बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता रहे ओम पुरी ने काफी स्ट्रगल किया तब जाकर हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में उनकी पहचान बनी। उनका बचपन भी बहुत कष्टों में बीता। परिवार का खर्च उठाने के लिए ओम पुरी ने एक ढाबे पर बर्तन धोने का काम करना शुरू किया था लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। ढाबे के मालिक ने उन पर चोरी का आरोप लगाकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया। ओम पुरी पहले एक्टर नहीं बल्कि ट्रेन का ड्राइवर बनना चाहते थे। लेकिन पढ़ाई के दौरान उनका झुकाव नाटकों की तरफ़ हुआ और वो अभिनय करने लगे। उन्होंने एक निजी थियेटर ग्रुप मजमा की शुरुआत की थी जहां अनिल कपूर ने भी एक्टिंग की शिक्षा ली।
ओम पुरी की बायोग्राफी ‘अनलाइकली हीरो: ओम पुरी’ में उन्होंने बताया है कि उनकी एक्टिंग क्लास में अनिल कपूर भी थे जो बहुत बदमाशी करते थे लेकिन सवाल भी खूब पूछते थे। अनिल कपूर क्लास खत्म होने के बाद भी ओम पुरी से सवाल पूछते रहते थे और कई बार उन्हें बस स्टॉप तक छोड़ने भी जाते थे।
इसी दौरान ओम पुरी को एक नाटक में अमीर आदमी का किरदार निभाना था। लेकिन उनके पास अमीर दिखने के लिए कुछ था नहीं। उन दिनों वो बस थियेटर करते थे, फिल्में नहीं मिली थीं उन्हें। अनिल कपूर ने इस घटना का जिक्र लल्लनटॉप पर किया था। उन्होंने बताया था कि वो एक सोने की चेन पहनते थे जिसे ओम पुरी ने सकुचाते हुए उनसे मांगा था।
अनिल ने बताया था, ‘मैं अर्धसत्य से पहले की बात कर रहा हूं जब वो हमारे क्लास में पढ़ाने आते थे। मुझे याद है एक बार उन्हें सोने की चेन चाहिए थी। नाटक में किसी अमीर आदमी का रोल कर रहे थे वो। मेरी मम्मी ने मुझे सोने की चेन पहनाई हुई थी। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं ये चेन ले सकता हूं, मुझे नाटक के लिए चाहिए। इतने गरीब से, संजीदा से, कितने शरीफ से उन्होंने मेरी चेन मांगी। मैंने फिर चेन दी तो नाटक में उसे उन्होंने पहना था।’
ओम पुरी ने यूं तो अपने करियर की शुरुआत फिल्म घासीराम कोतवाल से की थी लेकिन कई फिल्मों के बाद भी उन्हें पहचान नहीं मिली। आक्रोश फिल्म में उनके काम को काफी सराहा गया और उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया। ओम पुरी को आरोहण और अर्ध सत्य के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला।