अपनी नयी फिल्म ‘‘बदलापुर’’ में नायक और खलनायक की पुरानी छवि को तोड़ने वाले अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी का कहना है कि अब हिन्दी फिल्में परंपरागत ढर्रे से बाहर निकल रही हैं और चरित्र आधारित कहानियों का स्वागत किया जाने लगा है।
नवाजुद्दीन का मानना है कि फिल्म जगत इस समय एक रोमांचक चरण से गुजर रहा है और शीर्ष स्तर के अभिनेता अपनी छवि के साथ प्रयोग कर रहे हैं।
नवाजुद्दीन ने ‘पीटीआई भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा ‘‘अब चरित्र अभिनेताओं और परंपरागत ‘नायकों’ के बीच की खाई पट रही है। चरित्र ही आज फिल्म में हीरो है। अब कोई विशिष्ट नायक या खलनायक नहीं है। जैसे ‘बदलापुर’ में वरुण और मैं, दोनों नायक के साथ साथ खलनायक हैं।’’
उन्होंने कहा ‘‘यहां तक सुपर स्टार भी इस तरह का प्रयास कर रहे हैं। मैं शाहरुख खान के साथ ‘रईस’ में काम कर रहा हूं, जिसमें वह एक सरगना का किरदार निभा रहे हैं ऐसे में एक बार फिर चरित्र सामने है।’’
‘बदलापुर’ में एक बेरहम गुंडे की भूमिका अदा कर अभिनय के लिए वाहवाही बटोरने वाले 40 वर्षीय अभिनेता ने बताया कि फिल्म के जरिए उनका सपना सच हो गया है। नवाजुद्दीन ने कहा ‘‘श्रीराम (राघवन) के साथ काम करने का मेरा 10 सालों से सपना था। मैं वास्तव में ‘बदलापुर’ में काम करके खुश हूं। मेरा तो बस एक लाइन कहना है ‘एक अच्छा आदमी बुरा हो जाता है और एक बुरा आदमी अच्छा हो जाता है’ और मैंने फिल्म करने का निर्णय लिया।’’
नवाज ने कहा कि मुझे और वरुण को एक साथ लिये जाने का निर्णय भी मुझे उत्साहित करने वाला था क्योंकि हम दोनों की अभिनय शैली अलग अलग है।
