से बदले माहौल को एक बार फिर अपारिवारिक दिशा में धकेला गया है।

जिंदगी इन शॉर्ट : छोटी कहानियों में बड़े संदेश

नेटफ्लिक्स की वेबसीरीज जिंदगी इन शॉर्ट में.. छोटी – छोटी कहानियों में पिरोकर खूबसूरती से पर्दे पर उकेरा है.. चुनिंदा प्रतिभावान फिल्मकारों ने। सात लघु कहानियों को एकदम नए उभरते लेकिन प्रतिभावान निर्देशकों ने उम्दा शार्ट फिल्मों का आकार दिया है.. 25 मिनट से लेकर बीस, अठारह और सोलह मिनट तक के न्यून से न्यूनतम अवधि की इन फिल्मों ने.. झकझोर कर रख दिया.. महसूस हुआ कि.. सिर्फ जीने के जूनून में.. हम अपने आसपास की कितनी ही जरूरी बातों से बेखबर रहते हैं.. कितनी ही गैर जरूरी.. बातों में वक़्त जाया करते हैं।

कुछ उम्दा फिल्में और वेब सीरीज भी…

हाल के दिनों नेटफ्लिक्स, अमेजन, सोनी लिव आदि पर प्रसारित अन्य सीरीज में रोमांचक घोस्ट स्टोरीज, भारतीय महिला वैज्ञानिकों की मेहनत पर बनी मॉम के अलावा शबाना आजमी अभिनीत रहस्यपूर्ण फिल्म काली कुही और कुणाल केमू, राजू श्रीवास्तव, पीयूष मिश्रा अभिनीत हास्य फिल्म ‘कंजूस मक्खीचूस’ उल्लेखनीय हैं और विविधताओं की वजह से देखने लायक हैं।

राजीव सक्सेना