फिल्म अभिनेता ओम पुरी शुक्रवार ( छह जनवरी) को 66 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सार्थक फिल्मों और मनोरंजक दोनों तरह की फिल्मों में उन्होंने अपनी भूमिकाओं से अमिट छाप छोड़ी है। ओम पुरी ने करियर की शुरुआत मराठी फिल्म घासीराम कोतवाल (1972) से की थी लेकिन उनकी अलग पहचान बनी 1980 में आयी पहलान निहलानी की आक्रोश से। फिल्म की शूटिंग के दौरान एक ऐसा वाक़या हुआ जिस पर ओम पुरी को बाद में काफी अफसोस हुआ। फिल्म में स्मिता पाटिल, ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह मुख्य भूमिका में था।

ओम पुरी और स्मिता पाटिल  के गाल पर थप्पड़ मारना था। रिहर्सल के दौरान ओम पुरी स्मिता पाटिल के गाल पर ठीक से थप्पड़ नहीं मार रहे थे। उनका हाथ बस स्मिता के चेहरे को छूता हुआ जा रहा था। निर्देशक गोविंद निहलानी इससे खुश नहीं थे। उन्होंने ओम से कहा कि कैमरे में ये साफ दिख रहा है कि तुम ठीक से थप्पड़ नहीं मार रहे हो। ऐसे थप्पड़ मारो ताकि वो असली लगे। ओम पुरी डर रहे थे कि कहीं स्मिता थप्पड़ से चोट न लग जाए।

स्मिता पाटिल भी यथार्थवादी सिनेमा के प्रति समर्पित अदाकार थीं। निहलानी की बात सुनकर स्मिता ने ओम से कहा कि वो थप्पड़ मारने में संकोच न करें और इस तरह की थप्पड़ मारें कि वो पर्दे पर असली लगे। जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो ओम पुरी ने सीन में यथार्थ का प्रभाव लाने के लिए कुछ इस तरह से थप्पड़ जड़ा की निहलानी को मनचाहा शॉट मिल गया। शॉट ओके हो गया। सीन के बाद स्मिता पाटिल बगैर कुछ बोले चुपचाप वहां से चली गयीं।

ओम पुरी को इस बात का अहसास हो गया कि स्मिता को उनके सचमुच में चोट लग गयी है। ओम पुरी का लगा कि उन्होंने स्मिता के गाल के बजाय उनके कान के पास थप्पड़ मार दिया था। वो उनके पीछे-पीछे उनके मेकअप रूम तक गये लेकिन स्मिता कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर चुकी थीं। स्मिता के सहायक स्टॉफ ने कहा कि मैडम सो गयी हैं। ओम पुरी उनके बाहर निकलने का इंतजार करते रहे। थोड़ी देर बाद जब स्मिता कमरे से बाहर आयीं तो ओम पुरी ने उनसे माफी मांगी। उनके माफी मांगने पर स्मिता ने कहा कि छोड़ो ना यार, कान पर लग गया, बहुत तेज दर्द हो रहा था इसलिए मैं एक गोली लेकर सो गयी थी।

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आक्रोश (1980) का वीडियो-