एल्विश यादव को जेल में बंद हुए चार दिन बीत जाने के बाद एक नई बात सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक नोएडा पुलिस का कहना है कि एल्विश के खिलाफ जो NDPS एक्ट लगाया गया था, उनमें से दो धाराएं गलती से लगी थी। उनके खिलाफ NDPS एक्ट की चार धाराएं लगी रहेंगी और दो धाराएं हटा दी गई हैं। पुलिस की मानें तो वो दो धाराएं लिखाई के वक्त हुई एक गलती है।
आपको बता दें कि गिरफ्तारी के बाद एल्विश यादव के खिलाफ हुई एफआईआर में पुलिस ने छह धाराएं बढ़ाई थीं। इन्हीं में से दो धाराओं को कोर्ट ने हटा दिया है। हालांकि अभी भी एल्विश की जमानत याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है, जिसके लिए एल्विश के वकील दोबारा जमानत याचिका दायर करेंगे।
एल्विश के वकील ने कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप गलत हैं और क्योंकि एल्विश के पास कोई भी ड्रग बरामद नहीं हुआ था उनपर कुछ धाराएं लगाकर उन्हें फंसाया जा रहा है।
एल्विश के खिलाफ लगी हैं ये धारायें
एल्विश के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई हैं उनमें जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है। नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट में अगर किसी के खिलाफ मामला दर्ज होता है तो उस व्यक्ति को कम से कम 10 साल की सजा होती है। इसे बढ़ाकर 20 साल भी किया जा सकता है।
एल्विश के खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 8 लगी है। अगर किसी व्यक्ति के पास अफीम, भांग आदि जैसे नशे बरामद होते हैं, तब इस धारा में केस दर्ज किया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनपर लगी NDPC की धारा 22 हटाई गई है। जो नशीले पदार्थ को रखने और खरीदने बेचने पर लगाई जाती है। उनपर धारा 20 लगी है। इसमें व्यक्ति के पास मिले ड्रग की मात्रा के आधार पर सजा और जुर्माना तय किया जाता है।
एल्विश पर धारा 27A लगी है, जिसमें सरकार द्वारा लिस्ट किए हुए कोकीन, मॉर्फीन जैसे अन्य ड्रग्स का सेवन करने का दोषी पाए जाने पर एक साल की जेल और 20 हजार रुपये जुर्माना देना पड़ता है। कुछ मामलों में या तो व्यक्ति को एक साल की जेल होती है या उनपर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। बताया जा रहा है कि इस धारा को भी हटा दिया गया है।
एल्विश पर NDPC की धारा 29 में भी मामला दर्ज है। ये धारा एनडीपीएस एक्ट तहत अपराध करने के लिए उकसाने और क्रिमिनल प्लानिंग करने पर लगाई जाती है। उनपर धारा 30 और 32 के तहत भी मामला दर्ज है। धारा 30 में आजीवन कारावास की सजा हो सकती है और धारा 32 लगने पर ये व्यक्ति के पास नशीला पदार्थ जब्त किए जाने पर लगाई जाती है और इसमें छह महीने की सजा सुनाई जाती है।