नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने फिल्मी करियर में कोई एक दो साल नहीं बल्कि 12 सालों तक स्ट्रगल किया है। यह बात खुद एक्टर ने ही बताई थी कि उन्होंने भले ही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से पढ़ाई की लेकिन फिल्मों में उन्हें कोई काम नहीं देता था। उनके रंग को लेकर भी कई लोग उन्हें काम देने से मना करते थे। जब उन्हें काम नहीं मिला तो सिद्दीकी ने सी ग्रेड की फिल्मों में भी काम किया। वो सी ग्रेड की फिल्मों में भीड़ का हिस्सा बने और जब कैमरा उनकी तरफ आता था वो तो अपना मुंह छुपा लेते थे ताकि कोई उन्हें पहचान नहीं पाए।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कुछ समय पहले बॉलीवुड लाइफ नामक मीडिया संस्थान से बातचीत करते हुए अपने संघर्ष के दिनों को याद किया था। उन्होंने कहा था, ‘मैंने 10 – 12 साल स्ट्रगल किया इस इंडस्ट्री में। 40 सेकेंड के रोल से शुरुआत की थी और बहुत सारे रोल ऐसे किए जो मैं बता नहीं सकता। सी ग्रेड की फिल्में भी की।’

नवाज़ ने आगे बताया था, ‘मैं भीड़ में खड़ा होता था और जब भी कैमरा मेरे सामने होता तो मैं मुंह पीछे कर लेता था ताकि किसी को पता न चले कि अरे यार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का एक्टर देखो कहां खड़ा हुआ है। संस्थान के गरिमा का सवाल होता था।’

नवाज़ जो अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर राज करते हैं, एक वक्त लोग उन्हें एक्टर मानने से ही इंकार कर देते थे। उन्होंने बताया था, ‘ये भी होता था कि किसी ऑफिस में चले गए काम मांगने के लिए, असिस्टेंट ऊपर से नीचे तक देखता था और कहता था क्या है? मैंने कहा एक्टर है। बोला देखने से तो लगता नहीं एक्टर है। मैंने कहा कुछ करके दिखाएं क्या?’

 

हालांकि नवाज़ को संघर्ष के दिनों में जो अनुभव हुए, उससे उन्हें एक अच्छा एक्टर बनने में मदद मिली। नवाजुद्दीन सिद्दीकी को पहला बड़ा ब्रेक अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ब्लैक फ्राइडे में दिया था। इसी दौरान उन्हें न्यूयॉर्क, देव डी जैसी फिल्में भी मिली जिससे उनका नाम एक अभिनेता के तौर पर स्थापित होने लगा। गैंग्स ऑफ वासेपुर ने तो उन्हें जबरदस्त लोकप्रियता दिलाई।

 

इसके बाद नवाज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके अच्छे किरदारों को जितना पसंद किया गया है उतना ही प्यार उनके नेगेटिव किरदारों को मिला है।